ETV Bharat / state

Administrative negligence in Khunti: खुले आसमान में स्टोर रूम, चापाकल मरम्मती का समान हो रहा बर्बाद

author img

By

Published : Feb 3, 2023, 8:15 AM IST

Updated : Feb 3, 2023, 8:53 AM IST

खूंटी में प्रशासनिक लापरवाही के कारण चापाकल को दुरुस्त करने के लिए खरीदा गया उपकरण बर्बाद हो रहा है. इसकी वजह है कि उपकरणों को सुरक्षित रखने के बाद खुले आसमान में रखा गया है.

Administrative negligence in Khunti
खुले आसमान में स्टोर रूम
देखें वीडियो

खूंटीः आम जनता अपनी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा सरकार को टैक्स के रूप से देती हैं, ताकि सरकार आमलोगों को बिजली, सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध करा सके. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहने को मजबूर होते हैं.

यह भी पढ़ेंः खूंटीः पेयजल समस्या पर पक्ष-विपक्ष आमने सामने, एक दूसरे पर लगा रहे आरोप-प्रत्यारोप

खूंटी पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल कार्यलय परिसर स्टोर रूम बना है, जहां करोड़ों रुपये के उपकरण खुले आसमान के नीचे रखा गया है. सरकारी बाबुओं की लापरवाही से करोड़ो रुपये के सरकारी उपकरण बर्बाद हो रहे हैं. यह उपकरण ग्रामीण इलाकों के खराब चापाकल को दुरुस्त करने के लिए खरीदा गया है.

बता दें कि जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में पेयजल व्यवस्था दुरुस्त रहे. इसको लेकर खराब चापाकल और नलकुंप आदि को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी पेयजल स्वच्छता विभाग की है. लेकिन चापाकल के मरम्मती में लगने वाला समान खुले आसमान ने नीचे बर्बाद हो रहा है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है. आलम यह है कि विभाग के अभियंता और कर्मचारी इसे बर्बादी नहीं मानते है. लेकिन वीडियो बनाने और खबर लिखने से मना भी करते है.

ईटीवी भारत की टीम खराब हो रहे उपकरणों का जायजा लेने पहुंचे तो विभाग के अधिकारी और कर्मचारी खुले आसमान के नीचे बनाये गए स्टोर रूम के पास पहुंच गए. विभागीय अधिकारी ईटीवी भारत की टीम को वीडियो बनाने से रोक दिया और कहा कि कोई सामान बर्बाद नहीं हो रहा है. अधिकारियों ने कहा कि खुले आसमान में भी स्टोर रूम होता है और कोई सामान खराब नहीं हो रहा है.

पेयजल स्वच्छता प्रमंडल के अभियंता सुरेंद्र कुमार दिनकर ने कहा कि खुले आसमान के नीचे स्टोर रूम बनाया गया है तो उसकी जांच की जाएगी. इसमें जो भी दोषी अधिकारी और कर्मचारी होंगे, उसपर कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि गर्मी का मौसम आने वाला है और गर्मी के दिनों में जिला मुख्यालय से लेकर ग्रमीण इलाकों तक पीने के पानी का संकट गहरा जाता है. प्रत्येक साल पेयजल आर्पूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. लेकिन पेयजल संकट का स्थाई निदान नहीं किया जा रहा है. स्थिति यह है कि छोटी मोटी खराबी के कारण जिले के सैकड़ों चापाकल खराब पड़े हैं, जिसपर विभाग की नजर नहीं है.

देखें वीडियो

खूंटीः आम जनता अपनी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा सरकार को टैक्स के रूप से देती हैं, ताकि सरकार आमलोगों को बिजली, सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध करा सके. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहने को मजबूर होते हैं.

यह भी पढ़ेंः खूंटीः पेयजल समस्या पर पक्ष-विपक्ष आमने सामने, एक दूसरे पर लगा रहे आरोप-प्रत्यारोप

खूंटी पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल कार्यलय परिसर स्टोर रूम बना है, जहां करोड़ों रुपये के उपकरण खुले आसमान के नीचे रखा गया है. सरकारी बाबुओं की लापरवाही से करोड़ो रुपये के सरकारी उपकरण बर्बाद हो रहे हैं. यह उपकरण ग्रामीण इलाकों के खराब चापाकल को दुरुस्त करने के लिए खरीदा गया है.

बता दें कि जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में पेयजल व्यवस्था दुरुस्त रहे. इसको लेकर खराब चापाकल और नलकुंप आदि को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी पेयजल स्वच्छता विभाग की है. लेकिन चापाकल के मरम्मती में लगने वाला समान खुले आसमान ने नीचे बर्बाद हो रहा है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है. आलम यह है कि विभाग के अभियंता और कर्मचारी इसे बर्बादी नहीं मानते है. लेकिन वीडियो बनाने और खबर लिखने से मना भी करते है.

ईटीवी भारत की टीम खराब हो रहे उपकरणों का जायजा लेने पहुंचे तो विभाग के अधिकारी और कर्मचारी खुले आसमान के नीचे बनाये गए स्टोर रूम के पास पहुंच गए. विभागीय अधिकारी ईटीवी भारत की टीम को वीडियो बनाने से रोक दिया और कहा कि कोई सामान बर्बाद नहीं हो रहा है. अधिकारियों ने कहा कि खुले आसमान में भी स्टोर रूम होता है और कोई सामान खराब नहीं हो रहा है.

पेयजल स्वच्छता प्रमंडल के अभियंता सुरेंद्र कुमार दिनकर ने कहा कि खुले आसमान के नीचे स्टोर रूम बनाया गया है तो उसकी जांच की जाएगी. इसमें जो भी दोषी अधिकारी और कर्मचारी होंगे, उसपर कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि गर्मी का मौसम आने वाला है और गर्मी के दिनों में जिला मुख्यालय से लेकर ग्रमीण इलाकों तक पीने के पानी का संकट गहरा जाता है. प्रत्येक साल पेयजल आर्पूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. लेकिन पेयजल संकट का स्थाई निदान नहीं किया जा रहा है. स्थिति यह है कि छोटी मोटी खराबी के कारण जिले के सैकड़ों चापाकल खराब पड़े हैं, जिसपर विभाग की नजर नहीं है.

Last Updated : Feb 3, 2023, 8:53 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.