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चितरा कोलियरी से ढुलाई ठप, करोड़ों का हो रहा नुकसान

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Published : Oct 9, 2022, 12:27 PM IST

चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक ट्रांसपोर्ट द्वारा डंपर से कोयले की ढुलाई ठप पड़ गई है (Transportation of Coal from Chitra to Jamtara Stalled). डंपर मालिक अपनी मांग को लेकर हड़ताल (Dumper owner on strike) पर चले गए हैं. नतीजतन कोयले की ढुलाई बंद हो गई है. जिससे करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.

Transportation of Coal from Chitra to Jamtara
Transportation of Coal from Chitra to Jamtara

जामताड़ा: चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई ठप है (Transportation of Coal from Chitra to Jamtara Stalled). डंपर मालिक अपने बकाया भुगतान की मांग को लेकर हड़ताल (Dumper owner on strike) पर चले गए हैं. नतीजतन कोयले की ढुलाई नहीं हो पा रही है और ना ही रेलवे से रैक द्वारा कोयले का संप्रेषण हो रहा है. इस वजह से चितरा कोलियरी और रेलवे को करोड़ों का राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है.

यह भी पढे़ं: जामताड़ा रेलवे साइडिंग में कोयला ढुलाई का कार्य ठप, करोड़ों रूपए का हुआ नुकसान

डंपर से कोयले की ढुलाई ठप: चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग (Chitra Colliery to Jamtara Railway Siding) तक ट्रांसपोर्ट के जरिए डंपर से कोयले की ढुलाई होती है. बताया जाता है कि करीब 300 डंपर ट्रांसपोर्टर के जरिए कोयले की ढुलाई करती है. चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई के बाद रेलवे साइडिंग से रैक के द्वारा विभिन्न ताप घरों में कोयले को भेजा जाता हैं. कोयले की ढुलाई ठप रहने से चितरा कोलियरी और रेलवे को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

देखें वीडियो
बकाया भुगतान की मांग: डंपर मालिक अपने बकाया भुगतान की मांग कर रहे हैं. उनलोगों ने बताया कि करीब दो-तीन माह से बकाया का भुगतान नहीं हो पाया है. नतीजा ढुलाई करने में परेशानी हो रही है. उनका कहना है कि जब तक बकाया का भुगतान नहीं हो जाता, तब तक कोयले की ढुलाई बंद रखेंगे. क्या कहते हैं सेल्स मैनेजर: डंपर मालिक के हड़ताल पर जाने और डंपर से कोयले की ढुलाई नहीं हो पाने को लेकर जब चितरा कोलियरी के सेल्स मैनेजर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डंपर मालिकों की मांग को ट्रांसपोर्टर द्वारा पूरा करना है. रेलवे और कोलियरी को कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है यह बताने में वह असमर्थ रहे. लेकिन कहा कि इससे नुकसान हो रहा है.

अधिकतर डंपर बिना कागज : बताया जाता है चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक ढुलाई करने वाले डंपर अधिकतर अनफिट गाड़ी रहती है और अधिकतर का कागज फेल रहता है. साथ ही ओवरलोड कोयला की ढुलाई की जाती है और रास्ते में कोयले की चोरी भी की जाती है. इस काम में चितरा कोलियरी और रेलवे साइडिंग के कांटा बाबू के भी सम्मिलित रहने की बात कहीं जाती है.

प्रशासन द्वारा तिरपाल से ठक कर और कोयला चोरी रोकने के लिए क्षमता अनुसार कोयले की ढुलाई करने को लेकर बराबर निर्देश दिए जाते हैं. इसके बावजूद इसका पालन नहीं किया जाता है. समय-समय पर जिला प्रशासन परिवहन पदाधिकारी द्वारा गाड़ी की जांच की जाती है. जिससे लेकर डंपर मालिक प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए हड़ताल पर जाते हैं.


