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चितरा-जामताड़ा के बीच कोयला ढुलाई में चोरी, पुलिस रोकने में असफल

जामताड़ा में अवैध कोयला कारोबार पर लगाम लगाने के लिए विशेष अभियान चलाकर छापेमारी कर रही पुलिस इस अवैध कारोबार पर लगाम नहीं लगा सकी है. चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से कोयले की ढुलाई के क्रम में रास्ते से कोयले की चोरी की जा रही है. प्रतिदिन पुलिस के नाक के नीचे से हजारों टन कोयले की कालाबजारी की जा रही है.

Police administration failed to stop coal theft in jamtara
कोयले की चोरी
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Published : Aug 21, 2020, 4:49 AM IST

जामताड़ा: कोयला ढुलाई के क्रम में रास्ते से हो रही कोयला चोरी को रोकने में जिला प्रशासन असफल साबित हो रहा है. चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से कोयले की ढुलाई के क्रम में रास्ते से कोयले की चोरी की जा रही है. प्रतिदिन हजारों टन कोयले की चोरी हो रही है, जिसे रोकने में चितरा कोलियरी प्रबंधन और जिला प्रशासन पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है.

देखें पूरी खबर
चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से ढुलाई के क्रम में रास्ते में जगह-जगह पर कोयले की चोरी होती है. दिनदहाड़े कोयले की चोरी की जाती है. कोयला चोरी के बाद वाहन चालक और चोर बाकी बचे कोयले पर पानी और पत्थर डालकर वजन की भरपाई कर देते हैं. जिसे रोक पाने में चितरा प्रबंधन और जामताड़ा प्रशासन के साथ-साथ देवघर प्रशासन भी पूरी तरह विफल साबित हो रहा है. प्रतिदिन हजारों टन कोयले की चोरी की जा रही है. ऐसे में रोज सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है. इसके अलावा जामताड़ा रेलवे साइडिंग से भी कोयले की चोरी और तस्करी की जाती है. साइकिल और मोटरसाइकिल से कोयले की तस्करी की जाती है.

ईसीएल का चितरा कोलियरी देवघर जिला के अंतर्गत स्थित है, जो जामताड़ा जिला की सीमा पर ही है. चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई संवेदक की ओर से की जाती है, फिर जामताड़ा रेलवे साइडिंग से रेलवे रैफ की ओर से विभिन्न ताप घरों में कोयला भेजा जाता है.

इस क्रम में चितरा कोलियरी से लेकर जामताड़ा रेलवे साइडिंग देवघर जिला जामताड़ा जिला जिला रास्ते कोयला लेकर डंफर रेलवे साइडिंग पहुंचती है. इस क्रम में जगह-जगह पर कोयला की चोरी दिन के उजाले में प्रशासन के नाक के नीचे किया जाता है. सुरक्षा के नाम पर सारी व्यवस्था और खर्च भी धरी की धरी रह जाती है. ऐसी बात नहीं है कि चोरी की जानकारी चितरा प्रबंधन और जिला प्रशासन को नहीं है, लेकिन पुलिस की मिलीभगत से प्रतिदिन चोरी का खेल जारी है.

इसे भी पढ़ें- रांची-टाटा एनएच पर डायवर्सन डूबा, गाड़ियों की लगी लंबी कतार

बताया जाता है कि कोयला चोरी रोकने को लेकर चितरा प्रबंधन की ओर से सुरक्षा गार्ड भी लगाए गए हैं. सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च भी किया जाता है. इसके बावजूद कोयला चोरी नहीं रूक रहा है. जामताड़ा रेलवे साइडिंग में होमगार्ड लगाए गए हैं, सुरक्षा गार्ड भी तैनात हैं फिर भी कोयला चोरी नहीं रूक रहा है. इसे लेकर कई बार जामताड़ा जिला प्रशासन और चितरा प्रबंधन के साथ कोयला चोरी रोकने को लेकर बैठक भी हुई. फिर भी कोयला चोरी पर लगाम नहीं लग पा रही है.

