जामताड़ाः जिला के बिरगांव बराकर नदी में हुए नाव हादसे की घटना के 5 दिन तक चले रेस्क्यू अभियान के तहत लापता कुल 14 लोगों का शव बरामद किया गया है. बरामद शवों की पहचान के बाद पोस्टमार्टम करने के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया गया है. जामताड़ा नाव हादसा के बाद लगातार पांच दिन तक एनडीआरएफ की टीम की ओर से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया.
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जामताड़ा के बिरगांव बराकर नदी में हुए नाव हादसे के बाद लगातार 5 दिन तक रेस्क्यू अभियान चलाया गया. आखिरकार कुल लापता 14 व्यक्तियों का शव बरामद किया गया है. सभी शव की शिनाख्त के बाद कानूनी कार्रवाई करते हुए शव को परिजनों के हवाले प्रशासन द्वारा कर दिया गया. इससे पहले रविवार को पांच शव नदी से निकाले गए थे, वहीं शनिवार को एक महिला का शव एनडीआरएफ द्वारा बरामद किया गया था. सोमवार को बरामद 8 शव मिलने के बाद कुल लापता में सभी 14 शव बरामद कर लिया गया है.
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एनडीआरएफ के कमांडेट ने दी जानकारीः इस हादसे के बाद लेकर चलाए जा रहे रेस्क्यू अभियान का नेतृत्व कर रहे एनडीआरएफ के कमांडेंट ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि प्रारंभ में रेस्क्यू अभियान चलाए जाने को लेकर घटनास्थल का सटीक जानकारी नहीं होने के कारण परेशानी उठानी पड़ी. उन्होंने बताया कि इस अभियान में देवघर, रांची, पटना की टीम सोनार एनडीआरएफ का उपयोग किया गया. जो लापता लोगों की सूचना इस हादसे में थी, सभी 14 लोगों के शव बरामद करने में सफल रहे.
नदी में पुल बनाने की मांग ने पकड़ा जोरः जामताड़ा नाव हादसा के बाद जामताड़ा और धनबाद जिला के जोड़ने वाली बिदंवेदिया और बिरगांव घाट पर बनने वाली पुल का निर्माण वर्षों से अधूरा पड़ा हुआ है. 2009 में इस पुल निर्माणाधीन तेज पानी में पीलर बह जाने के बाद यह भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ गया, उसके बाद से यह पुल अधूरा पड़ा हुआ है. नतीजा यह है कि पुल नहीं रहने के कारण लोग इस पार से उस पार आने जाने के लिए नाव का सहारा लेते हैं, जान जोखिम में डालकर लोग आना-जाना करते हैं. ऐसी बात नहीं है कि इस बात की जानकारी प्रशासन और सरकार को नहीं है, बावजूद इसके ना प्रशासन द्वारा कभी गंभीरता से लिया गया और ना ही इस पर किसी तरह का कार्रवाई करना कोई उचित समझा. इस हादसे की अंदेशा को लेकर कई बार मीडिया में आम लोगों द्वारा भी अंदेशा जताया जाता रहा है लेकिन प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगी नतीजा यह हादसा हो गयी. इस हादसे के बाद स्थानीय लोग अधूरे पुल निर्माण को पूरा करने और नदी में पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि अगर पुल बना रहता तो आज यह दिन देखने को नहीं मिलता. फिलहाल प्रशासन की ओर से नदी में नाव परिचालन पर रोक लगा दी है.