बहरहाल जो भी हो चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर मालिक द्वारा हड़ताल पर चले जाने से कोयले की ढुलाई विगत 1 अक्टूबर से ठप है. एक सप्ताह बीत गया अभी तक कोयले की ढुलाई शुरू नहीं हो पाई है. डंपर मालिक अपनी मांग पर अडीग हैं. नतीजा कोयले का रैक द्वारा संप्रेषण का कार्य और चितरा कोलियरी से कोयले की ढुलाई ठप हैं.

जामताड़ा: चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई ठप है (Transportation of Coal from Chitra to Jamtara Stalled). डंपर मालिक अपने बकाया भुगतान की मांग को लेकर हड़ताल (Dumper owner on strike) पर चले गए हैं. नतीजतन कोयले की ढुलाई नहीं हो पा रही है और ना ही रेलवे से रैक द्वारा कोयले का संप्रेषण हो रहा है. इस वजह से चितरा कोलियरी और रेलवे को करोड़ों का राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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डंपर से कोयले की ढुलाई ठप: चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग (Chitra Colliery to Jamtara Railway Siding) तक ट्रांसपोर्ट के जरिए डंपर से कोयले की ढुलाई होती है. बताया जाता है कि करीब 300 डंपर ट्रांसपोर्टर के जरिए कोयले की ढुलाई करती है. चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई के बाद रेलवे साइडिंग से रैक के द्वारा विभिन्न ताप घरों में कोयले को भेजा जाता हैं. कोयले की ढुलाई ठप रहने से चितरा कोलियरी और रेलवे को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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बकाया भुगतान की मांग: डंपर मालिक अपने बकाया भुगतान की मांग कर रहे हैं. उनलोगों ने बताया कि करीब दो-तीन माह से बकाया का भुगतान नहीं हो पाया है. नतीजा ढुलाई करने में परेशानी हो रही है. उनका कहना है कि जब तक बकाया का भुगतान नहीं हो जाता, तब तक कोयले की ढुलाई बंद रखेंगे. क्या कहते हैं सेल्स मैनेजर: डंपर मालिक के हड़ताल पर जाने और डंपर से कोयले की ढुलाई नहीं हो पाने को लेकर जब चितरा कोलियरी के सेल्स मैनेजर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डंपर मालिकों की मांग को ट्रांसपोर्टर द्वारा पूरा करना है. रेलवे और कोलियरी को कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है यह बताने में वह असमर्थ रहे. लेकिन कहा कि इससे नुकसान हो रहा है.

अधिकतर डंपर बिना कागज : बताया जाता है चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक ढुलाई करने वाले डंपर अधिकतर अनफिट गाड़ी रहती है और अधिकतर का कागज फेल रहता है. साथ ही ओवरलोड कोयला की ढुलाई की जाती है और रास्ते में कोयले की चोरी भी की जाती है. इस काम में चितरा कोलियरी और रेलवे साइडिंग के कांटा बाबू के भी सम्मिलित रहने की बात कहीं जाती है.

प्रशासन द्वारा तिरपाल से ठक कर और कोयला चोरी रोकने के लिए क्षमता अनुसार कोयले की ढुलाई करने को लेकर बराबर निर्देश दिए जाते हैं. इसके बावजूद इसका पालन नहीं किया जाता है. समय-समय पर जिला प्रशासन परिवहन पदाधिकारी द्वारा गाड़ी की जांच की जाती है. जिससे लेकर डंपर मालिक प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए हड़ताल पर जाते हैं.


बहरहाल जो भी हो चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर मालिक द्वारा हड़ताल पर चले जाने से कोयले की ढुलाई विगत 1 अक्टूबर से ठप है. एक सप्ताह बीत गया अभी तक कोयले की ढुलाई शुरू नहीं हो पाई है. डंपर मालिक अपनी मांग पर अडीग हैं. नतीजा कोयले का रैक द्वारा संप्रेषण का कार्य और चितरा कोलियरी से कोयले की ढुलाई ठप हैं.

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