जामताड़ा: पीड़ित महिलाओं की सहायता और सुविधा को लेकर जामताड़ा में खोले गए सखी वन स्टॉप सेंटर सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है. ज्यादातर सखी वन स्टॉप सेंटर में ताला लगा रहता है. ये ताला कब खुलता है कब बंद होता है किसी को पता तक नहीं चलता.
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कागज में चल रहा
जामताड़ा में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सहायता और सुविधा को लेकर सखी वन स्टॉप सेंटर खोला गया है लेकिन यह कब खुलता है और कब बंद होता है किसी को पता तक नहीं. कहने के लिए तो कागज में विभाग की फाइल में सखी वन स्टॉप सेंटर चल रहा है लेकिन हकीकत में यह रहता है बंद.
भाजपा ने लगाए कई आरोप
जामताड़ा जिले के भाजपा अध्यक्ष ने सखी वन स्टॉप सेंटर को लेकर स्थानीय प्रशासन और सरकार पर महिला विरोधी का आरोप लगाया है. जिला अध्यक्ष ने बताया कि इस सरकार और प्रशासन में पीड़ित महिलाओं के न्याय के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. उनकी समस्या का समाधान कैसे हो, कहां जाकर अपनी गुहार लगाएं, कोई देखने वाला नहीं है.
पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने किया था उद्घाटन
जामताड़ा जिले में घरेलू हिंसा से पीड़ित ऐसी महिलाएं जिसे कोई देखने वाला नहीं है. महिलाओं को सहायता सुविधा को लेकर तत्कालीन भाजपा सरकार में मंत्री रहीं लुईस मरांडी ने स्वास्थ्य विभाग के एनएचएम प्रशिक्षण भवन में इसका उद्घाटन कर शुरुआत की थी. उद्घाटन के बाद एक-दो दिन तो खुला लेकिन उसके बाद से बताया जाता है कि यह बंद ही रहता है.
अब तक एक या दो ही मामलों में दी गई सहायता
बरसों बीत गए हैं लेकिन इस सखी वन स्टॉप सेंटर में कितनी महिलाएं आईं कितनी महिलाओं को सहायता दी गई इसका कोई लेखा-जोखा ना किसी को पता है ना किसी को जानकारी है. बताया जाता है कि अब तक एक या दो ही पीड़ित महिलाओं को सखी वन स्टॉप सेंटर से सहायता दी गई है.
हालांकि इस बारे में जब जिले के समाज कल्याण पदाधिकारी से संपर्क कर पूछा गया कि कितनी महिलाओं को सहायता प्रदान की गई कितने पीड़ित महिलाएं आई, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं दे पाए.
लेकिन इतना जरूर बताया कि सखी वन स्टॉप सेंटर में जो महिलाएं आती हैं जिनको मेडिकल सुविधा देने का प्रावधान है उसे दी गई और जो घरेलू पीड़ित महिलाएं आती हैं जिसको काउंसलिंग की जरूरत है. उसे काउंसलिंग करावा कर घर वापस भेजा जाता है.
बहरहाल कागज कलम में भले ही विभाग की फाइल में सखी वन स्टॉप सेंटर चल रहा हो लेकिन धरातल में इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है और यह बंद पड़ा रहता है जोकि विभाग की लापरवाही और संवेदनशीलता को दर्शाता है.