हालांकि इस बारे में चितरा कोलियरी के पदाधिकारी से कोयला चोरी को लेकर पूछे जाने पर बताया गया है कि कोयला चोरी रोकने को लेकर सुरक्षा गार्ड लगाया गया है और समय-समय पर पेट्रोलिंग भी किया जाता है, जिससे काफी हद तक कोयला चोरी पर कंट्रोल है और इस पर नियंत्रण करने के लिए कार्रवाई की जा रही है. स्थानीय समाज सेवी और चेतना मंच के संस्थापक पशुपति देव ने बताया कि कोयला चोरी का खेल सभी की साठ-गांठ से ही होता है.

जामताड़ा: कोयला ढुलाई के क्रम में रास्ते से हो रही कोयला चोरी को रोकने में जिला प्रशासन असफल साबित हो रहा है. चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से कोयले की ढुलाई के क्रम में रास्ते से कोयले की चोरी की जा रही है. प्रतिदिन हजारों टन कोयले की चोरी हो रही है, जिसे रोकने में चितरा कोलियरी प्रबंधन और जिला प्रशासन पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है.

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चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से ढुलाई के क्रम में रास्ते में जगह-जगह पर कोयले की चोरी होती है. दिनदहाड़े कोयले की चोरी की जाती है. कोयला चोरी के बाद वाहन चालक और चोर बाकी बचे कोयले पर पानी और पत्थर डालकर वजन की भरपाई कर देते हैं. जिसे रोक पाने में चितरा प्रबंधन और जामताड़ा प्रशासन के साथ-साथ देवघर प्रशासन भी पूरी तरह विफल साबित हो रहा है. प्रतिदिन हजारों टन कोयले की चोरी की जा रही है. ऐसे में रोज सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है. इसके अलावा जामताड़ा रेलवे साइडिंग से भी कोयले की चोरी और तस्करी की जाती है. साइकिल और मोटरसाइकिल से कोयले की तस्करी की जाती है.

ईसीएल का चितरा कोलियरी देवघर जिला के अंतर्गत स्थित है, जो जामताड़ा जिला की सीमा पर ही है. चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई संवेदक की ओर से की जाती है, फिर जामताड़ा रेलवे साइडिंग से रेलवे रैफ की ओर से विभिन्न ताप घरों में कोयला भेजा जाता है.

इस क्रम में चितरा कोलियरी से लेकर जामताड़ा रेलवे साइडिंग देवघर जिला जामताड़ा जिला जिला रास्ते कोयला लेकर डंफर रेलवे साइडिंग पहुंचती है. इस क्रम में जगह-जगह पर कोयला की चोरी दिन के उजाले में प्रशासन के नाक के नीचे किया जाता है. सुरक्षा के नाम पर सारी व्यवस्था और खर्च भी धरी की धरी रह जाती है. ऐसी बात नहीं है कि चोरी की जानकारी चितरा प्रबंधन और जिला प्रशासन को नहीं है, लेकिन पुलिस की मिलीभगत से प्रतिदिन चोरी का खेल जारी है.

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बताया जाता है कि कोयला चोरी रोकने को लेकर चितरा प्रबंधन की ओर से सुरक्षा गार्ड भी लगाए गए हैं. सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च भी किया जाता है. इसके बावजूद कोयला चोरी नहीं रूक रहा है. जामताड़ा रेलवे साइडिंग में होमगार्ड लगाए गए हैं, सुरक्षा गार्ड भी तैनात हैं फिर भी कोयला चोरी नहीं रूक रहा है. इसे लेकर कई बार जामताड़ा जिला प्रशासन और चितरा प्रबंधन के साथ कोयला चोरी रोकने को लेकर बैठक भी हुई. फिर भी कोयला चोरी पर लगाम नहीं लग पा रही है.

हालांकि इस बारे में चितरा कोलियरी के पदाधिकारी से कोयला चोरी को लेकर पूछे जाने पर बताया गया है कि कोयला चोरी रोकने को लेकर सुरक्षा गार्ड लगाया गया है और समय-समय पर पेट्रोलिंग भी किया जाता है, जिससे काफी हद तक कोयला चोरी पर कंट्रोल है और इस पर नियंत्रण करने के लिए कार्रवाई की जा रही है. स्थानीय समाज सेवी और चेतना मंच के संस्थापक पशुपति देव ने बताया कि कोयला चोरी का खेल सभी की साठ-गांठ से ही होता है.

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