जामताड़ा: चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई ठप है (Transportation of Coal from Chitra to Jamtara Stalled). डंपर मालिक अपने बकाया भुगतान की मांग को लेकर हड़ताल (Dumper owner on strike) पर चले गए हैं. नतीजतन कोयले की ढुलाई नहीं हो पा रही है और ना ही रेलवे से रैक द्वारा कोयले का संप्रेषण हो रहा है. इस वजह से चितरा कोलियरी और रेलवे को करोड़ों का राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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डंपर से कोयले की ढुलाई ठप: चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग (Chitra Colliery to Jamtara Railway Siding) तक ट्रांसपोर्ट के जरिए डंपर से कोयले की ढुलाई होती है. बताया जाता है कि करीब 300 डंपर ट्रांसपोर्टर के जरिए कोयले की ढुलाई करती है. चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई के बाद रेलवे साइडिंग से रैक के द्वारा विभिन्न ताप घरों में कोयले को भेजा जाता हैं. कोयले की ढुलाई ठप रहने से चितरा कोलियरी और रेलवे को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
अधिकतर डंपर बिना कागज : बताया जाता है चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक ढुलाई करने वाले डंपर अधिकतर अनफिट गाड़ी रहती है और अधिकतर का कागज फेल रहता है. साथ ही ओवरलोड कोयला की ढुलाई की जाती है और रास्ते में कोयले की चोरी भी की जाती है. इस काम में चितरा कोलियरी और रेलवे साइडिंग के कांटा बाबू के भी सम्मिलित रहने की बात कहीं जाती है.
प्रशासन द्वारा तिरपाल से ठक कर और कोयला चोरी रोकने के लिए क्षमता अनुसार कोयले की ढुलाई करने को लेकर बराबर निर्देश दिए जाते हैं. इसके बावजूद इसका पालन नहीं किया जाता है. समय-समय पर जिला प्रशासन परिवहन पदाधिकारी द्वारा गाड़ी की जांच की जाती है. जिससे लेकर डंपर मालिक प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए हड़ताल पर जाते हैं.
बहरहाल जो भी हो चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर मालिक द्वारा हड़ताल पर चले जाने से कोयले की ढुलाई विगत 1 अक्टूबर से ठप है. एक सप्ताह बीत गया अभी तक कोयले की ढुलाई शुरू नहीं हो पाई है. डंपर मालिक अपनी मांग पर अडीग हैं. नतीजा कोयले का रैक द्वारा संप्रेषण का कार्य और चितरा कोलियरी से कोयले की ढुलाई ठप हैं.