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खूंटी में हर घर नल जल योजना का काम अधर में, बूंद-बूंद पानी के लिए जूझ रहे ग्रामीण - पीने के पानी की समस्या

खूंटी में हर घर नल जल योजना का काम अधर में (Har Ghar Nal Jal scheme work pending in Khunti) है. विभागीय लापरवाही का आलम ऐसा है कि खूंटी और मुरहू प्रखंड क्षेत्र के जंगलों में पाइप सड़ रहा है और उसे देखने वाला कोई नहीं हैं. वहीं आदिवासी बहुल इलाकों के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए हर रोज जूझ रहे हैं.

Har Ghar Nal Jal scheme work pending in Khunti
खूंटी
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Published : Nov 28, 2022, 2:13 PM IST

Updated : Nov 28, 2022, 2:22 PM IST

खूंटीः केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना हर घर नल जल योजना खूंटी में दम तोड़ता दिखाई दे रहा (Har Ghar Nal Jal scheme in Khunti) है. विभागीय लापरवाही के कारण जिला में योजना कछुए की चाल से चल रहा है और ग्रामीण चुंआ और सार्वजनिक नलकूप के सहारे जीने को मजबूर हैं. जल नल योजना में लगाये जाने वाला पाइप जंगलों में फेंका हुआ है, जिसे देखने वाला भी कोई नहीं है.

इसे भी पढ़ें- पाकुड़ में पेयजल के लिए तरस रहा आदिम जनजाति पहाड़िया समाज, नहीं पहुंच रही प्रशासन की नजर

आदिवासी बहुल इलाकों के पीने के पानी की समस्या हमेशा ही रही है लेकिन इसे दूर करने की दिशा में पहल नहीं हुई. केंद्र सरकार की हर घर जल नल योजना से उम्मीद जगी कि शायद उनके दिन बहुरेंगे. लेकिन अफसरों और ठेकेदारों की लापरवाही ने इस योजना पर ग्रहण लगा दिया है. जिला के कुछ इलाकों में योजना शुरू जरूर किया गया लेकिन घरों तक पानी का एक बूंद भी नहीं पहुंच पाया है. यही नहीं योजना शुरू जरूर की गयी, पाइप भी खरीद लिए गए लेकिन जंगलों में पानी की पाइप सड़ता दिखाई दे रहा है.

देखें वीडियो


आदिवासी बहुल गांवों में प्रायः कुंआ या चुंआ से ही पानी की जरूरतें पूरी की जाती हैं. लेकिन लगातार भू-जलस्तर के घटने और नदियों के सूखने से कुएं भी सूखने लगे हैं. सरकारी विद्यालयों के लिए लगाए गए नलकूप से ही अब ग्रामीण अपनी दिनचर्या की पानी की जरूरतों को पूर्ण करने का प्रयास करते (drinking water crisis in Khunti) हैं. कुछ ऐसा ही हाल फूदी पंचायत के सिलदा गांव का है. जहां सुबह शाम विद्यालय परिसर के बाहर पानी के जुगाड़ में गांव की महिलाएं जुटी रहती हैं. लंबी लंबी कतार में लगकर पूरा दिन महज बाल्टी भर पानी के लिए जूझती रहती हैं. हर घर नल जल योजना का काम तो चल रहा है लेकिन मुर्छित हो रही योजना को ही जगाने के लिए जल की आवश्यकता पड़ रही है. खूंटी और मुरहू प्रखंड क्षेत्र के जंगलों में पाइप पड़ा हुआ है, जंगली जानवर पाइप पर चढ़ उतर कर अपना आहार ढूंढते रहते है. ऐसे कोताही भरे आलम को और क्या कहा जाए.

खूंटीः केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना हर घर नल जल योजना खूंटी में दम तोड़ता दिखाई दे रहा (Har Ghar Nal Jal scheme in Khunti) है. विभागीय लापरवाही के कारण जिला में योजना कछुए की चाल से चल रहा है और ग्रामीण चुंआ और सार्वजनिक नलकूप के सहारे जीने को मजबूर हैं. जल नल योजना में लगाये जाने वाला पाइप जंगलों में फेंका हुआ है, जिसे देखने वाला भी कोई नहीं है.

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आदिवासी बहुल इलाकों के पीने के पानी की समस्या हमेशा ही रही है लेकिन इसे दूर करने की दिशा में पहल नहीं हुई. केंद्र सरकार की हर घर जल नल योजना से उम्मीद जगी कि शायद उनके दिन बहुरेंगे. लेकिन अफसरों और ठेकेदारों की लापरवाही ने इस योजना पर ग्रहण लगा दिया है. जिला के कुछ इलाकों में योजना शुरू जरूर किया गया लेकिन घरों तक पानी का एक बूंद भी नहीं पहुंच पाया है. यही नहीं योजना शुरू जरूर की गयी, पाइप भी खरीद लिए गए लेकिन जंगलों में पानी की पाइप सड़ता दिखाई दे रहा है.

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आदिवासी बहुल गांवों में प्रायः कुंआ या चुंआ से ही पानी की जरूरतें पूरी की जाती हैं. लेकिन लगातार भू-जलस्तर के घटने और नदियों के सूखने से कुएं भी सूखने लगे हैं. सरकारी विद्यालयों के लिए लगाए गए नलकूप से ही अब ग्रामीण अपनी दिनचर्या की पानी की जरूरतों को पूर्ण करने का प्रयास करते (drinking water crisis in Khunti) हैं. कुछ ऐसा ही हाल फूदी पंचायत के सिलदा गांव का है. जहां सुबह शाम विद्यालय परिसर के बाहर पानी के जुगाड़ में गांव की महिलाएं जुटी रहती हैं. लंबी लंबी कतार में लगकर पूरा दिन महज बाल्टी भर पानी के लिए जूझती रहती हैं. हर घर नल जल योजना का काम तो चल रहा है लेकिन मुर्छित हो रही योजना को ही जगाने के लिए जल की आवश्यकता पड़ रही है. खूंटी और मुरहू प्रखंड क्षेत्र के जंगलों में पाइप पड़ा हुआ है, जंगली जानवर पाइप पर चढ़ उतर कर अपना आहार ढूंढते रहते है. ऐसे कोताही भरे आलम को और क्या कहा जाए.

Last Updated : Nov 28, 2022, 2:22 PM IST
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