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Jamtara News: जामताड़ा का काजू नगरी! जहां कौड़ियों के भाव में बिकता है काजू

जामताड़ा में कौड़ियों के भाव काजू की बिक्री होती है. जी हां यह कोई शिगूफा नहीं, बल्कि सच है. काजू की बहुतायत पैमाने पर खेती होने के कारण जामताड़ा के नाला प्रखंड को काजू नगरी के रूप में भी जाना जाता है.

Cashew Cultivation In Jamtara
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Published : Jun 3, 2023, 3:53 PM IST

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जामताड़ा: जिले का नाला प्रखंड काजू नगरी के नाम से प्रसिद्ध है. यहं काजू कौड़ियों के भाव में बिकता है. सैकड़ों एकड़ में फैले काजू बागान में काजू की खेती होती है, लेकिन प्रोसेसिंग प्लांट नहीं रहने के कारण काजू औने-पौने दाम में बिक जाता है.

ये भी पढ़ें-जामताड़ा में विश्व के सबसे महंगे आम की खेती, जानिए कर रहा है कौन


सैकड़ों एकड़ में होती है काजू की खेतीः जामताड़ा जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर नाला प्रखंड अवस्थित है. यहां सैकड़ों एकड़ में काजू बागान है. इस कारण नाला को काजू नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां सैकड़ों एकड़ में हजारों की संख्या में काजू के पौधे हैं. काफी मात्रा में यहां काजू की खेती होती है.


किसान औने-पौने दाम में काजू बेचने को मजबूरः सैकड़ों एकड़ में फैले काजू बागान में पौधे में काफी संख्या में काजू के फल लदे हैं, लेकिन फल कच्चा रहने पर ही आसपास के ग्रामीण तोड़ लेते हैं. काजू बागान का उचित देखरेख नहीं होने के कारण काफी काजू बर्बाद हो जाता है. साथ ही कच्चे काजू को ही ग्रामीण तोड़ लेते हैं और औने-पौने दाम पर बेच देते हैं. बताया जाता है कि काजू बंगाल के व्यापारी आकर ग्रामीणों से औने-पौने दाम में खरीद लेते हैं और यही काजू प्रोसेसिंग प्लांट में जाने के बाद बाजार में ऊंची कीमत पर बेच दिया जाता है.

₹30 से ₹40 किलो बिकता है काजूः जानकारी के अनुसार आसपास के ग्रामीण काजू को 30 से 40 रुपए किलो में बेच देते हैं. इससे जो आमदनी होती है, उससे अपना खर्च निकाल लेते हैं. यह काजू बागान नाला विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है, लेकिन यहां प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की अब तक किसी ने पहल नहीं की है. नाला के मलांच्या पर्वत पर भी काफी संख्या में काजू के पौधे हैं.

जामताड़ा का जलवायु काजू की खेती के लिए उपयुक्तः नाला प्रखंड के आलावे जामताड़ा जिले में काजू की खेती की प्रबल संभावना है. यहां का जलवायु काजू की खेती के लिए उपयुक्त है. यदि किसानों को समुचित संसाधन मुहैया कराया जाए तो यहां काजू की अच्छी खेती और पैदावार हो सकती है. इसका लाभ यहां के स्थानीय लोगों को मिलेगा. यहां से काजू दूसरे जगह भेजा भी जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को पहल करने की जरूरत है.

झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने प्रोसेसिंग प्लांट लगवाने का दिया भरोसाः झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो के विधानसभा क्षेत्र में काजू की खेती होती है. विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने बताया कि उनके क्षेत्र में न सिर्फ काजू, बल्कि आम की अच्छी खेती होती है. उन्होंने कहा कि काजू की खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जाएगा. साथ ही यहां काजू का प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाने का प्रयास किया जा रहा है.

