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Khunti News: आमरेश्वरधाम मंदिर निर्माण के 50 वर्ष हुए पूरे, आम्रेश्वरधाम मंदिर प्रबंधन समिति मनाएगी गोल्डन जुबली

आम्रेश्वरधाम मंदिर का 50वां स्थापना दिवस गोल्डन जुबली के रूप में मनाया जाएगा. इस अवसर पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. आमरेश्वर धाम प्रबंध समिति के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी.

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Foundation Day Of Amreshwardham Temple
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 26, 2023, 3:26 PM IST

खूंटी: जिले के प्रसिद्ध आम्रेश्वरधाम मंदिर प्रबंधन समिति के 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. इस अवसर पर आमरेश्वर धाम प्रबंध समिति ने गोल्डन जुबली मनाने का निर्णय लिया है. इस संबंध में आमरेश्वरधाम मंदिर परिसर में प्रेस वार्ता कर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष लाल ज्ञानेंद्र नाथ शाहदेव ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 50 वर्षों में बाबा आम्रेश्वर धाम प्रबंध समिति द्वारा पूरी निष्ठा और लगन के साथ भक्तों की सेवा की जा रही है. साथ ही मंदिर के विकास के लिए कई काम कराए गए हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में आम पेड़ के नीचे बाबा भोलेनाथ ने दर्शन दिए थे. कालांतर में उक्त स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया. इसके बाद गणेश मंदिर, दुर्गा मंदिर, काली मंदिर, बजरंगबली मंदिर समेत कई मंदिर का निर्माण भक्तों के सहयोग से कराया गया.

ये भी पढ़ें-Sawan 2023: बाबा आम्रेश्वर धाम मे भक्तों लगी भीड़, जलाभिषेक के साथ की गई नाग पंचमी की पूजा

सावन में श्रद्धालुओं की उमड़ती है भीड़ः हर वर्ष सावन माह में कांवरियों की भीड़ बाबा आम्रेश्वरधाम में उमड़ती है. सावन में हजारों-लाखों श्रद्धालु जलभिषेक करने के लिए बाबा आम्रेश्वरधाम पहुंचते हैं. बाबा आम्रेश्वर धाम में स्वच्छता और सुरक्षा के भी प्रबंध समिति और जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है. बाबा आम्रेश्वरधाम में सालोंभर पूजा-अर्चना होने के साथ-साथ विशेष अवसरों दुर्गा पूजा, शिवरात्रि, नवरात्रि, जन्माष्टमी पर कई अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है. साथ ही शादी- विवाह और मुंडन आदि का भी आयोजन किया जाता है. श्रद्धालु यहां दूर-दूर से मन्नतें मांगने के लिए पहुंचते हैं.

आम्रेश्वरधाम मंदिर से जुड़ी कहानीः आम्रेश्वरधाम मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष ने बताया कि वर्षों पूर्व आम पेड़ के नीचे बाबा भोलेनाथ ने दर्शन दिए थे. जिसे महादेव सोकड़ा के नाम से जाना जाता था. इनकी महिमा चारों ओर फैलने से दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन-पूजन के लिए पहुंचने लगे. इसी बीच बद्रीनाथ पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अंगराबाड़ी पहुंचे और भोलेनाथ की दिव्यता को जाना और इस स्थल का नाम बाबा आम्रेश्वरधाम रखने का प्रस्ताव दिया. तब से यह बाबा आम्रेश्वर धाम के नाम से प्रचलित हो गए और इसके नाम से ही 1973 में बाबा आम्रेश्वर धाम प्रबंध समिति का गठन किया गया.

मंदिर का विकास कार्य रहेगा जारीः वर्तमान समय में आम्रेश्वरधाम में अनेक मंदिरों के अलावे पांच धर्मशाला, विवाह मंडप, बहुद्देशीय भवन, पार्क, तालाब, दुकानें आदि शिवभक्तों और पर्यटकों के लिए बनाए गए हैं. चंदा के पैसे, दान और जिला प्रशासन के सहयोग से सभी निर्माण कार्य कराए गए. आगे भी बाबा आम्रेश्वर धाम का विकास किया जाएगा. इस मौके पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष रमेश मांझी, उपाध्यक्ष मुनीनाथ मिश्रा, कोषाध्यक्ष संतोष पोद्दार, प्रबंधक सत्यजीत कुंडू, सदस्य संतोष कर समेत अन्य उपस्थित थे.

