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जामताड़ा के इस गांव में स्वास्थ्य सुविधा से महरूम हैं ग्रामीण, अस्पताल बना जानवरों का अड्डा

जामताड़ा के गोवाकोला गांव में बने स्वास्थ्य उपकेंद्र में मरीजों के इलाज के लिए कोई सुविधा नहीं है. यहां न तो डॉक्टर हैं और न ही कोई स्वास्थ्यकर्मी. मजबूरी में मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है.

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Published : Aug 22, 2021, 5:38 PM IST

villagers are deprived of health facilities in govacola village of jamtara
जामताड़ा के इस गांव में स्वास्थ्य सुविधा से महरूम हैं ग्रामीण, अस्पताल बना जानवरों का अड्डा

जामताड़ा: जिले में एक ऐसा स्वास्थ्य उपकेंद्र (health sub center) मौजूद है जहां भवन तो है लेकिन इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां ना डॉक्टर हैं और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी. नतीजा स्वास्थ्य उपकेंद्र जानवरों का अड्डा बन गया है. ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए परेशान रहना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें- गुमला सदर अस्पतालः रिम्स रेफर मरीज की ऑक्सीजन के कमी से मौत, परिजनों ने किया हंगामा

देखें पूरी खबर



स्वास्थ्य उपकेंद्र में नहीं मौजूद कोई स्वास्थ्यकर्मी
जामताड़ा जिला मुख्यालय (Jamtara District Headquarters) से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है गोवा कोला गांव जो आदिवासी बहुल गांव है. यहां इलाज के लिए ग्रामीणों को काफी परेशान होना पड़ता है. गांव में लाखों की लागत से स्वास्थ्य केंद्र भवन तो बनाया गया लेकिन सिर्फ नाम के लिए है. यहां इलाज की कोई सुविधा नहीं है और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी पदस्थापित है.


स्वास्थ्य सुविधाओं से नदारद गांव

गोवा कोला गांव (Gova Cola Village) के ग्रामीणों को बीमार होने के बाद देखने वाला कोई नहीं है. ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा और इलाज के लिए बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. रात को भी अगर किसी को कुछ हो जाए या बीमार पड़ जाए तो ग्रामीणों को कहीं और इलाज के लिए जाना पड़ता है. इसके अलावा गांव के लोगों को झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे ही रहना पड़ता है.


क्या कहते हैं ग्रामीण ?

ग्रामीण बताते हैं कि गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन कोई इलाज की सुविधा व्यवस्था नहीं है. उद्घाटन के बाद स्वास्थ्य केंद्र में दो-तीन महीने डॉक्टर एएनएम आए थे. उसके बाद ना डॉक्टर आए और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी ही आता है. ग्रामीणों के साथ सुविधा के लिए लाखों की लागत से बना स्वास्थ्य उपकेंद्र सिर्फ शो पीस बनकर रह गया है. गोवा कोला के ग्रामीणों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए लाखों की लागत से स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण कराया गया था. इसका उद्घाटन 2012 में तत्कालीन विधायक विष्णु प्रसाद भैया ने करवाया था. बताया जाता है कि उद्घाटन के बाद दो-तीन महीने तक ही स्वास्थ्य केंद्र ठीक-ठाक चला. इसमें ग्रामीणों का इलाज भी होता था. उसके बाद से स्वास्थ्य केंद्र को जैसे ग्रहण लग गया और आज तक बंद पड़ा है. सुध लेने के लिए भी यहां स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं पहुंचे.


देखरेख के अभाव में अस्पताल जर्जर
सही देखरेख नहीं होने से स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन जर्जर हो गया है. डॉक्टर और नर्सों के रहने की बजाय अब यहां जानवरों के ढेरा जमा हुआ है. आलम ये है कि आज स्वास्थ्य उप केंद्र भवन की स्थिति दयनीय हो गई है. स्वास्थ्य केंद्र भवन दम तोड़ रहा है. भवन की स्थिति जर्जर हो गई है. खिड़की-दरवाजे टूट चुके हैं. डॉक्टर-नर्स और दवाखाने की जगह पशुओं और जानवरों का अड्डा बन गया है.

