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पद्मभूषण कड़िया मुंडा से खास बातचीतः 22 साल में पोस्टर पर विकास, बुनियादी सुविधाओं से वंचित है झारखंड - राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा

पद्मभूषण कड़िया मुंडा ( Padma Bhushan Kariya Munda), 45 साल का सियासी सफर, 8 बार सांसद, लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री, 2 बार विधायक और बीजेपी के कद्दावर नेता, ये नाम किसी पहचान की मोहताज नहीं है. सियासी मुद्दों से लेकर उनके जीवन और विचारों की झलक पाने के लिए ईटीवी भारत ने पद्मभूषण कड़िया मुंडा से खास बातचीत की. आप भी जानिए, कैसा है उनका व्यक्तित्व और कैसा रहा उनका राजनीतिक जीवन.

ETV Bharat exclusive interview with Padma Bhushan Kariya Munda
कड़िया मुण्डा
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Published : Sep 3, 2022, 6:04 AM IST

खूंटीः झारखंड की माटी, जनजातीय समुदाय का एक ऐसा चेहरा, जिन्होंने अपने विचार और आचरण की बदौलत प्रदेश की सियासत को बुलंदियों पर पहुंचाया. झारखंड की सियासत में अच्छी पकड़ रखने वाले कड़िया मुंडा आज भी अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं. राजनीतिक कोलाहल से दूर आज वो अपने गांव खूंटी जिला के अनगड़ा में खेती-बारी में व्यस्त हैं. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत (ETV Bharat Interview Padma Bhushan Kariya Munda) की है और झारखंड के विकास और सियासी पहलुओं पर उनकी राय से रूबरू हुए.

इसे भी पढ़ें- खेत-खलिहान में समय बिता रहे पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा, बोले- किसानी कार्य में रखता हूं बेहतर अनुभव

झारखंड के खूंटी जिला से 8 बार सांसद, लोकसभा उपाध्यक्ष, 2 बार विधायक व भाजपा सरकार में कोयला मंत्रालय एवं अन्य विभागों के मंत्रालय संभालने वाले भाजपा के कद्दावर नेता व पद्मभूषण से सम्मानित कड़िया मुंडा ने की ईटीवी भारत से खास बातचीत. कड़िया मुंडा अपने 45 साल के राजनीतिक सफर (political journey of Kariya Munda) और झारखंड की सियासत पर बेबाक बोलते दिखे. झारखंड में गरमाई सियासत और माननीयों का झारखंड छोड़ बाहरी राज्यों में चले जाने पर कड़िया मुंडा ने कहा कि किसी भी दल के विधायक या दल को विधायकों पर विश्वास नहीं है और विधायकों को भी अपने नेता पर विश्वास नहीं है. झारखंड में कुछ दिनों से ऐसा ही दिख रहा है. लोगों को बेवकूफ बनाकर सत्ता हथिया लिया और धरातल पर कोई कार्य नहीं किया. झारखंड की जनता से यहां के नेता राजनीति तो कर रहे हैं कूटनीति भी करने लगे हैं. जिस कारण आज के नेताओं को अपने पद की चिंता है ना कि जनता की. दोनों पार्टी अपने ही दल के विधायकों को अपने विश्वास में नहीं ले पाए हैं. केवल पद के लिए इस तरह की राजनीति करेंगे तो ऐसा ही होगा कि जीतेंगे तो विधायक बनेंगे, मंत्री बनेंगे और पैसा कमाएंगे. जनता बहुत उम्मीद से विधायक नेता चुनती है लेकिन विधायक जीतने के बाद आम लोगों से कट जाते हैं.

पद्मभूषण कड़िया मुंडा से खास बातचीत

झारखंड की वर्तमान राजनीतिक हालात को लेकर पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने कहा कि इन 22 साल में झारखंड में सिर्फ राजनीति ही हुई है. झारखंड के सभी मुख्यमंत्रियों ने बैनर पोस्टर के माध्यम से खूब विकास किया. लेकिन जमीनी स्तर से आज भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है. झारखंड गठन के बाद सबसे ज्यादा भाजपा ने शासन किया बावजूद भाजपा सरकार पर भी तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने भी झारखंड के बुनियादी ढांचा का विकास नहीं (Jharkhand not developed said Kariya Munda) किया. झारखंड निर्माण के 22 साल गुजर गए लेकिन आज भी आधारभूत संरचनाओं के विकास का कार्य नहीं हुआ है. साथ ही यहां की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं, शिक्षा का विकास नहीं हुआ, स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं हो पाई, बिजली, पानी, सड़क का भी विकास कार्य अधूरा है.


