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ETV BHARAT IMPACT: खूंटी में बच्चों से अफीम की खेत में काम करवाने के मामले पर सीडब्ल्यूसी ने लिया संज्ञान, दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश - Khunti News

खूंटी में अफीम की खेती में बच्चों को लगाए जाने का मामला उजागर होने के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने संज्ञान लिया है. मामले में सीडब्ल्यूसी कार्रवाई में जुट गई है. इस दौरान कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा कि पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चों से इस तरह का काम लेना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी.

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District Child Protection Officer Altaf Khan Giving Information
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Published : Mar 6, 2023, 3:45 PM IST

खूंटी: 'अफीम की जद में नौनिहाल, खूंटी में अफीम की अवैध खेती में बच्चों से करवाया जा रहा काम' शीर्षक से ईटीवी भारत ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित होने के बाद सीडब्ल्यूसी ने संज्ञान लिया है. सीडब्ल्यूसी ने ईटीवी भारत को धन्यवाद देते हुए कहा कि मासूम बच्चों द्वारा कराया जा रहा कार्य गलत है और ये किशोर न्याय अधिनियम 2015 के सेक्शन 75 का उलंघन है. सीडब्ल्यूसी ने मामले में तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. उन्होंने बताया कि बच्चों से जुड़े मामलों को दिखाते रहें, ताकि सीडब्ल्यूसी कार्रवाई कर सके.

ये भी पढे़ं-Illegal Cultivation of Opium in Khunti: खूंटी में अफीम की अवैध खेती में बच्चों से करवाया जा रहा काम, ऐसे लोगों पर होगी कार्रवाई- एसपी

खूंटी के कई प्रखंडों में की गई है अफीम की खेतीः बताते चलें कि राजधानी का पड़ोसी जिला खूंटी में दशकों से अवैध अफीम की खेती हो रही है, लेकिन हाल के पांच वर्षों से अफीम की खेती करनेवालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. शहर से लेकर गांव तक अफीम की फसल लहलहा रही है. खूंटी, मुरहू और अड़की प्रखंड क्षेत्र के सड़क किनारे, नदियों के किनारे और जंगलों के बीचोंबीच अफीम की खेती जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि जिला प्रशासन लगातार अवैध अफीम की खेती को नष्ट करने का अभियान चला रहा है, लेकिन हाल के दिनों में अफीम माफिया और किसान अफीम के फलों से अफीम निकालने में जुट गए हैं. इस कार्य में छोटे-छोटे बच्चों को भी लगाया जाता है. हर रोज शाम को बच्चे खेतों में लगी अफीम के पौधे में आये फल (डोडे) में चीरा लगाते जाते हैं, जबकि सुबह कटे डोडे से अफीम निकालने जाते हैं.
सीडब्ल्यूसी के जनजागरुकता अभियान का असर नहींः ईटीवी भारत में प्रकाशित खबर के बाद भले ही सीडब्ल्यूसी ने संज्ञान लिया हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या इन्हें ये मालूम नहीं कि जिले के नौनिहाल आखिर खेतों तक कैसे पहुंच रहे हैं. सीडब्ल्यूसी लगातार दावा करती रही है कि बच्चों के बेहतर भविष्य और स्कूल से जोड़ने के लिए जन जागरुकता चलाया जाता है. हर साल लाखों करोड़ों रुपए गांव-देहात में जन जागरुकता के नाम पर खर्च किए जाते हैं, बावजूद बच्चों का नशे की खेतों में होना कई सवाल खड़े करता है.

सीडब्ल्यूसी गांव-गांव में चलाएगी मुहिमः इधर, सीडब्ल्यूसी के जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अल्ताफ खान ने बताया कि सरकार की व्यवस्था निचले स्तर पर बनी हुई है, लेकिन व्यवस्थित नहीं है. जिसके कारण समस्या होती हैं. उन्होंने बताया कि एनसीपीसीआर और एनसीबी की ओस से संयुक्त योजना बनायी गई है. जिसमें शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और उत्पाद विभाग कार्य कर रहा है. वर्तमान में ग्राम स्तर पर टीम बनायी गई है और जल्द ही उसे गांव-गांव तक जन जागरुकता का कार्य किया जाएगा. साथ ही सयुंक्त रूप से बनायी गई टीम द्वारा शिक्षा का अधिकार के तहत बच्चों को स्कूल से जोड़ा जाएगा.