इसे भी पढ़ें- जामताड़ा: ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में लटका ताला, झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे जनता

क्या कहते हैं सिविल सर्जन?
बंद पड़े गोवा कोला के स्वास्थ्य केंद्र के हालातों को लेकर जिला के सिविल सर्जन से जब संपर्क साधा गया तो उनकी ओर से कहा गया कि इस मामले को संज्ञान में लेकर आवश्यक जांच कर कार्रवाई करेंगे और स्वास्थ्य उप केंद्र को सुचारू रूप से संचालित किया जाएगा जिससे मरीजों का इलाज हो सके.

जामताड़ा: जिले में एक ऐसा स्वास्थ्य उपकेंद्र (health sub center) मौजूद है जहां भवन तो है लेकिन इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां ना डॉक्टर हैं और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी. नतीजा स्वास्थ्य उपकेंद्र जानवरों का अड्डा बन गया है. ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए परेशान रहना पड़ता है.

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स्वास्थ्य उपकेंद्र में नहीं मौजूद कोई स्वास्थ्यकर्मी
जामताड़ा जिला मुख्यालय (Jamtara District Headquarters) से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है गोवा कोला गांव जो आदिवासी बहुल गांव है. यहां इलाज के लिए ग्रामीणों को काफी परेशान होना पड़ता है. गांव में लाखों की लागत से स्वास्थ्य केंद्र भवन तो बनाया गया लेकिन सिर्फ नाम के लिए है. यहां इलाज की कोई सुविधा नहीं है और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी पदस्थापित है.


स्वास्थ्य सुविधाओं से नदारद गांव

गोवा कोला गांव (Gova Cola Village) के ग्रामीणों को बीमार होने के बाद देखने वाला कोई नहीं है. ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा और इलाज के लिए बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. रात को भी अगर किसी को कुछ हो जाए या बीमार पड़ जाए तो ग्रामीणों को कहीं और इलाज के लिए जाना पड़ता है. इसके अलावा गांव के लोगों को झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे ही रहना पड़ता है.


क्या कहते हैं ग्रामीण ?

ग्रामीण बताते हैं कि गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन कोई इलाज की सुविधा व्यवस्था नहीं है. उद्घाटन के बाद स्वास्थ्य केंद्र में दो-तीन महीने डॉक्टर एएनएम आए थे. उसके बाद ना डॉक्टर आए और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी ही आता है. ग्रामीणों के साथ सुविधा के लिए लाखों की लागत से बना स्वास्थ्य उपकेंद्र सिर्फ शो पीस बनकर रह गया है. गोवा कोला के ग्रामीणों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए लाखों की लागत से स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण कराया गया था. इसका उद्घाटन 2012 में तत्कालीन विधायक विष्णु प्रसाद भैया ने करवाया था. बताया जाता है कि उद्घाटन के बाद दो-तीन महीने तक ही स्वास्थ्य केंद्र ठीक-ठाक चला. इसमें ग्रामीणों का इलाज भी होता था. उसके बाद से स्वास्थ्य केंद्र को जैसे ग्रहण लग गया और आज तक बंद पड़ा है. सुध लेने के लिए भी यहां स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं पहुंचे.


देखरेख के अभाव में अस्पताल जर्जर
सही देखरेख नहीं होने से स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन जर्जर हो गया है. डॉक्टर और नर्सों के रहने की बजाय अब यहां जानवरों के ढेरा जमा हुआ है. आलम ये है कि आज स्वास्थ्य उप केंद्र भवन की स्थिति दयनीय हो गई है. स्वास्थ्य केंद्र भवन दम तोड़ रहा है. भवन की स्थिति जर्जर हो गई है. खिड़की-दरवाजे टूट चुके हैं. डॉक्टर-नर्स और दवाखाने की जगह पशुओं और जानवरों का अड्डा बन गया है.

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क्या कहते हैं सिविल सर्जन?
बंद पड़े गोवा कोला के स्वास्थ्य केंद्र के हालातों को लेकर जिला के सिविल सर्जन से जब संपर्क साधा गया तो उनकी ओर से कहा गया कि इस मामले को संज्ञान में लेकर आवश्यक जांच कर कार्रवाई करेंगे और स्वास्थ्य उप केंद्र को सुचारू रूप से संचालित किया जाएगा जिससे मरीजों का इलाज हो सके.

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