सरकार और प्रशासन को पहल करने की जरूरतः काजू की खेती के लिए समुचित सुविधाएं नहीं होने और काजू के बागान के उचित देखरेख नहीं हो पाने के कारण किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसके लिए सरकार और प्रशासन को पहल करने की जरूरत है. जामताड़ा में प्रोसेसिंग प्लांट लग जाने से न सिर्फ यहां काजू की अच्छी खेती होगी, बल्कि रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और किसानों को अच्छी आमदनी होगी.

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जामताड़ा: जिले का नाला प्रखंड काजू नगरी के नाम से प्रसिद्ध है. यहं काजू कौड़ियों के भाव में बिकता है. सैकड़ों एकड़ में फैले काजू बागान में काजू की खेती होती है, लेकिन प्रोसेसिंग प्लांट नहीं रहने के कारण काजू औने-पौने दाम में बिक जाता है.

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सैकड़ों एकड़ में होती है काजू की खेतीः जामताड़ा जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर नाला प्रखंड अवस्थित है. यहां सैकड़ों एकड़ में काजू बागान है. इस कारण नाला को काजू नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां सैकड़ों एकड़ में हजारों की संख्या में काजू के पौधे हैं. काफी मात्रा में यहां काजू की खेती होती है.


किसान औने-पौने दाम में काजू बेचने को मजबूरः सैकड़ों एकड़ में फैले काजू बागान में पौधे में काफी संख्या में काजू के फल लदे हैं, लेकिन फल कच्चा रहने पर ही आसपास के ग्रामीण तोड़ लेते हैं. काजू बागान का उचित देखरेख नहीं होने के कारण काफी काजू बर्बाद हो जाता है. साथ ही कच्चे काजू को ही ग्रामीण तोड़ लेते हैं और औने-पौने दाम पर बेच देते हैं. बताया जाता है कि काजू बंगाल के व्यापारी आकर ग्रामीणों से औने-पौने दाम में खरीद लेते हैं और यही काजू प्रोसेसिंग प्लांट में जाने के बाद बाजार में ऊंची कीमत पर बेच दिया जाता है.

₹30 से ₹40 किलो बिकता है काजूः जानकारी के अनुसार आसपास के ग्रामीण काजू को 30 से 40 रुपए किलो में बेच देते हैं. इससे जो आमदनी होती है, उससे अपना खर्च निकाल लेते हैं. यह काजू बागान नाला विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है, लेकिन यहां प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की अब तक किसी ने पहल नहीं की है. नाला के मलांच्या पर्वत पर भी काफी संख्या में काजू के पौधे हैं.

जामताड़ा का जलवायु काजू की खेती के लिए उपयुक्तः नाला प्रखंड के आलावे जामताड़ा जिले में काजू की खेती की प्रबल संभावना है. यहां का जलवायु काजू की खेती के लिए उपयुक्त है. यदि किसानों को समुचित संसाधन मुहैया कराया जाए तो यहां काजू की अच्छी खेती और पैदावार हो सकती है. इसका लाभ यहां के स्थानीय लोगों को मिलेगा. यहां से काजू दूसरे जगह भेजा भी जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को पहल करने की जरूरत है.

झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने प्रोसेसिंग प्लांट लगवाने का दिया भरोसाः झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो के विधानसभा क्षेत्र में काजू की खेती होती है. विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने बताया कि उनके क्षेत्र में न सिर्फ काजू, बल्कि आम की अच्छी खेती होती है. उन्होंने कहा कि काजू की खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जाएगा. साथ ही यहां काजू का प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाने का प्रयास किया जा रहा है.

सरकार और प्रशासन को पहल करने की जरूरतः काजू की खेती के लिए समुचित सुविधाएं नहीं होने और काजू के बागान के उचित देखरेख नहीं हो पाने के कारण किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसके लिए सरकार और प्रशासन को पहल करने की जरूरत है. जामताड़ा में प्रोसेसिंग प्लांट लग जाने से न सिर्फ यहां काजू की अच्छी खेती होगी, बल्कि रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और किसानों को अच्छी आमदनी होगी.

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