खूंटी: झारखंड में बालू खनन पर एनजीटी की रोक के बावजूद आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए खूंटी में अवैध रूप से बालू का खनन जारी है. प्रशासन की सख्ती के बावजूद खनन माफिया बेखौफ बालू की तस्करी कर प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं. वहीं बालू माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन ने खास प्लान तैयार किया है. अब बालू के अवैध खनन में लिप्त माफियाओं पर राजसात और वन वाद दायर कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. जिला प्रशासन इसके लिए कानूनी सलाह भी ले रहा है.
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खूंटी के तोरपा, रनिया और कर्रा में धड़ल्ले से जारी है बालू का अवैध खननः बताते चलें कि खूंटी जिले के तोरपा, रनिया और कर्रा इलाके में धड़ल्ले से बालू का अवैध खनन और उठाव हो रहा है. प्रशासन की सख्ती के कुछ दिन तक बालू का खनन रूक जाता है, लेकिन फिर कुछ दिन बाद बालू का अवैध खनन शुरू कर दिया जाता है. बालू के अवैध कारोबार को रोक पाना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है, लेकिन इस बार जिला प्रशासन बालू का अवैध खनन करने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है.
अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठनः खूंटी के डीसी लोकेश मिश्र ने बालू के अवैध खनन को रोकने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन है. डीसी की अध्यक्षता में बनी टीम में एसडीओ के अलावा खनन विभाग, वन विभाग, स्थानीय सीओ, थानेदार से लेकर अन्य कर्मी शामिल हैं. गठित स्पेशल टास्क फोर्स चेकनाका, सीसीटीवी और ड्रोन का सहारा लेकर अवैध खनन स्थलों को चिन्हित कर कार्रवाई करेगा.
अब राजसात और वन वाद दायर करने की तैयारीः डीसी लोकेश मिश्र ने दावा किया है कि एक सप्ताह के भीतर खूंटी में बालू का अवैध खनन और परिवहन बंद हो जाएगा. कल तक बालू के अवैध खनन और परिवहन मामले में खनन विभाग खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की धारा 4,21 झारखंड लघु खनिज समानुदान नियमावली के नियम 54 Rule 2017 के नियम 7,9 एवं आईपीसी जैसी सुसंगत धाराओं में एफआईआर दर्ज करती थी, लेकिन अब इन सबके अलावा माफियाओं पर राजसात और वन वाद दायर किया जाएगा.डीसी लोकेश मिश्र ने बताया कि राजसात और वन वाद दायर करने से बालू के अवैध खनन और परिवहन में कमी आएगी और वैध तरीके से बालू की बिक्री होगी. जिससे आमलोगों को फायदा होगा और सरकार का राजस्व बढ़ेगा.
हाल के दिनों ने अवैध खनन मामले में 50 से अधिक केस दर्जः गौरतलब है कि जिले में अवैध बालू तस्करी के खिलाफ जिला प्रशासन ने हाल के दिनों में 50 से अधिक एफआईआर दर्ज करते हुए दो दर्जन से अधिक गाड़ियों को जब्त कर चुकी है, लेकिन एफआईआर में दर्ज सीआरपीसी और आईपीसी की धाराओं से माफिया आसानी से बच निकलते हैं. जिसके कारण जिला प्रशासन ने वन वाद और राजसात जैसी धाराओं में एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है. ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि अवैध खनन वाले अधिकतर स्थल वन क्षेत्र में आते हैं.