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जामताड़ा में सरकारी काम में अनियमितता, न्यूनतम मजदूरी दर के हिसाब नहीं हो रहा भुगतान

जामताड़ा में सरकारी काम में अनियमितता देखने को मिल रही है. जिला में चल रहे सरकारी भवन निर्माण कार्य में मजदूरों का शोषण हो रहा है. इस काम में लगे में मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दर से कम पैसे दिए जा रहे हैं (Jamtara Workers not getting minimum wages). इसके अलावा उनके खाते में पैसे ना देकर उन्हें कैश पैसा दिया जा रहा है. इसके अलावा 18 वर्ष से कम एक किशोरी से भी काम कराने का मामला सामने आया है.

Jamtara Workers not getting minimum wages in government construction work
जामताड़ा के मजदूरों को सरकारी निर्माण कार्य में न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल रही है
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Published : Jan 8, 2023, 10:38 AM IST

देखें पूरी खबर

जामताड़ाः जिला में हो रहे सरकारी भवन निर्माण कार्य में नियमों की अनदेखी की जा रही है. इसको लेकर संबंधित विभाग कोताही बरत रहे हैं. निर्माण स्थल पर ना तो योजनाओं की जानकारी को लेकर कोई बोर्ड लगा है और ना ही न्यूनतम मजदूरी दर से कामगारों को नियमों के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है (Jamtara Workers not getting minimum wages).

इसे भी पढ़ें- ट्रायल के दौरान पानी भरते ही मिनटों में जमींदोज हुई 14 लाख की जलमीनार, लोग निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर उठा रहे सवाल

झारखंड सरकार द्वारा मजदूरों के लिए न्यूनतम दर निर्धारित किया गया है. इसके बावजूद जामताड़ा में मजदूरों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है. जिला में चल रहे सरकारी निर्माण कार्य में मजदूरों के साथ शोषण हो रहा है. नियमों के पालन को लेकर संबंधित विभाग के पदाधिकारी मजदूरों के प्रति असंवेदनशील नजर आ रहे हैं (Rules ignored in government work in Jamtara). वैसे सरकार की ओर से 400 रुपया मजदूरी प्रति दिन के हिसाब से देना है लेकिन यहां 270 से 280 प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है और मजदूरों को यह पैसे सप्ताह में दिया जा रहा है.


क्या कहते हैं मजदूरः जामताड़ा में चल रहे भवन निर्माण विभाग द्वारा करोड़ों की लागत से भवन निर्माण कार्य में सैकड़ों मजदूर काम कर रहे हैं. इन स्थलों पर कार्यरत मजदूरों से जब पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि प्रतिदिन 280 की दर से मजदूरी का भुगतान मिलता है, वह भी सप्ताह में 1 दिन पैसा दिया जाता है. इसके लिए उन्होंने बताया कि पैसे उनके खाते में नहीं दिया जाता है बल्कि उन्हें नकद भुगतान किया जाता है.



क्या कहते हैं श्रम अधीक्षकः सरकारी योजना के निर्माण कार्य में 18 साल से कम किशोरी से काम कराने का मामला भी सामने आया है. 14 साल से अधिक और 18 साल से कम उम्र के किशोरी से उम्र के हिसाब से ज्यादा काम लिया जा रहा है साथ ही नियम के हिसाब से भुगतान भी नहीं किया जा रहा है. इसको लेकर जिला के श्रम अधीक्षक द्वारा भी निर्माण स्थल का निरीक्षण किया गया. इस क्रम में पाया गया कि मजदूरों का सही समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता है और भवन निर्माण के कार्य में एक 18 साल से कम की किशोरी भी काम करती पाई गयी. इसे लेकर जिला श्रम अधीक्षक ने आश्वस्त किया कि मजदूरों का सही समय पर भुगतान हो इसके लेकर सभी संवेदक को आवश्यक निर्देश दिया गया है.




सरकारी योजना कार्यस्थल पर नहीं लगाया जाता है बोर्डः सरकारी योजना निर्माण कार्यस्थल पर संबंधित विभाग द्वारा कितने की योजना है, कौन सी योजना है, किसके द्वारा काम कराया जाना है, कितने मजदूरी भुगतान किया जाना है, इन तमाम जानकारी का बोर्ड लगाना अनिवार्य है लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया है. यहां पर जितने भी सरकारी योजना निर्माण काम चल रहे हैं, कहीं भी इस तरह का बोर्ड नहीं लगाया गया है.

