जामताड़ाः जिले के मिहिजाम थाना क्षेत्र के हासीपहाड़ी स्थित कोढिया पाड़ा में एक कुष्ठ रोगी आदिवासी महिला शौचालय में रहने के लिए मजबूर है. उसका ना घर है ना कोई ठिकाना. कुष्ठ रोग से पीड़ित होने के कारण उसके पति ने तो छोड़ ही दिया है साथ ही समाज और परिवार के लोगों ने भी महिला से मुंह मोड़ लिया है.
महिला मजबूरन भीख मांग कर किसी तरह से तो जिंदगी काट रही है. अब धूप और पानी से बचने के लिए महिला ने पेड़ के नीचे या तो शौचालय को ही अपना आशियाना बना लिया है. महिला के पास न समाज और ना प्रशासन और न सरकार ही अब तक कोई सुध लेने पहुंची है.
नहीं मिलता है कोई सरकारी लाभ
सबसे दिलचस्प बात तो यह है इस आदिवासी महिला का आशियाना की तो दूर की बात, कोई सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिल पाता है. ताकि उसे अच्छी तरह से जिंदगी जी सके. ईटीवी भारत की नजर जब इस शौचालय में रह रही आदिवासी महिला पर पड़ी तो उससे जब जानना चाहा तो उसने अपना नाम लिली टुडू बताई. महिला ने कहा कि उसे पति छोड़ दिया है और उसको कोई नहीं है देखने वाला और कोई सरकारी लाभ योजना उसे नहीं मिलती है. इधर-उधर भीख मांग कर अपना किसी तरह काम चलाती है और इसी शौचालय में रहकर गुजर-बसर करती है.
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एक तरफ सरकार प्रशासन और समाजसेवी समाज से उपेक्षित और परिवार से उपेक्षित ऐसे लोगों को उत्थान के लिए लंबे-लंबे भाषण देती है. सरकार और प्रशासन ऐसे उपेक्षित महिलाओं के विकास उत्थान को लेकर दम भरती है. तो वहीं इस आदिवासी राज्य में आदिवासी महिला को सरकारी योजना के लाभ से तो वंचित होना ही पड़ रहा है.