खूंटीः जिला में बालू का अवैध उत्खनन और अवैध बालू ढुलाई अब भी जारी है. ताजा मामला खूंटी-सिमडेगा जिला के बार्डर इलाका सोदे नदी घाट का है. जहां बॉर्डर का फायदा उठाकर नक्सली संगठन अपने इशारे पर बालू का अवैध उत्खनन कर टीला बनाकर बालू की सप्लाई कर सरकार को राजस्व का चूना लगा रहे हैं.
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सोदे नदी घाट से बालू का उत्खनन खूंटी जिला में किया जाता है, जबकि बालू का डंपिंग यार्ड नदी के उस पर सिमडेगा जिला में बनाया गया है. साथ ही बालू की ढुलाई सिमडेगा जिला से होते हुए भाया खूंटी और रांची पहुंचती है. बालू के उत्खनन और बालू सप्लाई में नक्सलियों ने अपना मजबूत नेटवर्क बनाया है. कहा जा सकता है कि खूंटी और सिमडेगा जिला के बॉर्डर इलाके का फायदा उठाते हुए बालू का अवैध धंधा लंबे समय से नक्सलियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का एक जरिया बन गया है. इस इलाके में बालू माफियाओं की ही चलती है, अगर किसी ने टोका-टोकी की तो अंजाम लोगों के लिए अच्छा नहीं होता है.
कई बार खूंटी जिला खनन विभाग ने बालू माफियाओं पर शिकंजा भी कसना चाहा. लेकिन सिमडेगा जिला के बॉर्डर का फायदा उठाकर चोरी-छुपे अन्य सड़कों से बालू की सप्लाई की जाती है. नक्सलियों के लिए सोदे नदी घाट बेहतर आमदनी का जरिया बन गया है. सरकार की ओर से अब तक बालू घाट की नीलामी ना होने से सरकार को कई नदी घाटों से अवैध बालू उत्खनन मामले में लाखों-करोड़ों के राजस्व की हानि भी हो रही है.
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रनिया प्रखंड के सीओ संदीप भगत की गोलमटोल बातों से यही लगता है कि इन्हें भी अवैध खनन से कोई लेना देना नहीं है. वो दावा जरूर कर रहे हैं कि अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई होती रही है. सोदे नदी घाटी से दशकों से बालू का अवैध उत्खनन होता रहा है. जिससे सरकार को अब तक कई करोड़ का नुकसान हो चुका है. इसको लेकर स्थानीय सीओ ने कहा कि अगर ऐसा है तो विशेष अभियान के तहत कार्रवाई की जाएगी.
जिला का रनिया प्रखंड अंतर्गत सोदे नदी की बालू की डिमांड रांची सहित आसपास के जिलों में खूब है. यही वजह है कि यहां से अवैध खनन का सिलसिला जारी है. स्थानीय प्रशासन की ओर से भले ही घाटों की नीलामी की बात की जाती हो. लेकिन यहां की नदी के घाटों की नीलामी कभी हुआ ही नहीं. आखिर प्रशासन ने यहां के नदी की नीलामी के लिए सरकार को प्रस्ताव क्यों नहीं भेजती है.