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Jamtara Part-3! ठगी के लिए तमिल, कन्नड़, मराठी भाषा सीख रहे साइबर अपराधी

झारखंड का जामताड़ा जिला पूरे देश में साइबर ठगी के लिए बदनाम है. करीब सभी राज्यों की पुलिस साइबर ठग की तलाश में जामताड़ा पहुंच चुकी है. अब जामताड़ा के साइबर अपराधी (Cyber criminals of Jamtara) अब अपने धंधे को और ज्यादा बढ़ाने के लिए नई नई लोकल भाषाएं जैसे तमिल, कन्नड़, मराठी समेत अन्य भाषा सीख रहे हैं.

Cyber criminals of Jamtara
Cyber criminals of Jamtara
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Published : Oct 12, 2022, 7:32 PM IST

Updated : Oct 12, 2022, 8:04 PM IST

रांची: झारखंड का जामताड़ा जिला पूरे भारत में साइबर क्रिमिनल्स को लेकर बदनाम है. शायद ही देश का ऐसा कोई राज्य बचा हो जहां की पुलिस जामताड़ा नहीं पहुंची हो. जामताड़ा इतना चर्चित हुआ कि इसके नाम पर वेब सीरीज तक बन गई. हाल में ही जामताड़ा पार्ट 2 भी रिलीज हुई है लेकिन, हम जिस स्टोरी की बात कर रहे हैं, उसे जामताड़ा पार्ट 3 कह सकते हैं. साइबर अपराधी अब भारत के दूसरे राज्यों के लोकल भाषाओं को सीख कर जामताड़ा में बैठे-बैठे ही ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: साइबर क्राइम को लेकर जन जागरूकता अभियान, सिमडेगा पुलिस की पहल

हर दिन नया तरीका: जामताड़ा के साइबर अपराधी (Cyber criminals of Jamtara) अपने ठगी के धंधे को धार देने के लिए लोकल भाषाएं सीख रहे हैं. साइबर अपराधी देश के कई राज्य में जाकर तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मराठी के साथ-साथ ओड़िया भाषा भी सीख रहे हैं (Cyber criminals learning local languages). इसके लिए बकायदा साइबर अपराधियों ने 5-5 लोगों का एक ग्रुप बना दिया है. भाषा सीखने के लिए यह ग्रुप कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओड़िशा और केरल जैसे राज्यो में जाता है. यह इन राज्यों में जाते तो हैं काम खोजने के बहाने लेकिन, इनका मुख्य उद्देश्य होता है कि वहां के लोकल लैंग्वेज को जल्द से जल्द सीख लें. इस टीम में वैसे लोगों को चुना जाता है जो बेहतरीन तरीके से किसी भी भाषा को समझने में माहिर होते हैं. भाषा सीखने के बाद सभी साइबर अपराधी जामताड़ा वापस लौट आते हैं. लौटने के बाद वे लोग अब उन्हीं राज्यों की भाषा में वही के लोगों को फोन कर उनके साथ ठगी करना शुरू कर देते हैं (Cyber fraud by local languages).

देखें स्पेशल रिपोर्ट



सबसे ज्यादा दक्षिण भारतीय भाषाओं को सीख रहे हैं अपराधी: हिंदी और अंग्रेजी भाषा के बाद जामताड़ा के साइबर अपराधी तमिल, कन्नड़ और मलयालम भाषा भी बखूबी बोलने लगे हैं. इन्हीं भाषा में बात कर यह लोग तमिलनाडु कर्नाटक के हाईप्रोफाइल लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं. दक्षिण भारतीय भाषाओं पर साइबर अपराधी ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. आंकड़े भी बता रहे हैं कि हाल के दिनों में दक्षिण भारतीय शहरों में जमकर ठगी की वारदातों को अंजाम दिया गया है और वे सभी ठगी झारखंड के जामताड़ा जिले से ही अंजाम दिए गए हैं. बंगाल से सटे होने की वजह से जामताड़ा के अधिकांश लोग बेहतर बंगाली भाषा बोलते हैं. ऐसे में बंगाल के लोगों को ठगने में इन्हें कोई समस्या नहीं होती है.


