खूंटीः जिला के रनिया प्रखंड के बलंकेल गांव से 14 मजदूर उत्तराखंड के चमोली कमाने गए थे, जहां 23 अप्रैल को बड़ा हादसा हुआ, जिसमें गांव के सात मजदूरों की मौत हो गई. उनक शव बुधवार की देर शाम उनके पैतृक गांव लाया गया और गुरुवार को गांव के लोगों ने विधि विधान से अंतिम संस्कार किया.
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मजदूरों के शव आने के इंतजार में पूरा गांव कर रहा था. गांव में सात शव एक साथ लाया गया, इससे पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया. बलंकेल गांव में रहने वाले हर एक व्यक्ति के चेहरे पर दुख की लहर दिखाई दे रही थी. ग्रामीण राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर यहां रोजगार उपलब्ध होता, तो परदेश में उन्हें अपनी जान गंवानी नहीं पड़ती.
परिवार की देखरेख करने वाला कोई नहीं
तूरान कंडुलना का शव गांव लाया गया तो परिवार में मातम पसर गया. तूरान कंडुलना घर का एकलौता बेटा था, जो परिवार का भरण-पोषण कर रहा था. उसकी पत्नी गर्भवती है, उसका भाई मानसिक रूप से विक्षिप्त है, जिसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है.
मदद का दिया आश्वासन
जिन मजदूरों के कंधों पर पूरे परिवार का बोझ था, उन्हीं सात मजदूरों के पार्थिव शरीर को गांव के लोगों ने कंधा दिया और गांव की मिट्टी में विधि विधान के साथ दफनाया गया. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा लगातार शीर्ष नेतृत्व से बातचीत कर जल्द मजदूरों का शव गांव पहुंचाने के लिए प्रयासरत थे. गांव में शव आने के बाद दूरभाष से केंद्रीय मंत्री ने मृतक के परिजनों से बात की है और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.