खूंटीः जिले में पदस्थापना का इंतजार कर रहे दो सौ शिक्षकों के मामले में अब खूंटी में शिक्षा विभाग (khunti Education department) की नींद टूटी है. ईटीवी भारत में प्रमुखता से इसकी खबर प्रकाशित होने के बाद अब पदस्थापना का तीन साल से इंतजार कर रहे शिक्षकों की लंबित फाइल ढूंढ़ी जाने लगी है. हालांकि खबर लिखे जाने तक कार्यालय में फाइल नहीं मिली थी. इस मामले में लापरवही पर डीएसई को भी फटकार लगी है. इसी के साथ एसडीओ ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
ये भी पढ़ें-खूंटी के शिक्षा विभाग में आराम की नौकरी, बंद स्कूलों में ड्यूटी और मुफ्त की तनख्वाह
दरअसल, वर्ष 2018 से 2019 तक जिले में स्कूल मर्जर (merger of schools in khunti) के 3 साल गुजरने के बावजूद इन विद्यालयों के दो सौ से ज्यादा शिक्षकों के पदस्थापन का मामला लंबित है, जबकि शिक्षक बिना पढ़ाए ही बंद हुए पुराने विद्यालयों के नाम पर वेतन ले रहे हैं. इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने खूंटी के शिक्षा विभाग में आराम की नौकरी, बंद स्कूलों में ड्यूटी और मुफ्त की तनख्वाह शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी. इस पर शिक्षा विभाग हरकत में आया है. अब शिक्षा विभाग के दफ्तर में बंद स्कूलों के शिक्षकों के पदस्थापन की फाइल ढूंढ़ी जा रही है. लेकिन शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो लापरवाही के कारण फाइल अब कार्यालय में भी नहीं मिल रही है. वहीं डीएसई को जमकर फटकार लगी है.
एक जुलाई तक पदस्थापना के निर्देश
पदस्थापना का इंतजार कर रहे शिक्षकों के लिए राहत भरी खबर है. ईटीवी भारत की खबर के बाद अब डीएसई को 1 जुलाई तक सभी शिक्षकों की पदस्थापना करने के निर्देश दिए गए हैं. अनुमण्डल पदाधिकारी ने इस बाबत कहा कि एक दिन पूर्व ही इस मसले की जानकारी उन्हें ईटीवी भारत के जरिये हुई है. शिक्षा विभाग की ओर से यदि शिक्षकों के पदस्थापन में लापरवाही बरती गई है तो निश्चित ही जांच कराएंगे. अगर गड़बड़ी हुई है तो सख्त कार्रवाई होगी. इस मामले में एसडीओ उषा मुंडू ने एक सवाल पर कहा कि डीएसई के खिलाफ पूर्व में रिश्वतखोरी के आरोप लग चुके हैं. इसलिए इसकी जांच कराएंगे कि शिक्षकों की पदस्थापना क्यों नहीं की गई. इस मामले में किसी लेनदेन को लेकर तो फाइल नहीं रोकी गई.
जिला प्रशासन देखेगा मामलाः विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा
स्थानीय विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि यह जिला प्रशासन के अधिकार क्षेत्र का मसला है. स्थापना की बैठक उपायुक्त की अध्यक्षता में होती रही है. कई बार जिला प्रशासन की ओर से स्थापना की बैठक की गई और इसी बैठक में शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग का फैसला होता है लेकिन अब तक यह मसला क्यों लंबित है, इसे जिला प्रशासन को देखना चाहिए.
झारखंड में छह हजार विद्यालयों को किया गया था मर्ज
बताते चलें कि पूरे झारखंड में 2018 में लगभग 6000 विद्यालयों को दूसरे विद्यालयों में मर्ज किया गया था. विद्यालय मर्जर में खूंटी जिले को छोड़कर राज्य के अन्य सभी जिलों में शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के पदस्थापन के कार्य को पूर्ण कर लिया है. खूंटी जिले में शिक्षकों का पदस्थापन नहीं होने से शिक्षक बिना काम के वेतन ले रहे हैं.