कैसे हुआ खुलासा: 10 अक्टूबर को चेन्नई के एक प्रसिद्ध डॉक्टर से ठगी के मामले में चेन्नई पुलिस ने जामताड़ा पुलिस से संपर्क किया था. चेन्नई पुलिस से मिले इनपुट के आधार पर जामताड़ा के नारायणपुर इलाके से पुलिस ने तीन भाइयों शमशाद, इकबाल और शाहबाज को गिरफ्तार किया. तीनों भाइयों ने मिलकर ही चेन्नई के प्रसिद्ध डॉक्टर वितारा श्रीधर खाते से 8 लाख रुपये उड़ा लिए थे. पुलिस के पूछताछ में तीनों साइबर अपराधियों ने स्वीकार किया है कि वे लोग रोजगार की तलाश में पहले तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में गए थे. कुछ महीने काम करने के दौरान इन लोगों ने वहां की भाषा सीख ली. जब वे वापस जामताड़ा लौटे और साइबर ठगों के संपर्क में आये तो साइबर अपराधियों ने उन्हें दक्षिण भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल कर वहां के लोगों को ठगने की सलाह दी. सलाह पर अमल करते हुए उन लोगों ने दक्षिण भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल कर लोगों को ठगना शुरू कर दिया. साइबर अपराधियों ने यह प्लानिंग की कि देश के दूसरे राज्यों की भाषाओं को सीख कर अगर ठगी की जाए तो यह बेहद कामयाब तरीका होगा. इसी के बाद 5-5 लोगों का ग्रुप बनाकर दूसरे राज्यों की भाषाएं सीखने का काम साइबर अपराधियों ने शुरू कर दिया. अब इसी भाषा का इस्तेमाल कर वे लोगों को जामताड़ा में बैठे-बैठे ठग रहे हैं.


इंटरपोल ने भी जारी की है चेतावनी: इंटरपोल ने भी हाल के दिनों में यह चेतावनी जारी की थी कि भविष्य में सबसे बड़ा चुनौती पुलिस के लिए साइबर अपराध बनने वाला है क्योंकि साइबर अपराध को अंजाम देने के लिए इंटरनेट की दुनिया में बहुत ऑप्शन भरे पड़े हैं. बस उसका सही इस्तेमाल जानना जरूरी है. झारखंड का जामताड़ा जिला साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा ठिकाना है. इस जिले में बैठे-बैठे साइबर अपराधी विभिन्न तरीकों से लोगों के खातों से पैसे उड़ाते रहते हैं. उस पर से अब साइबर अपराधियों ने राज्यों की स्थानीय भाषाओं को ठगी का नया हथियार बना लिया है. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान सह पुलिस प्रवक्ता अमोल वी होमकर के अनुसार जामताड़ा हमेशा से साइबर अपराधों को लेकर हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित रहा है. लोकल भाषाओं में हो रही ठगी निश्चित रूप से पुलिस के लिए एक अलग चुनौती बनकर उभर रही है.

कब कब सामने आये मामले: दूसरे राज्यों के लोकल भाषाओं का इस्तेमाल कर ठगी के कई मामले साइबर थानों में दर्ज हैं. साल 2017 में करमाटांड़ थाना क्षेत्र के देवडीह गांव से हसीन अंसारी, फिरोज अंसारी, लाल मोहम्मद, आबिद अंसारी, अतहर अंसारी और वसीम अंसारी को गिरफ्तार किया गया था. यह सभी तमिल भाषा बोलना जानते थे, इन्होंने इसी भाषा में बातचीत करके तमिलनाडु के कई लोगों को पहले झांसे में लिया इसके बाद उन्हें ठगी का शिकार बना लिया. साल 2021 में जामताड़ा के करमाटांड़ थाना क्षेत्र के कोरबंधा गांव से तीन साइबर अपराधियों सरफुद्दीन अंसारी, शिवधन मरांडी और जाबिर हुसैन को गिरफ्तार किया गया था. यह तीनों साइबर अपराधी कन्नड भाषा बोलना जानते थे और इसी भाषा का इस्तेमाल कर कर्नाटक के दर्जनों लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया था. कर्नाटक पुलिस ने तीनों आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर भी लिया था. साल 2022 में भी 10 अक्टूबर को फिर तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. इन तीनों ने तमिल भाषा का इस्तेमाल कर चेन्नई के एक प्रसिद्ध डॉक्टर से 8 तक रुपए की ठगी की थी. जिसकी कार्रवाई जारी है.


जानकारी ही बचाव, कार्रवाई जारी है: झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार पिछले 3 सालों में झारखंड के पांच जिलों से 3000 से ज्यादा साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. तीन करोड़ से ज्यादा ठगी के पैसे भी बरामद किए गए हैं लेकिन, जब तक लोग समझदार नहीं बनेंगे. साइबर अपराध को रोकना मुश्किल काम है. पुलिस की एक बड़ी टीम साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए काम कर रही है. झारखंड के जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह, धनबाद जैसे शहर साइबर अपराधों के लिए हॉटस्पॉट बन चुके हैं. इन शहरों में विशेष टीम काम कर रही है. ऐसे में जरूरी है कि लोग सतर्क रहें, इसके लिए बकायदा जागरूकता अभियान भी जोर शोर से चलाया जा रहा है. लोकल भाषाओं का प्रयोग कर ठगी, पुलिस के लिए एक नई चुनौती है. पुलिस इसके लिए भी तैयार है और दूसरे राज्यों से संपर्क में है ताकि जो लोग ट्रेनिंग कर रहे हैं, उनकी गिरफ्तारी हो सके.

