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जामताड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में सखी दीदी उपलब्ध करा रही हैं बैंकिंग सुविधा, महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर - जामताड़ा न्यूज

जामताड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में झारखंड स्टेट लाइवलीहूड प्रमोशन सोसाइटी के माध्यम से बैंकिंग सुविधा मुहैया कराई जा रही है. सखी दीदी इन महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रही हैं. महिलाएं कहती हैं कि मजदूरी कर जीवन यापन करते थे. लेकिन अब रोजगार कर रहे हैं.

rural areas in Jamtara
जामताड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में सखी दीदी उपलब्ध करा रही हैं बैंकिंग सुविधा
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Published : Jan 24, 2022, 10:41 AM IST

जामताड़ाः जिले का ग्रामीण क्षेत्र काफी पिछड़ा है. इन पिछड़े इलाकों की महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें. इसको लेकर झारखंड स्टेट लाइवली हूड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की ओर से बैंकिंग सखी दीदी के माध्यम से बैंकिंग सुविधा मुहैया कराई जा रही है. इससे बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं. स्थिति यह है कि सखी दीदी की पहचान बैंक वाली दीदी के रूप में बन गई है.

यह भी पढ़ेंःमंत्री आलमगीर आलम ने की जेएसएलपीएस के विभिन्न योजनाओं की समीक्षा, पलाश ब्रांड के 5 नए उत्पादों को भी किया लॉन्च

सिउली बाड़ी गांव में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करा रही सखी दीदी बैंक वाली दीदी के रूप में पहचान बना चुकी हैं. बैंक वाली दीदी घर घर जाकर महिलाओं को बैंक खाता खोलने के लिए प्रेरित करती हैं, बल्कि खाते में पैसा जमा करने और निकासी भी करवाती है. इतना ही नहीं, जो महिलाएं बैंक या बैंक के सेंटर नहीं पहुंच सकती हैं, उन महिलाओं के घर पहुंचकर सखी दीदी बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करवाती हैं.

बैंक वाली दीदी के नाम से पहचान बना चुकी सखी दीदी बबीता कुमारी कहती हैं कि पहले जेएसएलपीएस से जुड़कर गांव में कार्य करना शुरू की. ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण महिलाएं बचत नहीं कर पाती थी और ना हीं बैंक जाकर खाता खुलवाती थी. इस स्थिति में घर-घर जाकर महिलाओं को बैंक का खाता खुलवाने और पैसा जमा करने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद धीरे-धीरे महिलाएं जुड़ती गईं. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में ग्रामीण महिलाओं के नाम से बैंक खाता होने के साथ साथ नियमित रूप से पैसा भी जमा कर रही हैं.

देखें पूरी खबर
ग्रामीण महिलाएं बैंकिंग सुविधा मिलने से काफी खुश हैं. महिलाएं कहती हैं कि बैंक वाली दीदी की वजह से आज बैंक में खाता भी है और कुछ पैसा भी जमा कर ली है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर पैसा निकाल भी लेते हैं. बता दें कि बैंक वाली दीदी के माध्यम से 2 हजार महिलाएं बैंक में खाता खुलवा चुकी हैं. इतना ही नहीं, बैंक वाली दीदी समूह बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रही हैं. महिलाएं सेनेटरी पैड और फिनाइल बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं. महिलाएं कहती हैं कि वो पहले घर में चूल्हा-चौका करती थी और मजदूरी कर जीवन यापन करती थी. लेकिन अब बैंक वाली दीदी के समूह से जुड़कर फिनायल का रोजगार कर रही हैं.

जामताड़ाः जिले का ग्रामीण क्षेत्र काफी पिछड़ा है. इन पिछड़े इलाकों की महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें. इसको लेकर झारखंड स्टेट लाइवली हूड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की ओर से बैंकिंग सखी दीदी के माध्यम से बैंकिंग सुविधा मुहैया कराई जा रही है. इससे बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं. स्थिति यह है कि सखी दीदी की पहचान बैंक वाली दीदी के रूप में बन गई है.

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सिउली बाड़ी गांव में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करा रही सखी दीदी बैंक वाली दीदी के रूप में पहचान बना चुकी हैं. बैंक वाली दीदी घर घर जाकर महिलाओं को बैंक खाता खोलने के लिए प्रेरित करती हैं, बल्कि खाते में पैसा जमा करने और निकासी भी करवाती है. इतना ही नहीं, जो महिलाएं बैंक या बैंक के सेंटर नहीं पहुंच सकती हैं, उन महिलाओं के घर पहुंचकर सखी दीदी बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करवाती हैं.

बैंक वाली दीदी के नाम से पहचान बना चुकी सखी दीदी बबीता कुमारी कहती हैं कि पहले जेएसएलपीएस से जुड़कर गांव में कार्य करना शुरू की. ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण महिलाएं बचत नहीं कर पाती थी और ना हीं बैंक जाकर खाता खुलवाती थी. इस स्थिति में घर-घर जाकर महिलाओं को बैंक का खाता खुलवाने और पैसा जमा करने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद धीरे-धीरे महिलाएं जुड़ती गईं. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में ग्रामीण महिलाओं के नाम से बैंक खाता होने के साथ साथ नियमित रूप से पैसा भी जमा कर रही हैं.

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ग्रामीण महिलाएं बैंकिंग सुविधा मिलने से काफी खुश हैं. महिलाएं कहती हैं कि बैंक वाली दीदी की वजह से आज बैंक में खाता भी है और कुछ पैसा भी जमा कर ली है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर पैसा निकाल भी लेते हैं. बता दें कि बैंक वाली दीदी के माध्यम से 2 हजार महिलाएं बैंक में खाता खुलवा चुकी हैं. इतना ही नहीं, बैंक वाली दीदी समूह बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रही हैं. महिलाएं सेनेटरी पैड और फिनाइल बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं. महिलाएं कहती हैं कि वो पहले घर में चूल्हा-चौका करती थी और मजदूरी कर जीवन यापन करती थी. लेकिन अब बैंक वाली दीदी के समूह से जुड़कर फिनायल का रोजगार कर रही हैं.
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