जामताड़ा: लोक आस्था का पवित्र पर्व छठ को लेकर सरकार ने गाइडलाइन जारी किया है. इस गाइडलाइन के तहत छठ घाटों, नदियों और तालाबों में अर्ध देने जाने पर रोक लगा दी गई है. जिससे जामताड़ा में लोगों ने विरोध किया जा रहा है. सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की जा रही है.
छठ पर्व को लेकर जारी गाइडलाइन का विरोधदीपावली के बाद छठ को लेकर तैयारी शुरू हो जाती हैं. छठ लोक आस्था के साथ मनाया जाने वाला पर्व है, जो नियम विधि के साथ मनाया जाता है. इस साल कोरोना संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए सरकार ने विभिन्न छठ घाटों, नदियों, तालाबों में अर्ध देने पर रोक लगा दी है और श्रद्धालुओं से घरों में छठ पर्व मनाने की अपील की गई है, जिसका स्थानीय बुद्धिजीवी और समाजसेवी विरोध कर रहे हैं.
पुनर्विचार करने की है मांगस्थानीय समाजसेवी बुद्धिजीवियों ने हिंदुओं के महान पवित्र लोक आस्था के साथ मनाया जाना इस पवित्र छठ को लेकर जारी किए गाइडलाइन पर विचार करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि छठ पर्व लोक आस्था का पर्व है और घाट में जा कर अर्ध देने की परंपरा है. ऐसे में सरकार को इस फैसले पर अपना फैसला पर पूर्ण विचार करना चाहिए.
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छठ पर्व को लेकर सरकार की जारी गाइडलाइन को लेकर समाजसेवियों ने इस पर दोबारा विचार करने की मांग की है तो वहीं भाजपा ने सरकार के इस फैसले को तुगलकी फरमान बताया है. भाजपा के जिला अध्यक्ष और भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य ने इसे सरकार का तुगलकी फरमान बताया है और कहा है इस सरकार अपने इस फैसले को तुरंत वापस ले.