खूंटीः झारखंड राज्य के बने 20 साल होने को हैं. झारखंड के महान सपूत भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस के अवसर पर झारखंड राज्य का गठन किया गया, बावजूद इसके आज भी भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली विकास की बाट जोह रहा है. बिरसा मुंडा के वंशज और स्थानीय ग्रामीण मानते हैं कि झारखंड बनने के बाद जितने मंत्री, सांसद और विधायक उलिहातू पहुंचे, उस अनुरूप विकास कार्य धरातल पर कम नजर आते हैं. अब उलिहातू में विकास के कुछ कार्य शुरू किए गए हैं.
गुणवता वाली शिक्षा की जरूरत
गांव में दस लोगों का पक्का मकान बनाने के काम की शुरुआत की गई है. पूरे गांव में 136 पक्के मकान बनाने की योजना पारित की गई है, लेकिन दस-दस करके पक्का मकान का निर्माण कार्य कराया जाएगा. यूं कहें 20 सालों में 10 मकान का निर्माण शुरू हो सका है. बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम मुंडा बताते हैं कि ग्रामीणों की मांग बड़े आकार के मकान बनवाने की थी लेकिन प्रशासन की ओर से ग्रामीणों की मांग नहीं सुनी गई, जिसके कारण मकान बनने में डेढ़-दो साल का विलंब हो गया. अब पहले चरण में 10 लोगों का मकान बनाने की शुरुआत की गई है.
शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर बिरसा मुंडा के वंशज ने थोड़ी नाराजगी जताई और कहा कि उलिहातू में एक आवासीय विद्यालय है लेकिन यहां शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थी बेहतर शिक्षा ग्रहण करने में असमर्थ हैं. बिरसा मुंडा के वंशजों में से सुखराम के दो बेटों को जिला प्रशासन ने सरकारी नौकरी में बहाल किया है. बिरसा के वंशज बताते हैं कि अब यहां के लोग सरकार की ओर से प्राप्त उन्नत धान के बीजों से अच्छी खेती कर लेते हैं. ससमय खाद्य बीज उपलब्ध हो तो उलिहातू के किसान भी और बेहतर कृषि कार्य कर सकेंगे.
औने-पौने दामों में बेचते हैं कृषि उपज
उलिहातू गांव के ग्रामीण बताते हैं कि यह इलाका चारों तरफ से जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है. सरकार ने उनके गांव तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण कराया. अब आने जाने में दिक्कत नहीं होती है, लेकिन खूंटी और तमाड़ दोनों की दूरी अधिक होने के कारण उलिहातू के किसान अपने कृषि उपज को बाजार तक नहीं पहुंचा पाते हैं. उलिहातू और आसपास के किसान खूंटी और तमाड़ के बाजारों में औने-पौने दामों में अपनी कृषि उपज बेचते हैं. इससे उन्हें काफी घाटा सहना पड़ता है. बिरसा मुंडा के गांव के ग्रामीणों ने प्रशासन और सरकार से उम्मीद जताई है कि सरकार किसानों के लिए बाजार की व्यवस्था करें ताकि किसानों को अपनी उपज का समुचित मूल्य मिल सके.