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बचे जंगलों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर, अंधाधुंध कटाई पर लगेगी रोक

जामताड़ा वन प्रमंडल विभाग जंगलों की सुरक्षा को लेकर गंभीर हो गया है. वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बचे हुए जंगलों की सुरक्षा करना और उसकी देखभाल को अपनी पहली प्राथमिकता बताई है, और विभाग इसे लेकर गंभीर है. जंगल की सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर

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वन और पर्यावरण विभाग
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Published : Jan 3, 2021, 3:08 PM IST

जामताड़ा: जिला के वन प्रमंडल विभाग ने बचे जंगल की सुरक्षा को लेकर के संकल्प है. जामताड़ा में अब सिर्फ 5% जंगल ही शेष बचे हैं. जिससे बचाना और सुरक्षा देना वन प्रमंडल की जिम्मेदारी है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमा का किया अनावरण, दी श्रद्धांजलि

सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर
इस कड़ी में वन प्रमंडल विभाग ने जंगल की सुरक्षा को लेकर के दृढ़ संकल्प लिया है. जामताड़ा संथाल परगना का अति पिछड़ा जिला क्षेत्र है. जहां पहले पहाड़ों जंगलों से घिरा हुआ था. चारों तरफ जंगल ही हरियाली नजर आते थे. लेकिन घनी आबादी और जंगलों के अंधाधुंध कटाई की वजह से अब कुछ जंगल शेष बचे है. जिसकी सुरक्षा की जिम्मा वन प्रमंडल विभाग का है और विभाग इसे लेकर गंभीर है.

Forest Department in action regard protection of forest in jamtara
वन प्रमंडल पदाधिकारी जामताड़ा

5% ही जंगल शेष बचे

एक समय में जामताड़ा चारों तरफ घने जंगलों पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र था. जिसके कारण प्रकृति का अद्भुत नजारा दिखता था. पर्यावरण का संतुलन भी काफी अनुकूल रहता था. लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई जंगलों के अंधाधुंध कटाई के साथ-साथ जंगल भी खत्म होते गए और यहां की आबोहवा पर्यावरण का संतुलन पर भी प्रभाव पड़ते चला गया. नतीजा नाम मात्र के जंगल और पहाड़ रह गए हैं. जिससे कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने का खतरा मंडराने लगा है.

जंगल के साथ-साथ वन्य जीव भी हो रहे विलुप्त

जंगलों के साथ-साथ विलुप्त हो रहे जीव जंतु दुर्लभ जीव पेंग्विन अजगर पक्षी गिद्ध को सुरक्षा को लेकर भी वन विभाग गंभीर है. पहले प्रकार के सांप और पक्षी वातावरण में मिलते थे. ऐसे में पेंग्विन अजगर सांप जो जंगलों में यदा-कदा बच गये है. इस लेकर जिला वन प्रमंडल विभाग सक्रिय हो गया है.

बचे जंगल को सुरक्षा देना पहली प्राथमिकता
वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि जामताड़ा में मात्र 5% ही जंगल से बचे रह गए हैं. जो कि काफी चिंता का विषय है. उन्होंने बताया कि शेष बचे जंगल को सुरक्षा देना उनका पहली प्राथमिकता है.पेंग्विन पक्षी को भी सुरक्षा देना काफी जरुरी है. आगे बताया कि जंगलों के सुरक्षा के साथ ऐसे पक्षी और जीव जंतु को भी सुरक्षा देने का काम करेंगे और इस दिशा में वन विभाग आगे कार्रवाई करेगी. उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा जंगल लगाया जाए इसके लिए प्लांटेशन लगाने का भी काम किया जाएगा.

अवैध रूप से हो रही लकड़ी की कटाई

जामताड़ा जिले में जहां वन प्रमंडल विभाग वनों की सुरक्षा और जीव-जंतुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है. वहीं दूसरी ओर जिला में अवैध रूप से वन माफियाओं की ओर से जंगल का लकड़ी का अवैध रूप से कटाई कर तस्करी का धंधा भी किया जा रहा है. साथ ही पहाड़ों पर अवैध खनन कर पहाड़ों की सुंदरता को भी चौपट कर दिया गया है. अब नाम मात्र के पहाड़ भी बच गए है.