भवन विभाग द्वारा जामताड़ा जिला में उत्पाद विभाग और सहकारिता भवन करोड़ की लागत से निर्माण का चल रहा (government construction work in Jamtara) है. लेकिन विभाग द्वारा कहीं भी निर्माण कार्य स्थल पर बोर्ड नहीं लगाया गया है. जबकि कई बार इसकी सूचना संबंधित विभाग के कार्यपालक अभियंता को दिया गया लेकिन इसका कोई असर होता नहीं देखा गया. यहां खुलेआम संवेदक द्वारा नियमों को ठेंगा दिखाया जाता है और सरकारी विभाग के पदाधिकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

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जामताड़ाः जिला में हो रहे सरकारी भवन निर्माण कार्य में नियमों की अनदेखी की जा रही है. इसको लेकर संबंधित विभाग कोताही बरत रहे हैं. निर्माण स्थल पर ना तो योजनाओं की जानकारी को लेकर कोई बोर्ड लगा है और ना ही न्यूनतम मजदूरी दर से कामगारों को नियमों के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है (Jamtara Workers not getting minimum wages).

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झारखंड सरकार द्वारा मजदूरों के लिए न्यूनतम दर निर्धारित किया गया है. इसके बावजूद जामताड़ा में मजदूरों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है. जिला में चल रहे सरकारी निर्माण कार्य में मजदूरों के साथ शोषण हो रहा है. नियमों के पालन को लेकर संबंधित विभाग के पदाधिकारी मजदूरों के प्रति असंवेदनशील नजर आ रहे हैं (Rules ignored in government work in Jamtara). वैसे सरकार की ओर से 400 रुपया मजदूरी प्रति दिन के हिसाब से देना है लेकिन यहां 270 से 280 प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है और मजदूरों को यह पैसे सप्ताह में दिया जा रहा है.


क्या कहते हैं मजदूरः जामताड़ा में चल रहे भवन निर्माण विभाग द्वारा करोड़ों की लागत से भवन निर्माण कार्य में सैकड़ों मजदूर काम कर रहे हैं. इन स्थलों पर कार्यरत मजदूरों से जब पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि प्रतिदिन 280 की दर से मजदूरी का भुगतान मिलता है, वह भी सप्ताह में 1 दिन पैसा दिया जाता है. इसके लिए उन्होंने बताया कि पैसे उनके खाते में नहीं दिया जाता है बल्कि उन्हें नकद भुगतान किया जाता है.



क्या कहते हैं श्रम अधीक्षकः सरकारी योजना के निर्माण कार्य में 18 साल से कम किशोरी से काम कराने का मामला भी सामने आया है. 14 साल से अधिक और 18 साल से कम उम्र के किशोरी से उम्र के हिसाब से ज्यादा काम लिया जा रहा है साथ ही नियम के हिसाब से भुगतान भी नहीं किया जा रहा है. इसको लेकर जिला के श्रम अधीक्षक द्वारा भी निर्माण स्थल का निरीक्षण किया गया. इस क्रम में पाया गया कि मजदूरों का सही समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता है और भवन निर्माण के कार्य में एक 18 साल से कम की किशोरी भी काम करती पाई गयी. इसे लेकर जिला श्रम अधीक्षक ने आश्वस्त किया कि मजदूरों का सही समय पर भुगतान हो इसके लेकर सभी संवेदक को आवश्यक निर्देश दिया गया है.




सरकारी योजना कार्यस्थल पर नहीं लगाया जाता है बोर्डः सरकारी योजना निर्माण कार्यस्थल पर संबंधित विभाग द्वारा कितने की योजना है, कौन सी योजना है, किसके द्वारा काम कराया जाना है, कितने मजदूरी भुगतान किया जाना है, इन तमाम जानकारी का बोर्ड लगाना अनिवार्य है लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया है. यहां पर जितने भी सरकारी योजना निर्माण काम चल रहे हैं, कहीं भी इस तरह का बोर्ड नहीं लगाया गया है.

भवन विभाग द्वारा जामताड़ा जिला में उत्पाद विभाग और सहकारिता भवन करोड़ की लागत से निर्माण का चल रहा (government construction work in Jamtara) है. लेकिन विभाग द्वारा कहीं भी निर्माण कार्य स्थल पर बोर्ड नहीं लगाया गया है. जबकि कई बार इसकी सूचना संबंधित विभाग के कार्यपालक अभियंता को दिया गया लेकिन इसका कोई असर होता नहीं देखा गया. यहां खुलेआम संवेदक द्वारा नियमों को ठेंगा दिखाया जाता है और सरकारी विभाग के पदाधिकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

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