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सिस्टम में उलझकर रह गई 'पंख'! एक साल बाद स्कूल पहुंची पत्रिका

जामताड़ा में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आयी है. विभाग बच्चों को पढ़ने के लिए 2020 की पंख पत्रिका 2021 में स्कूलों को मुहैया करवा रही है. ऐसे में जब कोरोना महामारी के कारण जिले में सभी स्कूल बंद हैं तब ये सवाल उठ रहा है कि इस पत्रिका को बच्चे कैसे पढ़ेंगे.

pankh patrika
पंख पत्रिका
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Published : Jun 27, 2021, 8:06 PM IST

जामताड़ा: जिले में कोरोना महामारी के कारण साल 2020 से ही सभी स्कूल बंद हैं. लगभग एक साल से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. लेकिन झारखंड का शिक्षा विभाग शायद ये मानने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि स्कूलों में पढ़ने के लिए साल 2020 की पंख पत्रिका साल 2021 में भेजी जा रही है. वह भी तब जब जिले में सभी स्कूल बंद हैं.

देखे पूरी खबर

ये भी पढ़ें- झारखंड में निजी स्कूलों की मनमानी पर कसेगा नकेल, शिक्षा विभाग के निर्देश पर जिला स्तर पर बनाई गई जांच कमेटी

विद्यालय बंद तो कौन पढ़ेगा किताब?

झारखंड सरकार का शिक्षा विभाग लाखों रुपए खर्च कर विद्यालयों में बच्चों को पढ़ने के लिए पंख पत्रिका मुहैया कराती है. बच्चों के बौद्धिक कौशल विकास के नाम पर प्रत्येक साल इस पत्रिका का प्रकाशन होता है. साल 2020 में भी इस किताब का प्रकाशन हुआ था. लेकिन कोरोना महामारी के कारण सभी स्कूल बंद हो गए हैं जो अब तक नहीं खुले हैं. बच्चे कब स्कूल जाएंगे ये भी अभी बताना नामुमकिन है. ऐसे में पिछले साल प्रकाशित पंख पत्रिका को इस साल स्कूल में भेजने का औचित्य क्या है ये समझ से परे है.

क्या कहते हैं अधिकारी?

इस बारे में जब शिक्षा विभाग के एडीपीआरओ से पूछा गया तो उन्होंने देरी के लिए कोरोना को जिम्मेवार ठहराया. उन्होंने बताया कि इसे सभी विद्यालयों में भेजा जाएगा. इसके साथ उन्होंने ये भी बताया कि पंख पत्रिका बच्चे स्कूल में ही पढ़ सकेंगे. इसलिए जब तक स्कूल नहीं खुल जाते हैं तब तक पत्रिका विद्यालय में ही रखी जाएगी.

विभाग के काम पर उठ रहे सवाल?

जब सरकारी विद्यालय बंद है, बच्चे घर में पंख पत्रिका पढ़ नहीं सकते. ऐसे में स्कूलों में पत्रिका को रखकर लाखों रुपए बर्बाद करने के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. जिसका जवाब शायद ही कोई अधिकारी देंगे.

जामताड़ा: जिले में कोरोना महामारी के कारण साल 2020 से ही सभी स्कूल बंद हैं. लगभग एक साल से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. लेकिन झारखंड का शिक्षा विभाग शायद ये मानने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि स्कूलों में पढ़ने के लिए साल 2020 की पंख पत्रिका साल 2021 में भेजी जा रही है. वह भी तब जब जिले में सभी स्कूल बंद हैं.

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विद्यालय बंद तो कौन पढ़ेगा किताब?

झारखंड सरकार का शिक्षा विभाग लाखों रुपए खर्च कर विद्यालयों में बच्चों को पढ़ने के लिए पंख पत्रिका मुहैया कराती है. बच्चों के बौद्धिक कौशल विकास के नाम पर प्रत्येक साल इस पत्रिका का प्रकाशन होता है. साल 2020 में भी इस किताब का प्रकाशन हुआ था. लेकिन कोरोना महामारी के कारण सभी स्कूल बंद हो गए हैं जो अब तक नहीं खुले हैं. बच्चे कब स्कूल जाएंगे ये भी अभी बताना नामुमकिन है. ऐसे में पिछले साल प्रकाशित पंख पत्रिका को इस साल स्कूल में भेजने का औचित्य क्या है ये समझ से परे है.

क्या कहते हैं अधिकारी?

इस बारे में जब शिक्षा विभाग के एडीपीआरओ से पूछा गया तो उन्होंने देरी के लिए कोरोना को जिम्मेवार ठहराया. उन्होंने बताया कि इसे सभी विद्यालयों में भेजा जाएगा. इसके साथ उन्होंने ये भी बताया कि पंख पत्रिका बच्चे स्कूल में ही पढ़ सकेंगे. इसलिए जब तक स्कूल नहीं खुल जाते हैं तब तक पत्रिका विद्यालय में ही रखी जाएगी.

विभाग के काम पर उठ रहे सवाल?

जब सरकारी विद्यालय बंद है, बच्चे घर में पंख पत्रिका पढ़ नहीं सकते. ऐसे में स्कूलों में पत्रिका को रखकर लाखों रुपए बर्बाद करने के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. जिसका जवाब शायद ही कोई अधिकारी देंगे.

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