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प्रसिद्ध है पाथरोल का मां दक्षिणा काली मंदिर, पूजा से पूर्ण होती है भक्तों की मनोकामनाएं - जामताड़ा की खबर

जामताड़ा में स्थित पाथरोल मां दक्षिणा काली मंदिर ऐतिहासिक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, इस मंदिर में प्रत्येक साल मां काली की विशेष पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है.

Pathrol Maa Dakshina Kali Temple
पाथरौल का मां काली मंदिर
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Published : May 9, 2022, 11:30 AM IST

जामताङा: जिले में पाथरोल मां दक्षिणा काली मंदिर ऐतिहासिक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. संथाल परगना के अलावा दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु काफी संख्या में यहां पर मां का दर्शन और पूजा करने पहुंचते हैं. जामताड़ा जिले से सटे देवघर के कौरों थाना क्षेत्र में स्थित इस मंदिर में श्रद्धालुओं के द्वारा मां काली की विशेष पूजा भी की जाती है और साल में एक बार इस मंदिर परिसर में मेला का आयोजन किया जाता है.

ये भी पढ़ें:- धनबाद के कतरास में काली मंदिर का निर्माण पूरा, प्राण प्रतिष्ठा के लिए निकाली गई कलश यात्रा

राजा दिग्विजय सिंह ने बनाया था मंदिर: पाथरोल काली मंदिर का ऐतिहासिसक दृष्टिकोण से काफी विशेष और महत्व है. कहा जाता है कि पाथरोल काली मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में तत्कालीन राजा दिग्विजय सिंह ने स्थापित की थी. बताया जाता है कि उस समय राजा मां काली के काफी भक्त थे. पूजा अर्चना किया करते थे. एक दिन राजा को ये सपना में मां काली आयी और आदेश दिया कि कोलकाता कालीघाट में जो प्रतिमा है उसे लाकर पथरौल में स्थापित करें. राजा सपने को मां काली का आदेश मानकर कालीघाट गए और वहां से प्रतिमा लाकर यहां स्थापित की. तभी से ये मंदिर दक्षिणा काली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है.

साल में एक बार होती है विशेष पूजा: पाथरोल मां काली मंदिर में अक्टूबर माह कार्तिक मास के महीना में साल में एक बार विशेष मेला का आयोजन किया जाता है. विशेष पूजा की जाती है. दूरदराज से काफी संख्या में तीर्थयात्री श्रद्धालु भक्त यहां पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं और मेले का भी आनंद लेते हैं. ऐसा कहा जाता है कि दक्षिणा मां काली मंदिर एक जागृत मंदिर है. जो भक्त सच्चे हृदय और मन से मां के सामने मन्नते मांगते हैं उनकी मांग पूरी होती है.

जामताङा: जिले में पाथरोल मां दक्षिणा काली मंदिर ऐतिहासिक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. संथाल परगना के अलावा दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु काफी संख्या में यहां पर मां का दर्शन और पूजा करने पहुंचते हैं. जामताड़ा जिले से सटे देवघर के कौरों थाना क्षेत्र में स्थित इस मंदिर में श्रद्धालुओं के द्वारा मां काली की विशेष पूजा भी की जाती है और साल में एक बार इस मंदिर परिसर में मेला का आयोजन किया जाता है.

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राजा दिग्विजय सिंह ने बनाया था मंदिर: पाथरोल काली मंदिर का ऐतिहासिसक दृष्टिकोण से काफी विशेष और महत्व है. कहा जाता है कि पाथरोल काली मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में तत्कालीन राजा दिग्विजय सिंह ने स्थापित की थी. बताया जाता है कि उस समय राजा मां काली के काफी भक्त थे. पूजा अर्चना किया करते थे. एक दिन राजा को ये सपना में मां काली आयी और आदेश दिया कि कोलकाता कालीघाट में जो प्रतिमा है उसे लाकर पथरौल में स्थापित करें. राजा सपने को मां काली का आदेश मानकर कालीघाट गए और वहां से प्रतिमा लाकर यहां स्थापित की. तभी से ये मंदिर दक्षिणा काली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है.

साल में एक बार होती है विशेष पूजा: पाथरोल मां काली मंदिर में अक्टूबर माह कार्तिक मास के महीना में साल में एक बार विशेष मेला का आयोजन किया जाता है. विशेष पूजा की जाती है. दूरदराज से काफी संख्या में तीर्थयात्री श्रद्धालु भक्त यहां पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं और मेले का भी आनंद लेते हैं. ऐसा कहा जाता है कि दक्षिणा मां काली मंदिर एक जागृत मंदिर है. जो भक्त सच्चे हृदय और मन से मां के सामने मन्नते मांगते हैं उनकी मांग पूरी होती है.

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