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जामताड़ा में महीनों से कोयले की ढुलाई है ठप, करोड़ों का हो रहा है नुकसान

जामताड़ा में चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई करीब 2 महीने से बंद है. जिसके कारण डंपर चालक, खलासी और मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. इसके साथ ही चितरा प्रबंधन और रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान राजस्व को उठाना पड़ रहा है.

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कोयले की ढुलाई
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Published : Jan 18, 2021, 12:51 PM IST

जामताड़ा: ईसीएल चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग डंपर से कोयले की ढुलाई करीब 2 महीने से ठप है. नतीजा रेलवे साइडिंग से रेल ने संप्रेषण कार्य भी ठप पड़ा है. इससे जुड़े डंपर चालक, खलासी, मजदूरों के सामने रोजगार की भी समस्या उत्पन्न हो गई है. चितरा प्रबंधन और रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान राजस्व को उठाना पड़ रहा है. ईसीएल चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से कोयले की ढुलाई ठप रहने से चितरा प्रबंधन और रेलवे प्रशासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर
मजदूरों के सामने रोजगार की समस्याचितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक करीब सैकड़ों की संख्या में डंपर से कोयले की ढुलाई ट्रांसपोर्ट से की जाती है. कोयले की ढुलाई ठप रहने से डंपर जहां तक खड़ा पड़ा हुआ है. डंपर चालक, खलासी और मजदूर बेकार और बेरोजगार हो गए हैं, जिनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है. डंपर एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि डंपर से कोयले की ढुलाई न होने से वह बेकार हो गए हैं और 2 महीने से बेरोजगार बैठे हुए हैं. रोजगार के लिए उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

परिवहन विभाग ने लगाई रोक
बिना कागजात और परमिट की अनफिट गाड़ी से कोयले की ढुलाई और ई-चालान न रहने के कारण खनन विभाग और परिवहन विभाग ने रोक लगाई है. बताया जाता है कि इस चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से कोयले की ढुलाई को लेकर निविदा निकाली जाती है, जो ट्रांसपोर्ट से ढुलाई की जाती है. अधिकांश डंपर के न कागज सही हैं, न परमिट हैं और न ही फिटनेस सही रहता है. बिना नियम कानून ताक में रखकर डंपर से कोयले की ढुलाई की जाती है, जिसे लेकर झारखंड सरकार के परिवहन विभाग और खनन विभाग ने यह सख्त कदम उठाए हैं.

ये भी पढ़े- सुमंत मोहंती बने खेलो इंडिया टैलेंट आइडेंटिफिकेशन कमेटी के सदस्य, खिलाड़ियों को तराशेगी यह कमेटी

फिलहाल डंपर से कोयले की ढुलाई ठप रहने से चितरा प्रबंधन और रेलवे को करोड़ों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं डंपर चालक खलासी से जुड़े मजदूरों को रोजगार के लिए परेशान होना पड़ रहा है. डंपर से कोयले की ढुलाई कब शुरू होगी यह अभी संशय की स्थिति बनी हुई है.

जामताड़ा: ईसीएल चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग डंपर से कोयले की ढुलाई करीब 2 महीने से ठप है. नतीजा रेलवे साइडिंग से रेल ने संप्रेषण कार्य भी ठप पड़ा है. इससे जुड़े डंपर चालक, खलासी, मजदूरों के सामने रोजगार की भी समस्या उत्पन्न हो गई है. चितरा प्रबंधन और रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान राजस्व को उठाना पड़ रहा है. ईसीएल चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से कोयले की ढुलाई ठप रहने से चितरा प्रबंधन और रेलवे प्रशासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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मजदूरों के सामने रोजगार की समस्याचितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक करीब सैकड़ों की संख्या में डंपर से कोयले की ढुलाई ट्रांसपोर्ट से की जाती है. कोयले की ढुलाई ठप रहने से डंपर जहां तक खड़ा पड़ा हुआ है. डंपर चालक, खलासी और मजदूर बेकार और बेरोजगार हो गए हैं, जिनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है. डंपर एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि डंपर से कोयले की ढुलाई न होने से वह बेकार हो गए हैं और 2 महीने से बेरोजगार बैठे हुए हैं. रोजगार के लिए उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

परिवहन विभाग ने लगाई रोक
बिना कागजात और परमिट की अनफिट गाड़ी से कोयले की ढुलाई और ई-चालान न रहने के कारण खनन विभाग और परिवहन विभाग ने रोक लगाई है. बताया जाता है कि इस चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से कोयले की ढुलाई को लेकर निविदा निकाली जाती है, जो ट्रांसपोर्ट से ढुलाई की जाती है. अधिकांश डंपर के न कागज सही हैं, न परमिट हैं और न ही फिटनेस सही रहता है. बिना नियम कानून ताक में रखकर डंपर से कोयले की ढुलाई की जाती है, जिसे लेकर झारखंड सरकार के परिवहन विभाग और खनन विभाग ने यह सख्त कदम उठाए हैं.

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फिलहाल डंपर से कोयले की ढुलाई ठप रहने से चितरा प्रबंधन और रेलवे को करोड़ों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं डंपर चालक खलासी से जुड़े मजदूरों को रोजगार के लिए परेशान होना पड़ रहा है. डंपर से कोयले की ढुलाई कब शुरू होगी यह अभी संशय की स्थिति बनी हुई है.

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