जामताड़ाः जिला व्यवहार न्यायालय में पिछले 1 साल से स्टांप वेंडर के नियुक्ति नहीं हो पाई है. स्टांप वेंडर की व्यवस्था नहीं रहने से अधिवक्ता समेत मुवक्किलों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मुवक्किल को या तो ज्यादा कीमत देकर टिकट खरीदना पड़ता है या दूसरी जगह से जाकर लाने को मजबूर हैं. इसके साथ-साथ वकीलों को भी परेशान होना पड़ता है.
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जामताड़ा जिला व्यवहार न्यायालय बनने के बाद मुवक्किल और अधिवक्ताओं की सुविधा के लिए स्टांप वेंडर की नियुक्ति की गयी थी. प्रशासन द्वारा लाइसेंस भी दे दिया गया था लेकिन जिसे स्टांप वेंडर चलाने की अनुमति दी गयी थी उसकी एक साल पहले मौत हो गयी. उसके बाद से आज तक प्रशासन द्वारा दूसरा स्टांप वेंडर बहाल नहीं किया गया है. इसको लेकर कई बार अधिवक्ताओं ने प्रशासन से शिकायत की लेकिन आज तक इसका हल नहीं हो पाया है. जिससे अधिवक्ताओं में आक्रोश गहराता जा रहा है और सभी गोलबंद होने लगे हैं.
क्या कहते हैं अधिवक्ताः जिला व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता मोहनलाल बर्मन ने जिला कोर्ट में स्टांप वेंडर नहीं रहने से अधिवक्ता और मुवक्किलों को हो रही परेशानी साझा की. जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि स्टांप वेंडर के नहीं रहने से काफी परेशानी होती है, स्टांप के लिए दोगुना पैसा चुकाना पड़ता है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर शीघ्र ही स्टांप वेंडर की व्यवस्था नहीं की गयी तो इसके लिए अधिवक्ता आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे.
क्या कहते हैं मुवक्किलः इसको लेकर मुवक्किल बताते हैं कि जिला व्यवहार न्यायालय में स्टांप वेंडर नहीं रहने से उन्हें काफी परेशान होना पड़ता है. पुराना कोर्ट अनुमंडल आकर टिकट लेना पड़ता है या दोगुना पैसा चुकाना पड़ता है, इससे उन्हें काफी परेशानी होती है. जामताड़ा सिविल कोर्ट में स्टांप वेंडर नहीं रहने से अधिवक्ता और मुवक्किलों को हो रही परेशानी से वकील अब गोलबंद होने लगे हैं और कोर्ट में स्टांप वेंडर बहाल करने की मांग तेज हो गयी है.