बच्चों को नशे की खेती में झोंकना भविष्य के लिए खतरे की घंटीः गौरतलब है कि खूंटी में अवैध अफीम की खेती और खेतों से अफीम निकालने का कार्य लगातार जारी है. डोडे की फसल से अफीम निकालने में जिले के नौनिहालों को लगाया गया है. आज हालात ऐसे हैं कि सुदूरवर्ती गांव के बच्चों को भी इस गैरकानूनी काम में लगाया जा रहा है. अफीम की खेती में बच्चों का दिखना भविष्य के लिए खतरे की घंटी है. हालांकि एसपी ने भरोसा दिलाया है कि ऐसा कुकृत्य करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वो बच्चों के अभिभावक ही क्यों ना हों.

खूंटी: 'अफीम की जद में नौनिहाल, खूंटी में अफीम की अवैध खेती में बच्चों से करवाया जा रहा काम' शीर्षक से ईटीवी भारत ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित होने के बाद सीडब्ल्यूसी ने संज्ञान लिया है. सीडब्ल्यूसी ने ईटीवी भारत को धन्यवाद देते हुए कहा कि मासूम बच्चों द्वारा कराया जा रहा कार्य गलत है और ये किशोर न्याय अधिनियम 2015 के सेक्शन 75 का उलंघन है. सीडब्ल्यूसी ने मामले में तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. उन्होंने बताया कि बच्चों से जुड़े मामलों को दिखाते रहें, ताकि सीडब्ल्यूसी कार्रवाई कर सके.

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खूंटी के कई प्रखंडों में की गई है अफीम की खेतीः बताते चलें कि राजधानी का पड़ोसी जिला खूंटी में दशकों से अवैध अफीम की खेती हो रही है, लेकिन हाल के पांच वर्षों से अफीम की खेती करनेवालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. शहर से लेकर गांव तक अफीम की फसल लहलहा रही है. खूंटी, मुरहू और अड़की प्रखंड क्षेत्र के सड़क किनारे, नदियों के किनारे और जंगलों के बीचोंबीच अफीम की खेती जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि जिला प्रशासन लगातार अवैध अफीम की खेती को नष्ट करने का अभियान चला रहा है, लेकिन हाल के दिनों में अफीम माफिया और किसान अफीम के फलों से अफीम निकालने में जुट गए हैं. इस कार्य में छोटे-छोटे बच्चों को भी लगाया जाता है. हर रोज शाम को बच्चे खेतों में लगी अफीम के पौधे में आये फल (डोडे) में चीरा लगाते जाते हैं, जबकि सुबह कटे डोडे से अफीम निकालने जाते हैं.
सीडब्ल्यूसी के जनजागरुकता अभियान का असर नहींः ईटीवी भारत में प्रकाशित खबर के बाद भले ही सीडब्ल्यूसी ने संज्ञान लिया हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या इन्हें ये मालूम नहीं कि जिले के नौनिहाल आखिर खेतों तक कैसे पहुंच रहे हैं. सीडब्ल्यूसी लगातार दावा करती रही है कि बच्चों के बेहतर भविष्य और स्कूल से जोड़ने के लिए जन जागरुकता चलाया जाता है. हर साल लाखों करोड़ों रुपए गांव-देहात में जन जागरुकता के नाम पर खर्च किए जाते हैं, बावजूद बच्चों का नशे की खेतों में होना कई सवाल खड़े करता है.

सीडब्ल्यूसी गांव-गांव में चलाएगी मुहिमः इधर, सीडब्ल्यूसी के जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अल्ताफ खान ने बताया कि सरकार की व्यवस्था निचले स्तर पर बनी हुई है, लेकिन व्यवस्थित नहीं है. जिसके कारण समस्या होती हैं. उन्होंने बताया कि एनसीपीसीआर और एनसीबी की ओस से संयुक्त योजना बनायी गई है. जिसमें शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और उत्पाद विभाग कार्य कर रहा है. वर्तमान में ग्राम स्तर पर टीम बनायी गई है और जल्द ही उसे गांव-गांव तक जन जागरुकता का कार्य किया जाएगा. साथ ही सयुंक्त रूप से बनायी गई टीम द्वारा शिक्षा का अधिकार के तहत बच्चों को स्कूल से जोड़ा जाएगा.

बच्चों को नशे की खेती में झोंकना भविष्य के लिए खतरे की घंटीः गौरतलब है कि खूंटी में अवैध अफीम की खेती और खेतों से अफीम निकालने का कार्य लगातार जारी है. डोडे की फसल से अफीम निकालने में जिले के नौनिहालों को लगाया गया है. आज हालात ऐसे हैं कि सुदूरवर्ती गांव के बच्चों को भी इस गैरकानूनी काम में लगाया जा रहा है. अफीम की खेती में बच्चों का दिखना भविष्य के लिए खतरे की घंटी है. हालांकि एसपी ने भरोसा दिलाया है कि ऐसा कुकृत्य करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वो बच्चों के अभिभावक ही क्यों ना हों.

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