रांची/जामताड़ा: राज्य के 21 जिलों के अधिवक्ता पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत विभिन्न मांगों और समस्याओं को लेकर प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश एवं उपायुक्त से मिलकर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. हाईकोर्ट से पैदल मार्च करते हुए सभी बार एसोसिएशन के अधिवक्ता राजभवन पहुंचे.
वहीं, जामताड़ा में भी बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर अधिवक्ता संघ विभिन्न मांगों को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से बैठक की. उसके बाद प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश और उपायुक्त को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा. जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गणेश चंद्र चौधरी और सचिव अनिल महतो के नेतृत्व में जिला अधिवक्ता संघ के सदस्यों ने जामताड़ा कोर्ट से शांति मार्च निकाला.
ज्ञापन सौंपने के बाद जामताड़ा जिला अधिवक्ता संघ के सचिव अधिवक्ता अनिल महतो ने जानकारी देते हुए कहा कि ज्ञापन में अधिवक्ताओं की पेंशन, आर्थिक मुआवजा, कनीय अधिवक्ताओं को सुविधा देने अलावा मुख्य रूप से एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग रखी गई है.
वहीं, राजधानी रांची में सीसीआई द्वारा पारित प्रस्ताव को लेकर झारखंड बार काउंसिल में आमसभा की गई. इसमें निर्णय लिया गया कि 12 तारीख को अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से दूर रहेंगे. इस वजह से करीब 21 जिलों की व्यवहार न्यायालय में कार्य बाधित रहा. प्रोटेस्ट के दौरान अधिवक्ताओं द्वारा धारा 144 एरिया में घुसकर प्रदर्शन करने का भी आरोप लगाया गया. कोतवाली थाना प्रभारी ने कहा कि कानून के जानकारों ने कानून को तोड़कर धारा 144 क्षेत्र में प्रवेश किया, जिसको लेकर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को भी इसको लेकर पत्र लिखा जाएगा.
ये हैं मांग
राज्य सरकार अधिवक्ता कल्याण के लिए कुछ राशि का बजट में उपबंध करे.
राज्य के अधिवक्ताओं को सस्ते दर पर आवास एवं भूमि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए.
राज्य के समस्त अधिवक्ताओं को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाए.
अधिवक्ताओं की पूरी एकीकृत व्यवस्थित प्रशिक्षण एवं कार्यशाला बनाए जाने के लिए रांची में भूमि एवं भवन के लिए उचित राशि की व्यवस्था की जाए.
जिन अधिवक्ताओं की आय शुरुआत के चार-पांच साल में लगातार नहीं होती है. उन सभी अधिवक्ताओं को स्टाइपन के तौर पर 5 साल के लिए कम से कम 10 हजार रुपये प्रतिमाह दिलाने के लिए राशि उपलब्ध कराई जाए.
65 से अधिक उम्र वाले अधिवक्ता जो बीमारी आदि के कारण वकालत नहीं कर पाते. उन सभी अधिवक्ताओं को 10 हजार प्रतिमाह पेंशन के रूप में दिए जाएं.