खूंटीः जिले के मुरहू माघ मेला टांड़ की जमीन को लेकर विवाद चल रहा है. मामला अभी झारखंड हाई कोर्ट में है. इसी बीच वहां निर्माण कार्य किया जा रहा था. जिसका आदिवासी समाज के लोगों ने विरोध किया. जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने काम पर रोक लगा दी है.
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दरअसल माघ मेला टांड़ की जमीन पर दावेदारी को लेकर विवाद चल रहा है. आदिवासी समाज का साफ कहना है कि यह उनका धार्मिक स्थल है. यह सरकारी जमीन है जिस पर जमीन माफिया अवैध कब्जा करने में जुटे हैं. आदिवासी नेता दुर्गावती ओड़ेया ने कहा कि उक्त भूमि पर हर साल आदिवासियों की सरना पूजा, सदानों की वार्षिक देवी पूजा, सरहुल महोत्सव, दशहरा महोत्सव, जनवरी में माघ मेला आदि संपन्न होते आ रहा है. इसमें हजारों लोग शामिल होते हैं. वर्तमान में यह जमीन सरकारी होते हुए कुछ लोगों के द्वारा जबरन लूटने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रविवार को मुरहू माघ मेला टांड़ में लोग पारंपरिक रूप से पूजा करने जा रहे थे. जिसे प्रशासन द्वारा रोका गया.
जबकि आदिवासी नेता चंद्रप्रभात ने कहा कि सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए अगर उग्र आंदोलन करना पड़े तो करेंगे लेकिन इस माघ मेला टांड़ की जमीन को बचा कर रहेंगे. उन्होंने कहा कि माफियाओं ने जमीन की घेराबंदी कर आदिवासियों की परंपरा के साथ छेड़छाड़ किया है.
इधर माघ मेला टांड़ की जमीन पर मालिकाना हक का दावा करने वाले नईम खान ने कहा कि उक्त जमीन उनकी है और उन्ही के अधिन है. इसके अलावा यह जमीन माघ मेला टांड़ की नहीं है. वो इस जमीन को बेच रहे हैं. जिसके कारण आदिवासी नेता अपना वर्चस्व और राजनीतिक लाभ लेने के लिए विरोध कर रहे हैं.
मुरहू स्थित मेला टांड़ की जमीन पर दशकों से विरोध होता आया है. माघ मेला टांड़ बचाओ कमेटी दस वर्षों से जमीन पर सामाजिक दावा करती आ रही है. जबकि रोशपा कंस्ट्रक्शन भी अपना दावा करते आए हैं कि उसने जमीन खरीदी है और जमीन के पूरे दस्तावेज उसके पास मौजूद हैं. मामले पर जब मुरहू सीओ मोनिया लता से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल मामला हाई कोर्ट में है और जिनके पक्ष में न्यायालय का फैसला आएगा जमीन उसकी होगी.