जामताड़ा: जिला के वन प्रमंडल विभाग ने बचे जंगल की सुरक्षा को लेकर के संकल्प है. जामताड़ा में अब सिर्फ 5% जंगल ही शेष बचे हैं. जिससे बचाना और सुरक्षा देना वन प्रमंडल की जिम्मेदारी है.

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सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर
इस कड़ी में वन प्रमंडल विभाग ने जंगल की सुरक्षा को लेकर के दृढ़ संकल्प लिया है. जामताड़ा संथाल परगना का अति पिछड़ा जिला क्षेत्र है. जहां पहले पहाड़ों जंगलों से घिरा हुआ था. चारों तरफ जंगल ही हरियाली नजर आते थे. लेकिन घनी आबादी और जंगलों के अंधाधुंध कटाई की वजह से अब कुछ जंगल शेष बचे है. जिसकी सुरक्षा की जिम्मा वन प्रमंडल विभाग का है और विभाग इसे लेकर गंभीर है.

Forest Department in action regard protection of forest in jamtara
वन प्रमंडल पदाधिकारी जामताड़ा

5% ही जंगल शेष बचे

एक समय में जामताड़ा चारों तरफ घने जंगलों पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र था. जिसके कारण प्रकृति का अद्भुत नजारा दिखता था. पर्यावरण का संतुलन भी काफी अनुकूल रहता था. लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई जंगलों के अंधाधुंध कटाई के साथ-साथ जंगल भी खत्म होते गए और यहां की आबोहवा पर्यावरण का संतुलन पर भी प्रभाव पड़ते चला गया. नतीजा नाम मात्र के जंगल और पहाड़ रह गए हैं. जिससे कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने का खतरा मंडराने लगा है.

जंगल के साथ-साथ वन्य जीव भी हो रहे विलुप्त

जंगलों के साथ-साथ विलुप्त हो रहे जीव जंतु दुर्लभ जीव पेंग्विन अजगर पक्षी गिद्ध को सुरक्षा को लेकर भी वन विभाग गंभीर है. पहले प्रकार के सांप और पक्षी वातावरण में मिलते थे. ऐसे में पेंग्विन अजगर सांप जो जंगलों में यदा-कदा बच गये है. इस लेकर जिला वन प्रमंडल विभाग सक्रिय हो गया है.

बचे जंगल को सुरक्षा देना पहली प्राथमिकता
वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि जामताड़ा में मात्र 5% ही जंगल से बचे रह गए हैं. जो कि काफी चिंता का विषय है. उन्होंने बताया कि शेष बचे जंगल को सुरक्षा देना उनका पहली प्राथमिकता है.पेंग्विन पक्षी को भी सुरक्षा देना काफी जरुरी है. आगे बताया कि जंगलों के सुरक्षा के साथ ऐसे पक्षी और जीव जंतु को भी सुरक्षा देने का काम करेंगे और इस दिशा में वन विभाग आगे कार्रवाई करेगी. उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा जंगल लगाया जाए इसके लिए प्लांटेशन लगाने का भी काम किया जाएगा.

अवैध रूप से हो रही लकड़ी की कटाई

जामताड़ा जिले में जहां वन प्रमंडल विभाग वनों की सुरक्षा और जीव-जंतुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है. वहीं दूसरी ओर जिला में अवैध रूप से वन माफियाओं की ओर से जंगल का लकड़ी का अवैध रूप से कटाई कर तस्करी का धंधा भी किया जा रहा है. साथ ही पहाड़ों पर अवैध खनन कर पहाड़ों की सुंदरता को भी चौपट कर दिया गया है. अब नाम मात्र के पहाड़ भी बच गए है.

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