जामताड़ा: जिला व्यवहार न्यायालय में न्याय के लिए पहुंचने वाले जिले भर के लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां ना तो पर्याप्त शौचालय की कोई व्यवस्था है और ना पीने के पानी के लिए कोई खास प्रबंध है. ईटीवी भारत की टीम ने जब इसका हाल देखा तो कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आईं.
इसे भी पढ़ें- ETV Bharat Ground Report: रांची सिविल कोर्ट में साफ-सफाई और पार्किंग की समस्या से लोग परेशान
यहां सबसे बुरा हाल अनुमंडल कोर्ट परिसर का है. जहां ना शौचालय की व्यवस्था है ना ही लोगों को पीने के पानी मिल पाता है. आलम ऐसा है कि फूस के छप्पर के नीचे अधिवक्ताओं को बैठकर काम करना पड़ता है. जामताड़ा व्यवहार न्यायालय में न्याय के लिए आने वाले लोगों को यहां कोई खास सुविधा नहीं मिलती है.
पानी और शौचालय की बदहाल स्थितिः जिला व्यवहार न्यायालय का हाल यह है कि यहां आने वाले लोगों को खासकर महिलाओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पेयजल की सुविधा नसीब से हो पाती है धूप और बरसात से बचाव के लिए कोई शेड तक की व्यवस्था इस परिसर में नहीं है. इसका नतीजा यह है कि मुवक्किलों को इधर-उधर पेड़ के नीचे इंतजार करना पड़ता है. यहां आने वाले लोगों को कोर्ट परिसर में पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. इसके अलावा यहां शौचालय का हाल भी काफी बुरा है. न्यायालय परिसर में शौचालय तो बनाया गया है लेकिन वो सिर्फ दिखावा ही बनकर रह गया है. इस बाबत जिला अधिवक्ता संघ के अधिवक्ता ने प्रशासन से इस पर पहल करने की मांग की है.
झोपड़ी में बैठते हैं वकीलः इससे बदतर स्थिति जामताड़ा पुराना कोर्ट की है, जहां ना पेयजल की व्यवस्था है ना शौचालय की व्यवस्था है और ना ही अधिवक्ताओं को बैठने का ही कोई व्यवस्था है. यहां पर जहां-तहां अधिवक्ताओं को झोपड़ी में बैठकर काम करना पड़ता है. यहां आने वाले हर व्यक्ति को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ता है. अधिवक्ता संघ की ओर से पानी की व्यवस्था पीने के लिए की जाती है.
अधिवक्ताओं ने कई बार रखी मांगः इन समस्याओं को लेकर जिला अधिवक्ता संघ की ओर से अधिवक्ताओं ने कई बार प्रशासन से लोगों की सुविधा के लिए शौचालय, पीने के पानी, शेड की व्यवस्था करने का ध्यान आकृष्ट कराया और मांग पत्र भी दिया. लेकिन आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई. आश्चर्य की बात यह है कि जामताड़ा पुराना कोर्ट परिसर में नए भवन का निर्माण करोड़ों की लागत से कराने की योजना है, जिसका शिलान्यास भी किया गया. लेकिन यहां सुविधाएं क्या दी जा रही है, इसको लेकर कोई बात नही की जा रही है और ना ही अधिवक्ताओं द्वारा विरोध किए जाने के बाद भी प्रशासन कोई पहल कर रही है. जिस पेड़ के नीचे पुराना कोर्ट परिसर में काम करते थे प्रशासन द्वारा उसी पेड़ को काट दिया गया, जिससे अधिवक्ताओं में रोष व्याप्त है.
बहरहाल झारखंड उच्च न्यायालय के नए भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश ने सिविल कोर्ट में महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं मिलने पर चिंता जाहिर की. ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में कमोबेश जामताड़ा के कोर्ट परिसर में हालात बदतर नजर आए हैं. अब देखना है कि मुख्य न्यायाधीश के इस सवाल पर झारखंड सरकार और जिला प्रशासन कितना संजीदगी से काम करती है.