खूंटी: रांची जिला से कटकर अलग हुए खूंटी जिला का आज 13 साल का हो गया है. भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि और कर्मभूमि के रूप में ऐतिहासिक पहचान रखने वाला यह जिला धीरे-धीरे विकास की ओर बढ़ रहा है. जिला उपायुक्त ने जिला स्थापना के 13 साल पूरा होने पर जिलावासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.
नक्सली गतिविधियों में कमी
उपायुक्त ने बताया कि जिला प्रशासन खूंटी के विकास में लगातार तत्पर है. सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित हैं, जिन इलाकों में पत्थलगड़ी की समस्याएं थीं, वहां भी अब ग्रामीण सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आगे आ रहे हैं. आधारकार्ड और राशन कार्ड की मांग कर सरकारी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं. खूंटी जिले में एक समय नक्सली गतिविधियों में इजाफा हुआ था, लेकिन समय के साथ ही पुलिस प्रशासन की सक्रियता से नक्सली गतिविधियों में काफी कमी आई है.
प्रखंड और पंचायत स्तर पर चलने वाले विकास कार्यों की मॉनिटरिंग के लिए जिले के पदाधिकारियों और प्रखंड स्तरीय अधिकारियों के साथ संयुक्त टीम बनाकर योजनाओं की वस्तुस्थिति का जायजा लिया जा रहा है. ग्रामीणों के साथ हर सप्ताह बैठक कर मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना समेत अन्य लाभकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने की कवायद की जा रही है.
शहीद आदर्श ग्राम योजना की परिकल्पना
जिले में विकास की रफ्तार धीमी होने के कई कारण हैं. पत्थलगड़ी ने भी खूंटी जिले में विकास को अवरुद्ध कर रखा था. सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की मनाही से केंद्र सरकार और राज्य सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकी. जिले में लॉ एंड ऑर्डर की समस्या को सही करने में पुलिस प्रशासन ने अपनी पूरी शक्ति लगाई और आज पत्थलगड़ी के मामलों से उबर कर अब धीरे-धीरे विकास के पथ पर जिले की गाड़ी बढ़ने लगी है. अड़की, खूंटी और मुरहू प्रखंड के कई इलाकों में पत्थलगड़ी से जुड़े लोगों ने मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जताई और अब सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड और राशन कार्ड भी लेने लगे हैं. बिरसा मुंडा की धरती होने के कारण जिले के उलीहातू और एटकेडीह में शहीद आदर्श ग्राम योजना की परिकल्पना की गई थी शहीद आदर्श ग्राम योजना के लिए आवश्यक आधारभूत संरचनाओं का निर्मन कार्य जारी है.
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बस स्टैंड का निर्माण
इधर, जिला स्थापना के 13 साल पूरा होने पर स्थानीय समाजसेवी दिलीप मिश्रा ने कहा कि जिले में अब भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. जिले में सड़क, बिजली, पानी जैसे मूलभूत समस्याओं से आज भी लोग जूझ रहे हैं. खूंटी शहर की बात की जाए तो 13 साल होने के बावजूद यहां अभी तक कोई बस स्टैंड और टेंपो स्टैंड नहीं है. पूर्व में 90 लाख रुपये की लागत से एक बस स्टैंड का निर्माण कराया गया, लेकिन उसमें एक बस या ऑटो भी नहीं रुकती है. बिजली व्यवस्था की बात की जाए तो बिजली में आज भी लोड शैडिंग जारी है. तमाड़, मुरहु और जापुद पावर ग्रिड बनने के बावजूद बिजली की स्थिति पूर्व की तरह ही डांवाडोल है. खूंटी में नॉलेज सिटी एक महत्वकांक्षी योजना थी, लेकिन वह भी अधर में लटकी हुई है. ऐसे में खूंटी जिले का विकास हुआ है. यह कहना बेईमानी है.
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
शिक्षा जगत की बात की जाए तो जिले में कोई बेहतर शैक्षणिक संस्थान नहीं है. एकमात्र बिरसा कॉलेज है, जहां न तो कॉलेज की बिल्डिंग सही ढंग से है और न ही कॉलेज में पढ़ाई. खूंटी में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. स्वच्छता को लेकर पूरे इलाके में शौचालय निर्माण का कार्य किया गया, लेकिन आज भी कई इलाकों में शौचालय नहीं बन पाए हैं. कई इलाकों में शौचालय बनने के बाद भी इस्तेमाल के लायक नहीं है, लेकिन जिला प्रशासन स्वच्छता के लिए पुरस्कृत किए जा चुके हैं. खूंटी नगर पंचायत भी स्वच्छता को लेकर कई बार पुरस्कृत हुआ है, लेकिन आज भी गंदगी का अंबार वार्ड में पड़ा हुआ है. खूंटी शहर में सार्वजनिक शौचालय की स्थिति दयनीय है.
खूंटी में पूर्व में मंत्री, विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद कई योजनाएं अब भी धरातल पर नहीं उतरी. नॉलेज सिटी, रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय, केंद्रीय विद्यालय समेत कई महत्वाकांक्षी योजनाएं खूंटी के नाम है, लेकिन योजनाओं की धीमी गति से खूंटी में विकास की रफ्तार धीमी पड़ गई है.
विकास कार्य की रफ्तार धीमी
एक स्थानीय समाजसेवी मनोज कुमार ने जिले के 13 साल पूरा होने पर कहा कि खूंटी में प्रधानमंत्री आवास योजना मनरेगा समेत पीडीएस योजना कोरोना काल में लोगों तक अनाज पहुंचाने का कार्य बेहतर तरीके से किया गया है. खूंटी जिला बनने के बाद खूंटी में विकास के कार्य हुए हैं, लेकिन विकास की रफ्तार धीमी रही है. जितनी रफ्तार से खूंटी का विकास होना चाहिए, वह नहीं हो पाया है. खूंटी में कोरोना संक्रमण काल में जिस तरीके से गांव-गांव तक जंगल पहाड़ तक लोगों को अनाज और अन्य सुविधाएं पहुंचाई गई. यह जिले के विकास को दर्शाता है. जिले में केंद्र सरकार की योजनाएं आज भी बेहतर तरीके से क्रियान्वित हैं, लेकिन राज्य सरकार ने कई योजनाएं पूरी तरह से बंद कर दी है.