जामताड़ा: डॉ परेश बनर्जी का नाम होम्योपैथिक चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में देश और विदेश में विख्यात है. उनके नाम से आज भी मिहिजाम में फ्री चैरिटेबल डिस्पेंसरी चलाई जाती है, जहां मुफ्त में मरीजों का इलाज किया जाता है.
जामताड़ा का मिहिजाम शहर होम्योपैथिक चिकित्सा के लिए विख्यात
जामताड़ा जिला का मिहिजाम शहर होम्योपैथिक चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में डॉ परेश बनर्जी के नाम से विख्यात है. इनका नाम होम्योपैथिक चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी सुनहरे अक्षरों में लिया जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि डॉ परेश बनर्जी गंभीर रोगों का इलाज भी होम्योपैथिक चिकित्सा से करते थे. इन्होंने सांप के जहर से बचाने के लिए लेक्सइन दवा बनाया. यही कारण था कि लोग दूर-दूर से इलाज कराने उनके पास पहुंचे थे.
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फ्री चैरिटेबल डिस्पेंसरी का संचालन
लोगों ने बताया कि डॉ परेश बनर्जी ने मिहिजाम में होम्योपैथिक कॉलेज की स्थापना की थी, जहां देश-विदेश से छात्र-छात्रा शिक्षा ग्रहण करने आते थे. जो बाद में बंद हो गया. वर्तमान में उनके नाम से एक फ्री चैरिटेबल डिस्पेंसरी का संचालन किया जाता है, जहां मुफ्त में मरीजों को इलाज की जाती है. यह डिस्पेंसरी डॉ परेश बनर्जी के परिवार के सदस्यों की ओर से संचालित की जा रही है, जिसमें इलाज कर रहे चिकित्सकों ने बताया कि यहां काफी दूर-दराज से मरीज आते हैं. मुख्य रूप से डॉ परेश बनर्जी ने सांप काटने की बनाई.
नहीं भुलाया जा सकता डॉ परेश बनर्जी का योगदान
डॉ परेश बनर्जी का होम्योपैथिक चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके योगदान और कीर्तिमान आज भी मिहिजाम में विद्यमान है. जो कि मिहिजाम की जनता भुला नहीं पा रही है. जरूरत है ऐसे महापुरुष के किये गए योगदान और कीर्तिमान को संजोए रखने की. डॉ परेश बनर्जी की ओर से स्थापित मिहिजाम कॉलेज और अस्पताल तो जरूर बंद हो गया हैं, लेकिन वर्तमान में कॉलेज और चिकित्सालय स्थानीय बुद्धिजीवियों ने शुरू किया है. यहां लोगों का इलाज भी किया जाता है और होम्योपैथिक कॉलेज में शिक्षा भी दी जाती है.