2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कड़िया मुंडा का टिकट काटकर अर्जुन मुंडा को टिकट दिया. टिकट कटने के बावजूद संगठन से बगैर नाराज हुए कड़िया मुंडा ने अर्जुन मुंडा को जीत दिलाने के लिए जान लगा दी. कड़िया मुंडा ने खूंटी के बिगड़ते माहौल व भटकते युवाओं पर बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि यहां के नौजवान अवैध अफीम की जद में आ गए हैं. कम समय में ज्यादा पैसे कमाने की लालच ने युवाओं को बिगाड़ दिया है, जो आने वाले दिन के लिए खतरे का संकेत है. घर बैठकर सामाजिक कार्यकर्त्ताओं से मिलकर भटके युवाओं को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने बताया कि अफीम के साथ पकड़े गए युवाओं की पैरवी में आये परिजनो से वो गुजारिश करते हैं कि अफीम छोड़ अन्य फसलों की खेती करें.

इसे भी पढ़ें- पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की बिगड़ी तबीयत, रांची के मेडिका में भर्ती


ईटीवी भारत से पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बात की लेकिन जब खुद की बारी आई तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हमने कभी टिकट नहीं मांगा, पार्टी को जब जैसा महसूस हुआ मुझे टिकट देकर सेवा का मौका दिया. जब कभी किसी भी पद पर मुझे जिम्मेवारी दी गयी उसे मैंने अपना दायित्व समझकर पूर्ण किया. हालांकि एक सवाल पूछा गया कि अन्य सांसदों की तरह आप टिकट के लिए लाइजनिंग नहीं करते तो उन्होंने बेबाकी से कहा कि मुझे गुटबाजी पसंद नहीं औरों की तरह मैं किसी की लाइजनिंग करने नहीं जाता.

पद्मभूषण कड़िया मुंडा से खास बातचीत

झारखंड की माटी में रचे बसे पद्मभूषण कड़िया मुंडा अपनी सादगी के लिए खास तौर पर जाने जाते हैं. सियासी कोलाहल से दूर आज वो अपने गांव में खेती-बारी में व्यस्त हैं. लेकिन अपने क्षेत्र के लोगों के लिए वो हमेशा से काम करते रहे हैं. टिकट मिले या ना मिले लेकिन वो अपनी पार्टी के लिए एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम करते हुए हमेशा से नजर आते हैं. हालिया वो बीमार भी हुए थे तो पीएम नरेंद्र मोदी ने उनका हालचाल लिया था. उस वाकये की चर्चा करते हुए थोड़े भाव-विभोर हो जाते हैं और कहते हैं कि उन्होंने मेरा हालचाल लिया मेरे लिए यही बड़ी बात है. भाजपा के दिग्गज नेता पद्मभूषण सम्मानित खूंटी के पूर्व सांसद कड़िया मुंडा आज भी जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं. लगातार भाजपा की राजनीति करते हुए दिल्ली आना जाना लगा रहा, लेकिन सत्ता पर आसीन होकर भी मुंडा की सादगी अन्य नेताओं से अलग रही. आज जब दिल्ली की राजनीति से दूर हैं तो इत्मीनान होकर किसानी कार्यों में जुड़े हैं.

इसे भी पढ़ें- झारखंड की 4 हस्तियों को मिला पद्म सम्मान, जानिए इनको

पद्मभूषण कड़िया मुंडा का सियासी सफरः पद्मभूषण कड़िया मुंडा बेहद सरल और बगैर लाग लपेट के हर सवाल का बखूबी जवाब देते हैं. कड़िया मुंडा पहली बार खूंटी से निकलकर 1977 में सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे, जहां वह 1980 तक सांसद रहे. 1980 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद 1981 में खिजरी विधानसभा से विधायक बने और 1985 तक विधायक रहे. 1985 के लोकसभा चुनाव फिर से हार गए और 1989 में दोबारा सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे. 2004 चुनाव हारने के बाद 2005 में दोबारा खिजरी के विधायक बने और 2009 का लोकसभा चुनाव जीते, उसके बाद लगातार कड़िया मुंडा सांसद बने रहे. 2009 से 2014, 2014 से 2019 तक सांसद रहे.

