खूंटीः जिला में जंगलों को काटकर लकड़ियों की तस्करी जारी है. वन प्रमंडल क्षेत्र के तमाड़, खूंटी, मुरहू इलाके में वृहद पैमाने पर जंगलों को काटा जा रहा है. सखुआ के पेड़ों को काटकर तस्करी के लिए तैयार किया गया है और रात के अंधेरे में लकड़ी माफिया जंगलों से लकड़ी की तस्करी करते है. हालांकि वन विभाग ने पेड़ कटाई से इनकार किया है लेकिन इसके अवैध तरीके से परिवहन की पुष्टि जरूर की है.
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ईटीवी भारत के कैमरे में कैद नक्सल प्रभावित अड़की, मुरहू और सीमावर्ती इलाके के जंगलों की तस्वीरें ये बयां कर रही हैं कि इन क्षेत्रों से लकड़ी माफिया कितने सक्रिय हैं. मुरहू और अड़की इलाके के गांव जहां के जंगलों में कटी हुई लकड़ियों का ढेर मौजूद है, इसमें सखुआ के पेड़ भी हैं. तापिंगसेरा, इटटी, कोरबा, जापुद, तिरला, चैपी, चोंडोडीह, कसमार, लौंगा, नारंगा, तुबिल, चलजड, कुरिया, कटुई, रोकाब, कुरुंगा, बीरबांकी, घाघरा, तोडांग, बागड़ी और मदहातु के जंगल शामिल है. वहीं खूंटी प्रखंड मुख्यालय से सटे इलाके के कालामाटी क्षेत्र के सिलदा, डूंगरा, दंडौल, अंबा टोली, कालामाटी, हातुदामी, आणिडीह, छोटाबारू, आरगोड़ी, मुरही समेत आसपास के जंगल में भारी संख्या में लकड़ी की अवैध तस्करी जारी है.
वनों की सुरक्षा करने वाले ग्रामीण ही पेड़ों को काटकर तस्करों को बेचते हैं और तस्कर ऊंचे दामों में खूंटी और रांची के टिंबर मालिकों को सखुआ की लकड़ी सप्लाई करते हैं. ईटीवी भारत के साथ बातचीत में ऑन द रिकॉर्ड कैमरे के सामने कुछ नहीं कहते हैं. लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड और अपना नाम ना बताने की शर्त पर कहते हैं कि इस धंधे में खूंटी और रांची के माफिया इसमें शामिल हैं जो रोजाना जंगलों से बड़े बड़े गाड़ियों में लादकर ले जाते हैं.
ग्रामीण बताते हैं कि गांव के लोग पेड़ काटते हैं, जिसमें उनको ग्रामीण 100 से 150 सौ रुपये सीएफटी में तस्करों को लकड़ी बेचते है जबकि माफिया उसे 500 से 800 रुपये में बेचता है. माफिया जंगल से लकड़ी निकालकर सीधे रांची और खूंटी के टिंबर में ले जाता है. इसमें ज्यादातर लकड़ियां खूंटी और रनिया के टिंबर के अलावा रांची के कई टिंबरों में जाता है. यही नहीं इसके अलावा रांची के दर्जनों टिंबर में खूंटी की लकड़ी को तस्करी कर पहुंचाया जाता है. ग्रामीणों ने स्थानीय स्तर के माफियाओं के नाम भी बताए हैं जिसमें मुख्य रूप से खूंटी के दो बड़े नेता का नाम शामिल है जबकि स्थानीय स्तर पर दबंग किस्म के लोग इस धंधे में शामिल हैं.
इसको लेकर वन विभाग ने लकड़ी की अवैध तस्करी से इनकार नहीं किया लेकिन वन विभाग ने दावा जरूर किया है कि वन प्रमंडल क्षेत्र से जंगलों की कटाई नहीं होती है. डीएफओ कुलदीप मीणा ने बताया कि दो क्यूआरटी टीम बनाई गयी है जो लगातार जंगलों की निगरानी करता है और कार्रवाई भी करता रहा है. उन्होंने बताया कि परिवहन होने की जानकारी है और ढुलाई करने वाले गाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है और अगर जंगलों से लकड़ी की कटाई हुई है तो जांच कर कार्रवाई की होगी.
अवैध लकड़ी से लदा ट्रक जब्तः खूंटी वन विभाग ने सोमवार को अवैध लकड़ी के तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की. वन विभाग की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर रनिया थाना क्षेत्र के मरचा मोड़ से 12 चक्का (बीआर 29 जीए 7745) ट्रक में लदे 60 पीस साल बोटा और 12 चक्का ट्रक जब्त किया. वन पदाधिकारियों ने जब्त लकड़ियों की तस्करी के खिलाफ वनवाद दायर किया. इस कार्रवाई में जब्त लकड़ी की अनुमानित बाजार मूल्य लगभग पांच लाख रुपये आंकी गयी है.
डीएफओ कुलदीप मीणा ने बताया कि उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि पश्चिम सिंहभूम के आनंदपुर क्षेत्र के 12 चक्का ट्रक में अवैध लकड़ी का परिवहन कर बिहार ले जाने की सूचना मिली थी. मरचा मोड पर एक 12 चक्का ट्रक का पीछाकर जांच के लिए रोकने का इशारा किया तो चालक कुछ दूर ट्रक भगाकर ले गया एवं सुनसान जगह पर ट्रक छोड़कर फरार हो गया. डीएफओ ने बताया कि लकड़ी तस्करों द्वारा वन विभाग को गुमराह करने के लिए ट्रक में लकड़ी के ऊपर लहसुन एवं पशु चारा लाद दिया था. उन्होंने बताया कि इसके पूर्व भी लकड़ी के ऊपर पशु चारा लदा एक ट्रक को पकड़ा गया था.