रांची: झारखंड का जामताड़ा जिला पूरे भारत में साइबर क्रिमिनल्स को लेकर बदनाम है. शायद ही देश का ऐसा कोई राज्य बचा हो जहां की पुलिस जामताड़ा नहीं पहुंची हो. जामताड़ा इतना चर्चित हुआ कि इसके नाम पर वेब सीरीज तक बन गई. हाल में ही जामताड़ा पार्ट 2 भी रिलीज हुई है लेकिन, हम जिस स्टोरी की बात कर रहे हैं, उसे जामताड़ा पार्ट 3 कह सकते हैं. साइबर अपराधी अब भारत के दूसरे राज्यों के लोकल भाषाओं को सीख कर जामताड़ा में बैठे-बैठे ही ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: साइबर क्राइम को लेकर जन जागरूकता अभियान, सिमडेगा पुलिस की पहल

हर दिन नया तरीका: जामताड़ा के साइबर अपराधी (Cyber criminals of Jamtara) अपने ठगी के धंधे को धार देने के लिए लोकल भाषाएं सीख रहे हैं. साइबर अपराधी देश के कई राज्य में जाकर तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मराठी के साथ-साथ ओड़िया भाषा भी सीख रहे हैं (Cyber criminals learning local languages). इसके लिए बकायदा साइबर अपराधियों ने 5-5 लोगों का एक ग्रुप बना दिया है. भाषा सीखने के लिए यह ग्रुप कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओड़िशा और केरल जैसे राज्यो में जाता है. यह इन राज्यों में जाते तो हैं काम खोजने के बहाने लेकिन, इनका मुख्य उद्देश्य होता है कि वहां के लोकल लैंग्वेज को जल्द से जल्द सीख लें. इस टीम में वैसे लोगों को चुना जाता है जो बेहतरीन तरीके से किसी भी भाषा को समझने में माहिर होते हैं. भाषा सीखने के बाद सभी साइबर अपराधी जामताड़ा वापस लौट आते हैं. लौटने के बाद वे लोग अब उन्हीं राज्यों की भाषा में वही के लोगों को फोन कर उनके साथ ठगी करना शुरू कर देते हैं (Cyber fraud by local languages).

देखें स्पेशल रिपोर्ट



सबसे ज्यादा दक्षिण भारतीय भाषाओं को सीख रहे हैं अपराधी: हिंदी और अंग्रेजी भाषा के बाद जामताड़ा के साइबर अपराधी तमिल, कन्नड़ और मलयालम भाषा भी बखूबी बोलने लगे हैं. इन्हीं भाषा में बात कर यह लोग तमिलनाडु कर्नाटक के हाईप्रोफाइल लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं. दक्षिण भारतीय भाषाओं पर साइबर अपराधी ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. आंकड़े भी बता रहे हैं कि हाल के दिनों में दक्षिण भारतीय शहरों में जमकर ठगी की वारदातों को अंजाम दिया गया है और वे सभी ठगी झारखंड के जामताड़ा जिले से ही अंजाम दिए गए हैं. बंगाल से सटे होने की वजह से जामताड़ा के अधिकांश लोग बेहतर बंगाली भाषा बोलते हैं. ऐसे में बंगाल के लोगों को ठगने में इन्हें कोई समस्या नहीं होती है.


कैसे हुआ खुलासा: 10 अक्टूबर को चेन्नई के एक प्रसिद्ध डॉक्टर से ठगी के मामले में चेन्नई पुलिस ने जामताड़ा पुलिस से संपर्क किया था. चेन्नई पुलिस से मिले इनपुट के आधार पर जामताड़ा के नारायणपुर इलाके से पुलिस ने तीन भाइयों शमशाद, इकबाल और शाहबाज को गिरफ्तार किया. तीनों भाइयों ने मिलकर ही चेन्नई के प्रसिद्ध डॉक्टर वितारा श्रीधर खाते से 8 लाख रुपये उड़ा लिए थे. पुलिस के पूछताछ में तीनों साइबर अपराधियों ने स्वीकार किया है कि वे लोग रोजगार की तलाश में पहले तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में गए थे. कुछ महीने काम करने के दौरान इन लोगों ने वहां की भाषा सीख ली. जब वे वापस जामताड़ा लौटे और साइबर ठगों के संपर्क में आये तो साइबर अपराधियों ने उन्हें दक्षिण भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल कर वहां के लोगों को ठगने की सलाह दी. सलाह पर अमल करते हुए उन लोगों ने दक्षिण भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल कर लोगों को ठगना शुरू कर दिया. साइबर अपराधियों ने यह प्लानिंग की कि देश के दूसरे राज्यों की भाषाओं को सीख कर अगर ठगी की जाए तो यह बेहद कामयाब तरीका होगा. इसी के बाद 5-5 लोगों का ग्रुप बनाकर दूसरे राज्यों की भाषाएं सीखने का काम साइबर अपराधियों ने शुरू कर दिया. अब इसी भाषा का इस्तेमाल कर वे लोगों को जामताड़ा में बैठे-बैठे ठग रहे हैं.