कड़िया मुंडा इस लंबे सफर के दौरान 1977 से 1980 तक केंद्र में खान एवं इस्पात राज्य मंत्री रहे. उसके बाद 2002 से 2003 तक कोयला मंत्री उसके बाद कोयला मंत्री से हटाकर कड़िया जी को अपारंपरिक मंत्री बनाया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कड़िया मुंडा लोकसभा उपाध्यक्ष चुने गए और 2014 तक उपाध्यक्ष रहे. 2014 से 2019 तक सांसद रहे, उसके बाद भाजपा ने 2019 में लोकसभा का टिकट नहीं दिया.

खूंटीः झारखंड की माटी, जनजातीय समुदाय का एक ऐसा चेहरा, जिन्होंने अपने विचार और आचरण की बदौलत प्रदेश की सियासत को बुलंदियों पर पहुंचाया. झारखंड की सियासत में अच्छी पकड़ रखने वाले कड़िया मुंडा आज भी अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं. राजनीतिक कोलाहल से दूर आज वो अपने गांव खूंटी जिला के अनगड़ा में खेती-बारी में व्यस्त हैं. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत (ETV Bharat Interview Padma Bhushan Kariya Munda) की है और झारखंड के विकास और सियासी पहलुओं पर उनकी राय से रूबरू हुए.

इसे भी पढ़ें- खेत-खलिहान में समय बिता रहे पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा, बोले- किसानी कार्य में रखता हूं बेहतर अनुभव

झारखंड के खूंटी जिला से 8 बार सांसद, लोकसभा उपाध्यक्ष, 2 बार विधायक व भाजपा सरकार में कोयला मंत्रालय एवं अन्य विभागों के मंत्रालय संभालने वाले भाजपा के कद्दावर नेता व पद्मभूषण से सम्मानित कड़िया मुंडा ने की ईटीवी भारत से खास बातचीत. कड़िया मुंडा अपने 45 साल के राजनीतिक सफर (political journey of Kariya Munda) और झारखंड की सियासत पर बेबाक बोलते दिखे. झारखंड में गरमाई सियासत और माननीयों का झारखंड छोड़ बाहरी राज्यों में चले जाने पर कड़िया मुंडा ने कहा कि किसी भी दल के विधायक या दल को विधायकों पर विश्वास नहीं है और विधायकों को भी अपने नेता पर विश्वास नहीं है. झारखंड में कुछ दिनों से ऐसा ही दिख रहा है. लोगों को बेवकूफ बनाकर सत्ता हथिया लिया और धरातल पर कोई कार्य नहीं किया. झारखंड की जनता से यहां के नेता राजनीति तो कर रहे हैं कूटनीति भी करने लगे हैं. जिस कारण आज के नेताओं को अपने पद की चिंता है ना कि जनता की. दोनों पार्टी अपने ही दल के विधायकों को अपने विश्वास में नहीं ले पाए हैं. केवल पद के लिए इस तरह की राजनीति करेंगे तो ऐसा ही होगा कि जीतेंगे तो विधायक बनेंगे, मंत्री बनेंगे और पैसा कमाएंगे. जनता बहुत उम्मीद से विधायक नेता चुनती है लेकिन विधायक जीतने के बाद आम लोगों से कट जाते हैं.

पद्मभूषण कड़िया मुंडा से खास बातचीत

झारखंड की वर्तमान राजनीतिक हालात को लेकर पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने कहा कि इन 22 साल में झारखंड में सिर्फ राजनीति ही हुई है. झारखंड के सभी मुख्यमंत्रियों ने बैनर पोस्टर के माध्यम से खूब विकास किया. लेकिन जमीनी स्तर से आज भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है. झारखंड गठन के बाद सबसे ज्यादा भाजपा ने शासन किया बावजूद भाजपा सरकार पर भी तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने भी झारखंड के बुनियादी ढांचा का विकास नहीं (Jharkhand not developed said Kariya Munda) किया. झारखंड निर्माण के 22 साल गुजर गए लेकिन आज भी आधारभूत संरचनाओं के विकास का कार्य नहीं हुआ है. साथ ही यहां की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं, शिक्षा का विकास नहीं हुआ, स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं हो पाई, बिजली, पानी, सड़क का भी विकास कार्य अधूरा है.