खूंटी: जिले के प्रसिद्ध आम्रेश्वरधाम मंदिर प्रबंधन समिति के 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. इस अवसर पर आमरेश्वर धाम प्रबंध समिति ने गोल्डन जुबली मनाने का निर्णय लिया है. इस संबंध में आमरेश्वरधाम मंदिर परिसर में प्रेस वार्ता कर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष लाल ज्ञानेंद्र नाथ शाहदेव ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 50 वर्षों में बाबा आम्रेश्वर धाम प्रबंध समिति द्वारा पूरी निष्ठा और लगन के साथ भक्तों की सेवा की जा रही है. साथ ही मंदिर के विकास के लिए कई काम कराए गए हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में आम पेड़ के नीचे बाबा भोलेनाथ ने दर्शन दिए थे. कालांतर में उक्त स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया. इसके बाद गणेश मंदिर, दुर्गा मंदिर, काली मंदिर, बजरंगबली मंदिर समेत कई मंदिर का निर्माण भक्तों के सहयोग से कराया गया.

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सावन में श्रद्धालुओं की उमड़ती है भीड़ः हर वर्ष सावन माह में कांवरियों की भीड़ बाबा आम्रेश्वरधाम में उमड़ती है. सावन में हजारों-लाखों श्रद्धालु जलभिषेक करने के लिए बाबा आम्रेश्वरधाम पहुंचते हैं. बाबा आम्रेश्वर धाम में स्वच्छता और सुरक्षा के भी प्रबंध समिति और जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है. बाबा आम्रेश्वरधाम में सालोंभर पूजा-अर्चना होने के साथ-साथ विशेष अवसरों दुर्गा पूजा, शिवरात्रि, नवरात्रि, जन्माष्टमी पर कई अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है. साथ ही शादी- विवाह और मुंडन आदि का भी आयोजन किया जाता है. श्रद्धालु यहां दूर-दूर से मन्नतें मांगने के लिए पहुंचते हैं.

आम्रेश्वरधाम मंदिर से जुड़ी कहानीः आम्रेश्वरधाम मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष ने बताया कि वर्षों पूर्व आम पेड़ के नीचे बाबा भोलेनाथ ने दर्शन दिए थे. जिसे महादेव सोकड़ा के नाम से जाना जाता था. इनकी महिमा चारों ओर फैलने से दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन-पूजन के लिए पहुंचने लगे. इसी बीच बद्रीनाथ पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अंगराबाड़ी पहुंचे और भोलेनाथ की दिव्यता को जाना और इस स्थल का नाम बाबा आम्रेश्वरधाम रखने का प्रस्ताव दिया. तब से यह बाबा आम्रेश्वर धाम के नाम से प्रचलित हो गए और इसके नाम से ही 1973 में बाबा आम्रेश्वर धाम प्रबंध समिति का गठन किया गया.

मंदिर का विकास कार्य रहेगा जारीः वर्तमान समय में आम्रेश्वरधाम में अनेक मंदिरों के अलावे पांच धर्मशाला, विवाह मंडप, बहुद्देशीय भवन, पार्क, तालाब, दुकानें आदि शिवभक्तों और पर्यटकों के लिए बनाए गए हैं. चंदा के पैसे, दान और जिला प्रशासन के सहयोग से सभी निर्माण कार्य कराए गए. आगे भी बाबा आम्रेश्वर धाम का विकास किया जाएगा. इस मौके पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष रमेश मांझी, उपाध्यक्ष मुनीनाथ मिश्रा, कोषाध्यक्ष संतोष पोद्दार, प्रबंधक सत्यजीत कुंडू, सदस्य संतोष कर समेत अन्य उपस्थित थे.

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