जामताड़ा: जिले को बाल विवाह से मुक्त करने को लेकर प्रशासन द्वारा समाहरणालय भवन के सभागार में डीसी शशि भूषण मेहरा की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सामाजिक संस्था के प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी वर्ग, समाजसेवी एवं संबंधित विभाग के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया. कार्यशाला में समाज को बाल विवाह से मुक्त कराने को लेकर चर्चा की गई.
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बाल विवाह के मामले में जामताड़ा प्रथम: झारखंड में बाल विवाह के मामले में जामताड़ा पहले स्थान पर बना हुआ है. इसी आंकड़ें को नीचे लाने के लिए जिला प्रशासन ने प्रयास किया है. इसके लिए समाज के बुद्धिजीवी लोगों से आगे आने की अपील की है. ऐसे तो इसे लेकर सरकार के द्वारा समय-समय पर जागरुकता अभियान चलाया गया है लेकिन इसके बावजूद भी जामताड़ा इस मामले में पहले स्थान पर बना हुआ है. अब प्रशासन द्वारा शुरू किए गए प्रयास के बाद लोगों में फिर से यह विश्वास जगा है कि आने वाले दिनों में बाल विवाह की संख्या में यहां कमी देखने को मिलेगी.
जिला प्रशासन से जगी उम्मीद: जागरुकता के अभाव में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में कम उम्र में ही बच्चों की शादी लोग करा देते हैं. बाल विवाह जैसी कुप्रथा आज भी समाज में कायम है. रोकथाम को लेकर कानून भी बनाए गए हैं. सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं और कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं. बावजूद इसके जामताड़ा में बाल विवाह कम नहीं हो पा रहा है. अब लोगों को जिला प्रशासन से उम्मीद जगी है.
जामताड़ा जिला से बाल विवाह जैसी कुप्रथा को मिटाने और इस पर रोक लगाने को लेकर जिला प्रशासन ने समाज के हरेक वर्ग के लोगों से, बुद्धिजीवों से और सामाजिक कार्यकर्ताओं से आगे आकर काम करने की अपील की है. उपायुक्त ने समाज के लोगों से इसे खत्म करने को लेकर पहल करने को कहा है.