2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कड़िया मुंडा का टिकट काटकर अर्जुन मुंडा को टिकट दिया. टिकट कटने के बावजूद संगठन से बगैर नाराज हुए कड़िया मुंडा ने अर्जुन मुंडा को जीत दिलाने के लिए जान लगा दी. कड़िया मुंडा ने खूंटी के बिगड़ते माहौल व भटकते युवाओं पर बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि यहां के नौजवान अवैध अफीम की जद में आ गए हैं. कम समय में ज्यादा पैसे कमाने की लालच ने युवाओं को बिगाड़ दिया है, जो आने वाले दिन के लिए खतरे का संकेत है. घर बैठकर सामाजिक कार्यकर्त्ताओं से मिलकर भटके युवाओं को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने बताया कि अफीम के साथ पकड़े गए युवाओं की पैरवी में आये परिजनो से वो गुजारिश करते हैं कि अफीम छोड़ अन्य फसलों की खेती करें.

इसे भी पढ़ें- पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की बिगड़ी तबीयत, रांची के मेडिका में भर्ती


ईटीवी भारत से पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बात की लेकिन जब खुद की बारी आई तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हमने कभी टिकट नहीं मांगा, पार्टी को जब जैसा महसूस हुआ मुझे टिकट देकर सेवा का मौका दिया. जब कभी किसी भी पद पर मुझे जिम्मेवारी दी गयी उसे मैंने अपना दायित्व समझकर पूर्ण किया. हालांकि एक सवाल पूछा गया कि अन्य सांसदों की तरह आप टिकट के लिए लाइजनिंग नहीं करते तो उन्होंने बेबाकी से कहा कि मुझे गुटबाजी पसंद नहीं औरों की तरह मैं किसी की लाइजनिंग करने नहीं जाता.

पद्मभूषण कड़िया मुंडा से खास बातचीत

झारखंड की माटी में रचे बसे पद्मभूषण कड़िया मुंडा अपनी सादगी के लिए खास तौर पर जाने जाते हैं. सियासी कोलाहल से दूर आज वो अपने गांव में खेती-बारी में व्यस्त हैं. लेकिन अपने क्षेत्र के लोगों के लिए वो हमेशा से काम करते रहे हैं. टिकट मिले या ना मिले लेकिन वो अपनी पार्टी के लिए एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम करते हुए हमेशा से नजर आते हैं. हालिया वो बीमार भी हुए थे तो पीएम नरेंद्र मोदी ने उनका हालचाल लिया था. उस वाकये की चर्चा करते हुए थोड़े भाव-विभोर हो जाते हैं और कहते हैं कि उन्होंने मेरा हालचाल लिया मेरे लिए यही बड़ी बात है. भाजपा के दिग्गज नेता पद्मभूषण सम्मानित खूंटी के पूर्व सांसद कड़िया मुंडा आज भी जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं. लगातार भाजपा की राजनीति करते हुए दिल्ली आना जाना लगा रहा, लेकिन सत्ता पर आसीन होकर भी मुंडा की सादगी अन्य नेताओं से अलग रही. आज जब दिल्ली की राजनीति से दूर हैं तो इत्मीनान होकर किसानी कार्यों में जुड़े हैं.

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पद्मभूषण कड़िया मुंडा का सियासी सफरः पद्मभूषण कड़िया मुंडा बेहद सरल और बगैर लाग लपेट के हर सवाल का बखूबी जवाब देते हैं. कड़िया मुंडा पहली बार खूंटी से निकलकर 1977 में सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे, जहां वह 1980 तक सांसद रहे. 1980 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद 1981 में खिजरी विधानसभा से विधायक बने और 1985 तक विधायक रहे. 1985 के लोकसभा चुनाव फिर से हार गए और 1989 में दोबारा सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे. 2004 चुनाव हारने के बाद 2005 में दोबारा खिजरी के विधायक बने और 2009 का लोकसभा चुनाव जीते, उसके बाद लगातार कड़िया मुंडा सांसद बने रहे. 2009 से 2014, 2014 से 2019 तक सांसद रहे.

कड़िया मुंडा इस लंबे सफर के दौरान 1977 से 1980 तक केंद्र में खान एवं इस्पात राज्य मंत्री रहे. उसके बाद 2002 से 2003 तक कोयला मंत्री उसके बाद कोयला मंत्री से हटाकर कड़िया जी को अपारंपरिक मंत्री बनाया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कड़िया मुंडा लोकसभा उपाध्यक्ष चुने गए और 2014 तक उपाध्यक्ष रहे. 2014 से 2019 तक सांसद रहे, उसके बाद भाजपा ने 2019 में लोकसभा का टिकट नहीं दिया.

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