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Jamtara News: जामताड़ा के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था खस्ताहाल, पानी के लिए जाना पड़ता है तालाब - jharkhand news

जामताड़ा के कर्माटांड़ प्रखंड के कठबरारी स्कूल में बच्चों को ना ठीक से मध्याह्न भोजन मिलता है और ना ही पीने के पानी और शौचालय की कोई खास व्यवस्था है. बच्चों को पानी के लिए तालाब में जाना पड़ता है.

Kathbari school of Jamtara
Kathbari school of Jamtara
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Published : May 1, 2023, 8:02 AM IST

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जामताड़ा: जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है. बच्चों को ना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है और ना ही सरकार से दी जाने वाली किसी सुविधा का पर्याप्त लाभ ही मिल पाता है. ऐसा ही एक मामला जिले के कर्माटांड़ प्रखंड के कठबरारी स्कूल से सामने आया है, जहां ना तो बच्चों के लिए पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था है और ना ही शौचालय की व्यवस्था है. मध्याह्न भोजन भी ढंग से नहीं मिल पाता है. नतीजा पानी के लिए बच्चों को बाहर जाना पड़ता है. यहां तक कि बच्चों को तालाब जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे बच्चों के साथ किसी हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी बेखबर बने हुए हैं.

यह भी पढ़ें: Jamtara: गांव में पेयजल की विकराल समस्या, दूषित पानी से प्यास बुझाने को मजबूर ग्रामीण

क्या कहते हैं स्कूल के बच्चे: तालाब जा रहे स्कूल के बच्चे से जब पूछा गया कि उन्हें क्यों आना पड़ा तो बच्चे का कहना था कि स्कूल में चापाकल नहीं है. एक चापाकल है, जहां काफी भीड़ थी, जिसके कारण उन्हें मजबूरन तालाब जाना पड़ता है. कहने के लिए तो इस स्कूल में 1 चापाकल गड़ा हुआ है, लेकिन वह खराब है. शौचालय है, लेकिन उसका भी नक्शा बिगड़ा हुआ है. उसमें बच्चे शौच करने नहीं जाते. नतीजा बच्चों को शौच और पीने के पानी के लिए दूसरी जगह जाना पड़ता है. जब शौच के लिए पानी की जरूरत पड़ती है, तो तालाब जाने के लिए मजबूर होते हैं.

मेनू के हिसाब से नहीं मिलता है भोजन: विद्यालय का आलम यह है कि मध्याह्न भोजन भी सही ढंग से बच्चों को नहीं दिया जाता है. मेनू के हिसाब से सरकार ने बच्चों को भोजन देने की व्यवस्था की है, लेकिन जो मिलना चाहिए, बच्चों को वह नहीं मिल पाता है. बच्चों का कहना है कि विद्यालय के मध्याह्न भोजन में उन्हें भरपेट भोजन नहीं मिलता है, पेट नहीं भरता है. कभी अंडा मिलता है. कभी नहीं मिलता है. कभी उन्होंने वेज पुलाव नहीं खाया है. बोलने पर डांट मिलती है. अभिभावक और स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि विद्यालय की व्यवस्था चौपट है. मध्याह्न भोजन मेनू के हिसाब से नहीं दिया जाता है. पानी और शौच की व्यवस्था सही ढंग से नहीं है. बच्चे को बाहर तालाब जाना पड़ता है.

एक तरफ सरकार बच्चों को बेहतर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की बात करती है. वहीं दूसरी ओर जामताड़ा के इस कठबरारी स्कूल ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. शिक्षा विभाग के पदाधिकारी एसी रूम में बैठकर कुर्सी तोड़ने में व्यस्त हैं.

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जामताड़ा: जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है. बच्चों को ना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है और ना ही सरकार से दी जाने वाली किसी सुविधा का पर्याप्त लाभ ही मिल पाता है. ऐसा ही एक मामला जिले के कर्माटांड़ प्रखंड के कठबरारी स्कूल से सामने आया है, जहां ना तो बच्चों के लिए पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था है और ना ही शौचालय की व्यवस्था है. मध्याह्न भोजन भी ढंग से नहीं मिल पाता है. नतीजा पानी के लिए बच्चों को बाहर जाना पड़ता है. यहां तक कि बच्चों को तालाब जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे बच्चों के साथ किसी हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी बेखबर बने हुए हैं.

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क्या कहते हैं स्कूल के बच्चे: तालाब जा रहे स्कूल के बच्चे से जब पूछा गया कि उन्हें क्यों आना पड़ा तो बच्चे का कहना था कि स्कूल में चापाकल नहीं है. एक चापाकल है, जहां काफी भीड़ थी, जिसके कारण उन्हें मजबूरन तालाब जाना पड़ता है. कहने के लिए तो इस स्कूल में 1 चापाकल गड़ा हुआ है, लेकिन वह खराब है. शौचालय है, लेकिन उसका भी नक्शा बिगड़ा हुआ है. उसमें बच्चे शौच करने नहीं जाते. नतीजा बच्चों को शौच और पीने के पानी के लिए दूसरी जगह जाना पड़ता है. जब शौच के लिए पानी की जरूरत पड़ती है, तो तालाब जाने के लिए मजबूर होते हैं.

मेनू के हिसाब से नहीं मिलता है भोजन: विद्यालय का आलम यह है कि मध्याह्न भोजन भी सही ढंग से बच्चों को नहीं दिया जाता है. मेनू के हिसाब से सरकार ने बच्चों को भोजन देने की व्यवस्था की है, लेकिन जो मिलना चाहिए, बच्चों को वह नहीं मिल पाता है. बच्चों का कहना है कि विद्यालय के मध्याह्न भोजन में उन्हें भरपेट भोजन नहीं मिलता है, पेट नहीं भरता है. कभी अंडा मिलता है. कभी नहीं मिलता है. कभी उन्होंने वेज पुलाव नहीं खाया है. बोलने पर डांट मिलती है. अभिभावक और स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि विद्यालय की व्यवस्था चौपट है. मध्याह्न भोजन मेनू के हिसाब से नहीं दिया जाता है. पानी और शौच की व्यवस्था सही ढंग से नहीं है. बच्चे को बाहर तालाब जाना पड़ता है.

एक तरफ सरकार बच्चों को बेहतर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की बात करती है. वहीं दूसरी ओर जामताड़ा के इस कठबरारी स्कूल ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. शिक्षा विभाग के पदाधिकारी एसी रूम में बैठकर कुर्सी तोड़ने में व्यस्त हैं.

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