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खूंटीः स्कूल में जमीन पर बैठ बच्चे करते है पढ़ाई, शिक्षक के अभाव में धूल फांक रहा है कम्प्यूटर - Jhunti news

खूंटी के सरकारी स्कूलों (Government Schools in Khunti) की स्थिति दयनीय है. बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, शिक्षक के अभाव में कम्प्यूटर धूल फांक रहा है. बच्चे स्मार्ट क्लास (Smart Class) से काफी दूर हैं.

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स्कूल में जमीन पर बैठ बच्चे करते है पढ़ाई
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Published : Aug 10, 2022, 3:19 PM IST

खूंटीः जिले के सरकारी स्कूलों (government schools in Khunti) की स्थिति दयनीय है. इन स्कूलों में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं, इन सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर है. लेकिन शिक्षक के अभाव में कम्प्यूटर लैब में धूल फांक रहा है. मिली जानकारी के अनुसार कुछ स्कूलों से कंप्यूटर चोरी हो गई तो कुछ स्कूलों में कम्प्यूटर कहां गया, किसी को पता नहीं है.

यह भी पढ़ेंः बेटियों की जीत पर खूंटी के बिरसा मुंडा हॉकी एकेडमी में जश्न, जमकर नाचे नन्हें-मुन्ने बच्चे

झारखंड में स्कूली शिक्षा (School Education in Jharkhand) को बढ़ाने के लिए झारखंड सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन अब भी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के साथ साथ शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं हो रहा है. पहली कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे तो दूर पांचवीं से ऊपर के कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को बेसिक जानकारी नहीं है. स्थिति यह है कि बच्चे अपनी कक्षा भी नहीं बता पा रहे हैं.

क्या कहते हैं शिक्षक और अधिकारी

जिले के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले. इसको लेकर कई उपकरण उपलब्ध कराये गए, ताकि बच्चे स्मार्ट बन सके. लेकिन अधिकारी और शिक्षक की लापरवाही ने बच्चों को स्मार्ट क्लास (Smart Class) से दूर रखा है. स्कूल में प्रतिनियुक्त शिक्षक ही नहीं जानते हैं कम्प्यूटर चलाना तो बच्चे कैसे जानेंगे. प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी अतुल कुमार ने बताया कि सभी हाई स्कूलों में आईसीटी लैब हैं और झारखंड शिक्षा परियोजना के तहत हाई स्कूलों में स्मार्ट क्लास का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में लैब के लिए कमरे का अभाव था. लेकिन कमरा उपलब्ध करा दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि अब भी कुछ विद्यालयों में डेस्क बेंच की कमी है. बच्चे जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विद्यालयों से डेस्क बेंच से संबंधित रिपोर्ट मंगायी है और जल्द ही डेस्क बेंच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.

कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चे अब भी बुनियादी शिक्षा से दूर हैं. बच्चों को यह भी नहीं पता कि वे किस क्लास के विद्यार्थी हैं. सवाल पूछने पर अगल-बगल झांकते हुए कुछ भी बतलाने में असमर्थ नजर आते हैं. उवाल यह उठता है कि सरकारी स्कूलों पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद विद्यार्थियों को बेसिक शिक्षा नहीं मिल रही है. इन स्कूली बच्चों को स्मार्ट क्लास और आईसीटी लैब कितना उपयोगी साबित होगा, यह बड़ा सवाल है.

खूंटीः जिले के सरकारी स्कूलों (government schools in Khunti) की स्थिति दयनीय है. इन स्कूलों में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं, इन सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर है. लेकिन शिक्षक के अभाव में कम्प्यूटर लैब में धूल फांक रहा है. मिली जानकारी के अनुसार कुछ स्कूलों से कंप्यूटर चोरी हो गई तो कुछ स्कूलों में कम्प्यूटर कहां गया, किसी को पता नहीं है.

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झारखंड में स्कूली शिक्षा (School Education in Jharkhand) को बढ़ाने के लिए झारखंड सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन अब भी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के साथ साथ शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं हो रहा है. पहली कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे तो दूर पांचवीं से ऊपर के कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को बेसिक जानकारी नहीं है. स्थिति यह है कि बच्चे अपनी कक्षा भी नहीं बता पा रहे हैं.

क्या कहते हैं शिक्षक और अधिकारी

जिले के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले. इसको लेकर कई उपकरण उपलब्ध कराये गए, ताकि बच्चे स्मार्ट बन सके. लेकिन अधिकारी और शिक्षक की लापरवाही ने बच्चों को स्मार्ट क्लास (Smart Class) से दूर रखा है. स्कूल में प्रतिनियुक्त शिक्षक ही नहीं जानते हैं कम्प्यूटर चलाना तो बच्चे कैसे जानेंगे. प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी अतुल कुमार ने बताया कि सभी हाई स्कूलों में आईसीटी लैब हैं और झारखंड शिक्षा परियोजना के तहत हाई स्कूलों में स्मार्ट क्लास का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में लैब के लिए कमरे का अभाव था. लेकिन कमरा उपलब्ध करा दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि अब भी कुछ विद्यालयों में डेस्क बेंच की कमी है. बच्चे जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विद्यालयों से डेस्क बेंच से संबंधित रिपोर्ट मंगायी है और जल्द ही डेस्क बेंच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.

कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चे अब भी बुनियादी शिक्षा से दूर हैं. बच्चों को यह भी नहीं पता कि वे किस क्लास के विद्यार्थी हैं. सवाल पूछने पर अगल-बगल झांकते हुए कुछ भी बतलाने में असमर्थ नजर आते हैं. उवाल यह उठता है कि सरकारी स्कूलों पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद विद्यार्थियों को बेसिक शिक्षा नहीं मिल रही है. इन स्कूली बच्चों को स्मार्ट क्लास और आईसीटी लैब कितना उपयोगी साबित होगा, यह बड़ा सवाल है.

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