ETV Bharat / state

यहां धधकते अंगारों पर चलते हैं लोग, 150 साल पुरानी है परंपरा - खूंटी में भोक्ता समुदाय

मंगलवार शाम को ही शिवभक्तों ने लोटन सेवा करते हुए मंदिर में प्रवेश किया. इस दौरान पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो उठा. मंडापूजा समिति की ओर से देर रात यहां छऊ नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. यहां धधकते अंगारे पर चलने का भी रिवाज है. कई लोग इसे अंधविश्वास से जोड़ कर देखते हैं, लेकिन यहां के लोगों के लिए ये 150 साल से चली आ रही परंपरा है.

manda festival is over in khunti
यहां धधकते अंगारों पर चलते हैं भोक्ता
author img

By

Published : Apr 14, 2021, 3:59 PM IST

Updated : Apr 14, 2021, 5:24 PM IST

खूंटी: अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए श्रद्धालु जलते अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं. महिला पुरुष बच्चे सभी धधकते अंगारों पर चलते हैं. इसे अंधविश्वास कहें या कुछ और लेकिन ये सदियों से चला आ रहा है. जिले के अड़की, मारंगहादा और पंचपरगनिया इलाके में डेढ़ सौ साल से चली आ रही परंपरा आज भी जीवित है. इन क्षेत्रों में बुधवार को मंडा पर्व धूमधाम के साथ संपन्न हो गया.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- झारखंड में बेकाबू होता जा रहा कोरोना, मंगलवार को 2,844 नए मामले सामने आए


मंडा पर्व के दौरान जहां भक्तों ने शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की, वहीं, उमड़ी भीड़ ने मेले का आनंद उठाया. इससे पूर्व मंगलवार शाम को ही शिवभक्तों ने लोटन सेवा करते हुए मंदिर में प्रवेश किया. इस दौरान पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो उठा. मंडापूजा समिति की ओर से देर रात यहां छऊ नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. स्थानीय भोक्ता बाबा महादेव की श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं. इसे भोक्ता पर्व या चैत पर्व कहते हैं. पर्व के पूर्व लगातार भोक्ता 5 दिनों से उपवास करते हैं.

पूजन स्थल पर जलते अंगारे सजाए जाते हैं

ऐसी मान्यता है कि उपवास करने से बाबा महादेव भोक्ताओं को शक्ति से भर देते हैं. चैत पर्व या भोक्ता पर्व में भोक्ता प्राकृतिक तरीके से पूजा पाठ करते हैं और रात्रि में पूजन स्थल पर जलते अंगारे सजाए जाते हैं. इस दिन सभी भोक्ता अपनी मन्नत बाबा महादेव से मांगते हैं और आस्था का यह पर्व लोगों की सुख समृद्धि के लिए भी मनाया जाता है.

अंगारों पर चलने से श्रद्धालु के पांव नहीं जलते

पूजा के पश्चात सभी उपवास व्रत रखने वाले भोक्ता, महिलाएं और किशोर भी जलते अंगारों पर चलते हैं. प्राचीन काल से यह मान्यता चली आ रही है कि इस दिन जलते अंगारों पर चलने से किसी भी श्रद्धालु के पांव नहीं जलते, जबकि अन्य दिनों में जलते अंगारों पर लोग चल ही नहीं पाते. पूजा पाठ के बाद सभी श्रद्धालु भोक्ता और स्थानीय लोग जमकर ढोल ढांक के साथ नाचते गाते हैं. चैत पूजा पाठ के बाद ही सभी श्रद्धालु अरवा चावल से बने अन्न ग्रहण करते हैं.

खूंटी: अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए श्रद्धालु जलते अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं. महिला पुरुष बच्चे सभी धधकते अंगारों पर चलते हैं. इसे अंधविश्वास कहें या कुछ और लेकिन ये सदियों से चला आ रहा है. जिले के अड़की, मारंगहादा और पंचपरगनिया इलाके में डेढ़ सौ साल से चली आ रही परंपरा आज भी जीवित है. इन क्षेत्रों में बुधवार को मंडा पर्व धूमधाम के साथ संपन्न हो गया.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- झारखंड में बेकाबू होता जा रहा कोरोना, मंगलवार को 2,844 नए मामले सामने आए


मंडा पर्व के दौरान जहां भक्तों ने शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की, वहीं, उमड़ी भीड़ ने मेले का आनंद उठाया. इससे पूर्व मंगलवार शाम को ही शिवभक्तों ने लोटन सेवा करते हुए मंदिर में प्रवेश किया. इस दौरान पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो उठा. मंडापूजा समिति की ओर से देर रात यहां छऊ नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. स्थानीय भोक्ता बाबा महादेव की श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं. इसे भोक्ता पर्व या चैत पर्व कहते हैं. पर्व के पूर्व लगातार भोक्ता 5 दिनों से उपवास करते हैं.

पूजन स्थल पर जलते अंगारे सजाए जाते हैं

ऐसी मान्यता है कि उपवास करने से बाबा महादेव भोक्ताओं को शक्ति से भर देते हैं. चैत पर्व या भोक्ता पर्व में भोक्ता प्राकृतिक तरीके से पूजा पाठ करते हैं और रात्रि में पूजन स्थल पर जलते अंगारे सजाए जाते हैं. इस दिन सभी भोक्ता अपनी मन्नत बाबा महादेव से मांगते हैं और आस्था का यह पर्व लोगों की सुख समृद्धि के लिए भी मनाया जाता है.

अंगारों पर चलने से श्रद्धालु के पांव नहीं जलते

पूजा के पश्चात सभी उपवास व्रत रखने वाले भोक्ता, महिलाएं और किशोर भी जलते अंगारों पर चलते हैं. प्राचीन काल से यह मान्यता चली आ रही है कि इस दिन जलते अंगारों पर चलने से किसी भी श्रद्धालु के पांव नहीं जलते, जबकि अन्य दिनों में जलते अंगारों पर लोग चल ही नहीं पाते. पूजा पाठ के बाद सभी श्रद्धालु भोक्ता और स्थानीय लोग जमकर ढोल ढांक के साथ नाचते गाते हैं. चैत पूजा पाठ के बाद ही सभी श्रद्धालु अरवा चावल से बने अन्न ग्रहण करते हैं.

Last Updated : Apr 14, 2021, 5:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.