खूंटी: नेताजी चौक में हर दिन सैकड़ों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर सुबह 8 बजे से ही रेजा कुली का सामान लेकर खड़े रहते हैं. मजदूर सिर्फ खूंटी नगर पंचायत क्षेत्र के नहीं हैं बल्कि रनियां, कोचांग, लांदुप, मारंगहादा, अड़की, मरचा समेत सुदूरवर्ती इलाकों से आकर हर दिन रोजगार के इंतजार में बैठे रहते हैं. कई मजदूरों से जब हमने बात की तो पता चला कि हर दिन काम नहीं मिलता है और उन्हें निराश लौटना पड़ता है.
यह भी पढ़ें: सदन में नमाज कक्ष का विवाद सुलझाने के लिए बनी कमेटी, भानू ने कहा- भाजपा के दबाव का हुआ असर
दो हफ्ते से नहीं मिला काम
मजदूरों ने बताया कि पिछले दो हफ्ते से काम नहीं मिल रहा है और इस कारण उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है. काम नहीं मिलने की वजह से घर नहीं चल पा रहा है. जिन बच्चों को मैट्रिक के बाद कॉलेज की पढ़ाई करनी है वो भी अब महंगाई की मार में दिहाड़ी मजदूर बनने को विवश हैं. कई प्रवासी मजदूर कोरोना काल में चेन्नई, हैदराबाद, केरल, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, यूपी, बंगाल, राजस्थान समेत देश के अन्य राज्यों से वापस खूंटी लौट आए हैं. लेकिन रोजगार और जानकारी के अभाव में श्रम विभाग में अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए हैं. रजिस्ट्रेशन नहीं होने से खूंटी के संगठित और असंगठित श्रमिक सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित हैं.
जिले की प्रभारी श्रम अधीक्षक ने बताया कि अब तक भवन निर्माण कार्यक्रम में 23 हजार 597 श्रमिक पंजीकृत हैं, जबकि असंगठित कामगार योजना के तहत 8 हजार 398 श्रमिक पंजीकृत किये गए हैं. जिसमें इस वित्तीय वर्ष में 1655 श्रमिकों को लाभ दिया गया है. वहीं, 10,395 श्रमिकों को शर्ट-पैंट और महिलाओं को साड़ी दी गई है. महिला श्रमिकों में 8 महिलाओं को मातृत्व योजना और 5 श्रमिकों को अंत्येष्टि योजना का लाभ दिया गया है. पंजीकृत श्रमिकों के 90 बच्चों को छात्रवृत्ति का लाभ वर्त्तमान वित्तीय वर्ष में दिया गया है.
जानकारी के अभाव में नहीं मिलता है योजना का लाभ
श्रमिकों को दुर्घटना और सामान्य मृत्यु का लाभ भी दिया जाना है लेकिन जानकारी और रजिस्ट्रेशन के अभाव में मजदूरों के परिवारों तक सरकारी योजनाएं नहीं पहुंचती हैं. चौक चौराहों में हर दिन काम की तलाश में निकले मजदूर चिकित्सा सहायता योजना के लाभ से भी वंचित हैं. निर्माण कार्यों से जुड़े श्रमिकों को निर्माण श्रमिक सेफ्टी किट योजना, औजार सहायता योजना और साइकिल सहायता योजना का लाभ दिया जाता है. श्रमिकों के बच्चे अगर गैर तकनीकी और मेडिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं तो उन्हें पांच हजार से पचास हजार तक की छात्रवृत्ति देने का प्रावधान भी है. प्रवासी मजदूरों के लिए रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी है लेकिन जिले के श्रमिक जानकारी नहीं होने से इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं.
जब श्रमिकों को कोई काम धंधा नहीं मिला तो कुछ श्रमिक श्रम विभाग पहुंचे और संगठित और असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण के नियमों की जानकारी ली. प्रभारी श्रम अधीक्षक लक्ष्मी कुमारी ने श्रमिकों को श्रम विभाग द्वारा दी जाने वाली योजनाओं के बारे बारीकी से जानकरी दी. अब श्रमिक इस उम्मीद में हैं कि शायद पंजीकरण होने से सरकार द्वारा मिलने वाली विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सकेगा और परिवार चलाने में थोड़ी राहत मिल सकेगी.