खूंटी: शिक्षा का मंदिर होता है स्कूल जहां बच्चों को ना सिर्फ किताबी शिक्षा बल्कि नैतिकता भी सिखाई जाती है. लेकिन आरोप है कि खूंटी थाने के सामने स्थित राजकीयकृत आदर्श विद्यालय लूट का अड्डा बन गया है. यह आदर्श विद्यालय इसलिए भी खास है क्योंकि शहर के आसपास के 7 सरकारी स्कूलों को मर्ज कर एक आदर्श विद्यालय बनाया गया है. इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये गए थे ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा गरीब के बच्चे कर सकें, लेकिन सरकारी स्कूल होने के वावजूद यहां विद्यालय प्रभारी अवैध वसूली में लगे हुए हैं.
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विद्यार्थियों के अनुसार नए क्लास में एडमिशन के लिए विद्यालय प्रभारी सुधांशु दत्ता चाय, पानी, मीठा और अन्य काम के लिए गरीब विद्यार्थियों से ही पैसे की उगाही करते हैं. हालांकि विद्यालय प्रभारी सुधांशु दत्ता ने कैमरे पर साफ इंकार कर दिया कि वे एडमिशन के नाम पर पैसे की वसूली करते हैं, लेकिन जब विद्यालय के कई विद्यार्थियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनसे 200, 500 और तीन हजार तक एडमिशन के नाम पर पैसे लिए गए. जब कुछ विद्यार्थियों ने 500 रुपये देने में असमर्थता जताई तो विद्यालय प्रभारी सुधांशु दत्ता ने कहा कि हमें लंबे समय से वेतन नहीं मिला है और टंकी मरम्मत तथा टंकी सफाई के लिए पैसे की जरूरत होती है, साथ ही चाय पानी और मीठा का जुगाड़ भी करना होता है.
इस मसले पर जब प्रभारी जिला शिक्षा अधीक्षक अतुल कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है, अगर इस तरह का कोई भी मामला है तो वे उपायुक्त से मार्गदर्शन लेकर त्वरित कार्रवाई करेंगे और जरूरत पड़ी तो प्राथमिकी भी दर्ज कराई जाएगी. सरकारी स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान है, जिसमे संविधान के 86 में संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा 21(A) जोड़ा गया. यह प्रावधान कहता है कि राज्य विधि बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी छात्र एवं छात्राओं के लिए निःशुल्क शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जाएगी. इसके अंतर्गत किसी भी छात्र छात्राओं से शुल्क लेना दंडनीय अपराध है.