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दाल-भात योजना का हाल बेहाल, 5 रुपये में खाना परोसने में संचालकों के छूट रहे पसीनें - jharkhand news

दाल भात योजना का हाल बेहाल है.संचालकों को 5 रुपये में खाना परोसना भी मुश्किल हो रहा है.

दाल-भात योजना का हाल बेहाल,
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Published : Mar 8, 2019, 4:15 PM IST

जामताड़ाः जिले में दाल भात योजना का हाल बेहाल है. शहर के एमजीएम अस्पताल में चल रही इस योजना को महिला समूह संचालित कर रही हैं, जिसकी रसोई के चारों तरफ नालियों से गंदगी निकलती है. वहीं, संचालकों को 5 रुपये में खाना परोसना भी मुश्किल हो रहा है.

दाल-भात योजना का हाल बेहाल,

गरीबों के लोगों के लिए चलाई जा रही दाल-भात योजना में सरकार संस्था को 24 क्विंटल चावल एक रुपए प्रति किलो के हिसाब से देती है. इसके अलावा सोयाबीन और चना मुफ्त में दिया जाता है. महिला संचालिका ने बताया चावल सोयाबीन और चना के अलावा दूसरे जरूरी सामान नहीं दिए जातें. अपने पैसों से दाल, आलू, प्याज, लहसुन, अदरक जैसे दूसरे सामान खरीदें जाते हैं.

ये भी पढ़ें-बेटे की शादी की खुशी में झूमे CM रघुवर दास, पत्नी भी साथ थिरकी

ऐसे में सवाल ये है कि मुख्यमंत्री की दाल भात योजना में एक ओर तो गरीब जनता गंदगी में खाना खाने को मजबूर है. तो वहीं, संस्था के संचालकों को 5 रुपये में खाना परोसना मुश्किल हो रहा है. इन्हें किसी तरह का पेमेंट भी नहीं दिया जाता है.

जामताड़ाः जिले में दाल भात योजना का हाल बेहाल है. शहर के एमजीएम अस्पताल में चल रही इस योजना को महिला समूह संचालित कर रही हैं, जिसकी रसोई के चारों तरफ नालियों से गंदगी निकलती है. वहीं, संचालकों को 5 रुपये में खाना परोसना भी मुश्किल हो रहा है.

दाल-भात योजना का हाल बेहाल,

गरीबों के लोगों के लिए चलाई जा रही दाल-भात योजना में सरकार संस्था को 24 क्विंटल चावल एक रुपए प्रति किलो के हिसाब से देती है. इसके अलावा सोयाबीन और चना मुफ्त में दिया जाता है. महिला संचालिका ने बताया चावल सोयाबीन और चना के अलावा दूसरे जरूरी सामान नहीं दिए जातें. अपने पैसों से दाल, आलू, प्याज, लहसुन, अदरक जैसे दूसरे सामान खरीदें जाते हैं.

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ऐसे में सवाल ये है कि मुख्यमंत्री की दाल भात योजना में एक ओर तो गरीब जनता गंदगी में खाना खाने को मजबूर है. तो वहीं, संस्था के संचालकों को 5 रुपये में खाना परोसना मुश्किल हो रहा है. इन्हें किसी तरह का पेमेंट भी नहीं दिया जाता है.

Intro:एंकर--झारखंड सरकार की दाल--भात योजना नालियों के बीच दम तोड़ती नज़र आ रही है,महिला संचालकों को पाँच रुपए में खाना बेच कर ही अन्य सामान को खरीद कर गुजारा करना पड़ता है।


Body:वीओ1--दाल भात योजना की शुरुवात वर्ष 2011 में की गई थी।
दाल भात योजना का लाभ लेने वाले लोगों को गंदगी के बीच खाना पड़ता है,शहर के एमजीएम अस्पताल में महिला समूह द्वारा संचालित दाल भात योजना जिस स्थान पर चल रहा है,उस स्थान और रसोई के चारों तरफ नालियों में से गन्दगी निकलती है,जिससे बदबूदार महक से लोगों को परेशानी होती है.गन्दगी होने के कारण लोग वापस चले जाते हैं।मच्छरों के आतंक भी रहता है।
बाइट--चरणजीत सिंह(स्थानीय निवासी)
वीओ2--गरीब तबके के लोगों के लिए चलाई जा रही दाल--भात योजना में सरकार के द्वारा चलाई जा रही संस्था को एक रुपए किलो चावल दिया जाता है जो 24 क्विंटल तक दिया जाता है। इसमें सोयाबीन और चना मुफ्त में दिया जाता है। और महिलाओं ने बताया उसके बाद कुछ नहीं दिया जाता है, इन्हीं पैसों से दाल, आलू, प्याज, लहसुन, अदरक जैसे सामान खरीदे जाते हैं। इन्हीं पैसों से सब कुछ जुगाड़ किया जाता है। इन चीजों से जीवन नहीं चल पाता है मुमकिन नहीं है जीवन चला पाना।
बाइट--महिला संचालिका (दाल--भात योजना)
वीओ3--ऐसे में सवाल ये है कि मुख्यमंत्री के द्वारा चलाई जा रही दाल-- भात योजना की बात कही जाती है,वहाँ संचालकों को सरकार के द्वारा दाल नहीं मिलता है। एक रुपए किलो में चावल मिलता है.सोयाबीन और चना उसी से सारा चलाना पड़ता है।दाल तेल ,आलू प्याज बाहर से खरीदना पड़ता है इसमें किसी प्रकार की पेमेंट नहीं होती है इसी खाना को हम भी खाते हैं।हालांकि अधिकारि इन सभी सवाल पर मौन साढ़े हुए हैं।
बाइट--महिला संचालिका(दाल--भात योजना)


Conclusion:बहरहाल ऐसे में सवाल ये है कि जिस नाम से ये योजना चलाई जा रही है,वहाँ दाल का जिक्र ही नहीं है।
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