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टनल से बाहर आए झारखंड के मजदूरों ने बताया कैसे बिताए 17 दिन, उत्तराखंड के नायकों की ये कहानी पैदा करती है जिंदगी में उम्मीद

Jharkhand workers who came out of tunnel. उत्तरकाशी में फंसे मजदूर अब अपने घर लौट आए हैं. इनके घर लौटने पर गांव में जश्न का माहौल है. घर पहुंचने के दूसरे दिन मजदूरों ने स्थानीय मंदिर में पूजा अर्चना करते हुए प्रार्थना की. मजदूरों ने अपने टनल में फंसे होने का भय भी साझा किया. उन्होंने बताया कैसे 17 दिन टनल में गुजरे.

Jharkhand workers who came out of tunnel
Jharkhand workers who came out of tunnel
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 2, 2023, 5:53 PM IST

Updated : Dec 2, 2023, 7:39 PM IST

टनल से बाहर आए झारखंड के मजदूरों ने बताया कैसे बिताए 17 दिन

खूंटी: उत्तरकाशी के टनल में फंसे झारखंड के मजदूर वापस लौट आए हैं. इनमें से 3 मजदूर खूंटी के कर्रा प्रखंड के निवासी हैं. तीनों मजदूर आधी रात को कर्रा स्थित अपने गांव पहुंचे और राहत की सांस ली. आधी रात में भी गांव के लोग और मजदूरों के परिजन उनके घर वापसी की बाट जोह रहे थे. उनके घर पहुंचने के बाद परिजनों ने एक साथ भोजन किया और टनल में गुजरी मुश्किल हालातों के बारे जाना.

खूंटी में टनल में फंसे मजदूरों के घर पहुंचने पर उत्सव जैसा माहौल है. गांव के लोग जश्न मना रहे हैं. वहीं घर पहुंचने के बाद मजदूरों ने शनिवार दोपहर को सोनेमर माता के मंदिर में पूजा पाठ के साथ प्रार्थना की. घर गांव वापस आने के बाद कर्रा प्रखंड क्षेत्र के डुमारी का चमरा उरांव, सोटेया का विजय होरो और मधुगामा का गनपईत होरो अब फिर से मजदूरी के लिए बाहर जाना नहीं चाहते हैं. घर लौटे मजदूरों का कहना है कि अगर अपने राज्य या जिले में ही काम मिल जाए तो वे बाहर नहीं जाएंगे.

मजदूरों ने टनल में गुजारे अपने 17 दिनों का अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि दीपावली के दिन सभी 41 मजदूर मिलकर दीपावली मनाने की तैयारी कर रहे थे. कुछ लोगों की ड्यूटी चेंज हो गयी थी. जैसे ही वे आगे निकलना चाह रहे थे तभी टनल धंस गया और सुरंग पूरी तरह बंद हो गया. उसके बाद उन लोगों ने अपने सीनियर को सूचना दी. उन्होंने वॉकी टॉकी से बातचीत कर घटना की जानकारी कंपनी वालों तक पहुंचाई.

मजदूरों ने बताया कि टनल के अंदर 24-30 घंटे तक भूखे रहना पड़ा. फिर बाद में कुछ मूढ़ी वगैरह खाने को मिला. उन्होंने बताया कि डर बढ़ता जा रहा था कि हम लोग कैसे बाहर निकलेंगे. अपने परिवार वालों से मिल पाएंगे या नहीं. इसी उधेड़बुन में एक-एक दिन संशय और दहशत में बीत रहा था, लेकिन सभी 41 मजदूर एक साथ थे और एक दूसरे को ढांढस बंधाते रहते थे. उन्होंने बताया कि 12 दिन बाद पाइप के सहारे खाने पीने की सामग्रियों की व्यवस्था हुई. पाइप के सहारे ही पानी के उन्होंने सभी 41 मजदूरों का नाम लिखकर टनल के बाहर भेजा. 12 दिनों तक लगातार सिर्फ मूढ़ी और पानी पीकर रहना पड़ा, लेकिन एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहने के कारण सभी एकजुट रहे. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की मदद के बाद मजदूरों को काफी राहत मिली.

टनल से बाहर आए झारखंड के मजदूरों ने बताया कैसे बिताए 17 दिन

खूंटी: उत्तरकाशी के टनल में फंसे झारखंड के मजदूर वापस लौट आए हैं. इनमें से 3 मजदूर खूंटी के कर्रा प्रखंड के निवासी हैं. तीनों मजदूर आधी रात को कर्रा स्थित अपने गांव पहुंचे और राहत की सांस ली. आधी रात में भी गांव के लोग और मजदूरों के परिजन उनके घर वापसी की बाट जोह रहे थे. उनके घर पहुंचने के बाद परिजनों ने एक साथ भोजन किया और टनल में गुजरी मुश्किल हालातों के बारे जाना.

खूंटी में टनल में फंसे मजदूरों के घर पहुंचने पर उत्सव जैसा माहौल है. गांव के लोग जश्न मना रहे हैं. वहीं घर पहुंचने के बाद मजदूरों ने शनिवार दोपहर को सोनेमर माता के मंदिर में पूजा पाठ के साथ प्रार्थना की. घर गांव वापस आने के बाद कर्रा प्रखंड क्षेत्र के डुमारी का चमरा उरांव, सोटेया का विजय होरो और मधुगामा का गनपईत होरो अब फिर से मजदूरी के लिए बाहर जाना नहीं चाहते हैं. घर लौटे मजदूरों का कहना है कि अगर अपने राज्य या जिले में ही काम मिल जाए तो वे बाहर नहीं जाएंगे.

मजदूरों ने टनल में गुजारे अपने 17 दिनों का अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि दीपावली के दिन सभी 41 मजदूर मिलकर दीपावली मनाने की तैयारी कर रहे थे. कुछ लोगों की ड्यूटी चेंज हो गयी थी. जैसे ही वे आगे निकलना चाह रहे थे तभी टनल धंस गया और सुरंग पूरी तरह बंद हो गया. उसके बाद उन लोगों ने अपने सीनियर को सूचना दी. उन्होंने वॉकी टॉकी से बातचीत कर घटना की जानकारी कंपनी वालों तक पहुंचाई.

मजदूरों ने बताया कि टनल के अंदर 24-30 घंटे तक भूखे रहना पड़ा. फिर बाद में कुछ मूढ़ी वगैरह खाने को मिला. उन्होंने बताया कि डर बढ़ता जा रहा था कि हम लोग कैसे बाहर निकलेंगे. अपने परिवार वालों से मिल पाएंगे या नहीं. इसी उधेड़बुन में एक-एक दिन संशय और दहशत में बीत रहा था, लेकिन सभी 41 मजदूर एक साथ थे और एक दूसरे को ढांढस बंधाते रहते थे. उन्होंने बताया कि 12 दिन बाद पाइप के सहारे खाने पीने की सामग्रियों की व्यवस्था हुई. पाइप के सहारे ही पानी के उन्होंने सभी 41 मजदूरों का नाम लिखकर टनल के बाहर भेजा. 12 दिनों तक लगातार सिर्फ मूढ़ी और पानी पीकर रहना पड़ा, लेकिन एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहने के कारण सभी एकजुट रहे. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की मदद के बाद मजदूरों को काफी राहत मिली.

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Last Updated : Dec 2, 2023, 7:39 PM IST
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