इंटरपोल ने भी जारी की है चेतावनी: इंटरपोल ने भी हाल के दिनों में यह चेतावनी जारी की थी कि भविष्य में सबसे बड़ा चुनौती पुलिस के लिए साइबर अपराध बनने वाला है क्योंकि साइबर अपराध को अंजाम देने के लिए इंटरनेट की दुनिया में बहुत ऑप्शन भरे पड़े हैं. बस उसका सही इस्तेमाल जानना जरूरी है. झारखंड का जामताड़ा जिला साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा ठिकाना है. इस जिले में बैठे-बैठे साइबर अपराधी विभिन्न तरीकों से लोगों के खातों से पैसे उड़ाते रहते हैं. उस पर से अब साइबर अपराधियों ने राज्यों की स्थानीय भाषाओं को ठगी का नया हथियार बना लिया है. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान सह पुलिस प्रवक्ता अमोल वी होमकर के अनुसार जामताड़ा हमेशा से साइबर अपराधों को लेकर हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित रहा है. लोकल भाषाओं में हो रही ठगी निश्चित रूप से पुलिस के लिए एक अलग चुनौती बनकर उभर रही है.

कब कब सामने आये मामले: दूसरे राज्यों के लोकल भाषाओं का इस्तेमाल कर ठगी के कई मामले साइबर थानों में दर्ज हैं. साल 2017 में करमाटांड़ थाना क्षेत्र के देवडीह गांव से हसीन अंसारी, फिरोज अंसारी, लाल मोहम्मद, आबिद अंसारी, अतहर अंसारी और वसीम अंसारी को गिरफ्तार किया गया था. यह सभी तमिल भाषा बोलना जानते थे, इन्होंने इसी भाषा में बातचीत करके तमिलनाडु के कई लोगों को पहले झांसे में लिया इसके बाद उन्हें ठगी का शिकार बना लिया. साल 2021 में जामताड़ा के करमाटांड़ थाना क्षेत्र के कोरबंधा गांव से तीन साइबर अपराधियों सरफुद्दीन अंसारी, शिवधन मरांडी और जाबिर हुसैन को गिरफ्तार किया गया था. यह तीनों साइबर अपराधी कन्नड भाषा बोलना जानते थे और इसी भाषा का इस्तेमाल कर कर्नाटक के दर्जनों लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया था. कर्नाटक पुलिस ने तीनों आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर भी लिया था. साल 2022 में भी 10 अक्टूबर को फिर तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. इन तीनों ने तमिल भाषा का इस्तेमाल कर चेन्नई के एक प्रसिद्ध डॉक्टर से 8 तक रुपए की ठगी की थी. जिसकी कार्रवाई जारी है.


जानकारी ही बचाव, कार्रवाई जारी है: झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार पिछले 3 सालों में झारखंड के पांच जिलों से 3000 से ज्यादा साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. तीन करोड़ से ज्यादा ठगी के पैसे भी बरामद किए गए हैं लेकिन, जब तक लोग समझदार नहीं बनेंगे. साइबर अपराध को रोकना मुश्किल काम है. पुलिस की एक बड़ी टीम साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए काम कर रही है. झारखंड के जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह, धनबाद जैसे शहर साइबर अपराधों के लिए हॉटस्पॉट बन चुके हैं. इन शहरों में विशेष टीम काम कर रही है. ऐसे में जरूरी है कि लोग सतर्क रहें, इसके लिए बकायदा जागरूकता अभियान भी जोर शोर से चलाया जा रहा है. लोकल भाषाओं का प्रयोग कर ठगी, पुलिस के लिए एक नई चुनौती है. पुलिस इसके लिए भी तैयार है और दूसरे राज्यों से संपर्क में है ताकि जो लोग ट्रेनिंग कर रहे हैं, उनकी गिरफ्तारी हो सके.

Last Updated : Oct 12, 2022, 8:04 PM IST
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