ETV Bharat / state

हजारीबाग की इन महिलाओं के दीयों की काफी ज्यादा डिमांड, परिवार के सभी सदस्य मिलकर बनाते हैं डिजाइनर दीये

बदलता समय और बदलते जीवन के साथ कुम्हारों की जीवनशैली में भी कई बदलाव आए हैं. अब चाक की जगह कुम्हार मशीनों का उपयोग करने लगे हैं. हजारीबाग में मशीनों के जरिए महिलाएं डिजाइनर दीये बना रही हैं. जिनकी काफी डिमांड है. ये महिला सशक्तिकरण का भी काफी अच्छा उदाहरण है. Women making designer Diyas in Hazaribag

Women making designer Diyas in Hazaribag
Women making designer Diyas in Hazaribag
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 10, 2023, 4:10 PM IST

इन महिलाओं के दीयों की काफी ज्यादा डिमांड

हजारीबाग: दीपों का त्योहार दीपावली हो और कुम्हारों की चर्चा ना हो तो बेमानी की बात होगी. हजारीबाग कटकमदाग प्रखंड के हाथमेढ़ी गांव में कई परिवार दीये बनाते हैं. इन सबके अलावा एक परिवार ऐसा भी है जो साल भर दीये बनाता है. दिवाली के दौरान उनकी मांग इतनी बढ़ जाती है कि वे दीये भी उपलब्ध नहीं करा पाते हैं. दीये बनाने का ये बीड़ा घर की महिलाओं ने उठाया है. मिट्टी का सामान बनाकर ही पूरे परिवार का भरण-पोषण होता है.

यह भी पढ़ें: 'धन के देवता' कुबेर का दिन है धनतेरस, जानें किस मुहूर्त में पूजा करना होगा शुभ

बदलते समय के अनुसार कुम्हारों का दीये बनाने का तरीका भी बदल गया. पहले चाक से दीपक और मिट्टी की वस्तुएं बनाई जाती थीं. अब उनकी जगह मशीनें ले रही हैं. डिजाइनर दीयों की मांग बढ़ती चली गई है. हजारीबाग में कई कुम्हार हैं जो मशीनों से डिजाइनर दीये बनाते हैं. इन्हीं में से एक हैं रेखा देवी और उनका पूरा परिवार.

रेखा देवी के पास दो मशीनें हैं जो डिजाइनर दीये तैयार करती हैं. दीपावली आने के 5 महीने पहले से ही डिजाइनर दीया बनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है. जैसे-जैसे मांग होती है दीया भी उपलब्ध कराया जाता है. रेखा देवी कहती हैं कि समय ने कुम्हारों की जीवनशैली भी बदल दी है. अब चाक की जगह मशीनों ने ले ली है. लेकिन जो मजा चाक में था वह मशीन में नहीं है.

दीपक की रोशनी में दूर हो जाती हैं सारी परेशानियां: परिवार में सात सदस्य हैं और सभी मिट्टी के सामान बनाते हैं. परिवार की एक और सदस्य रेनू देवी हैं. उन्होंने अपनी बेटी को एमए तक की शिक्षा भी दिलाई. वह इस बिजनेस को आगे बढ़ाना चाहती हैं ताकि यह परंपरा बची रहे. रेनू देवी कहती हैं कि दीपक की रोशनी में हमारी परेशानियां और दुख भी दूर हो जाते हैं. सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं.

इन चीजों की जरूरत: इन कुम्हारों का कहना है कि यदि कुम्हारों को सोलर पैनल और मोटर उपलब्ध करा दिया जाए तो यह व्यवसाय और भी बढ़ सकता है. इतना ही नहीं इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल सकता है. मशीन को हाथ से चलाने में अधिक समय और मेहनत लगती है. यदि मशीन को मोटर से जोड़ दिया जाए तो उत्पादन और भी अधिक होगा. उसके लिए सोलर पैनल की भी जरूरत पड़ेगी क्योंकि बिजली अब महंगी होती जा रही है. ऐसी महिलाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि वे अन्य महिलाओं के लिए भी रोल मॉडल बनें, तभी आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा होगा.

इन महिलाओं के दीयों की काफी ज्यादा डिमांड

हजारीबाग: दीपों का त्योहार दीपावली हो और कुम्हारों की चर्चा ना हो तो बेमानी की बात होगी. हजारीबाग कटकमदाग प्रखंड के हाथमेढ़ी गांव में कई परिवार दीये बनाते हैं. इन सबके अलावा एक परिवार ऐसा भी है जो साल भर दीये बनाता है. दिवाली के दौरान उनकी मांग इतनी बढ़ जाती है कि वे दीये भी उपलब्ध नहीं करा पाते हैं. दीये बनाने का ये बीड़ा घर की महिलाओं ने उठाया है. मिट्टी का सामान बनाकर ही पूरे परिवार का भरण-पोषण होता है.

यह भी पढ़ें: 'धन के देवता' कुबेर का दिन है धनतेरस, जानें किस मुहूर्त में पूजा करना होगा शुभ

बदलते समय के अनुसार कुम्हारों का दीये बनाने का तरीका भी बदल गया. पहले चाक से दीपक और मिट्टी की वस्तुएं बनाई जाती थीं. अब उनकी जगह मशीनें ले रही हैं. डिजाइनर दीयों की मांग बढ़ती चली गई है. हजारीबाग में कई कुम्हार हैं जो मशीनों से डिजाइनर दीये बनाते हैं. इन्हीं में से एक हैं रेखा देवी और उनका पूरा परिवार.

रेखा देवी के पास दो मशीनें हैं जो डिजाइनर दीये तैयार करती हैं. दीपावली आने के 5 महीने पहले से ही डिजाइनर दीया बनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है. जैसे-जैसे मांग होती है दीया भी उपलब्ध कराया जाता है. रेखा देवी कहती हैं कि समय ने कुम्हारों की जीवनशैली भी बदल दी है. अब चाक की जगह मशीनों ने ले ली है. लेकिन जो मजा चाक में था वह मशीन में नहीं है.

दीपक की रोशनी में दूर हो जाती हैं सारी परेशानियां: परिवार में सात सदस्य हैं और सभी मिट्टी के सामान बनाते हैं. परिवार की एक और सदस्य रेनू देवी हैं. उन्होंने अपनी बेटी को एमए तक की शिक्षा भी दिलाई. वह इस बिजनेस को आगे बढ़ाना चाहती हैं ताकि यह परंपरा बची रहे. रेनू देवी कहती हैं कि दीपक की रोशनी में हमारी परेशानियां और दुख भी दूर हो जाते हैं. सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं.

इन चीजों की जरूरत: इन कुम्हारों का कहना है कि यदि कुम्हारों को सोलर पैनल और मोटर उपलब्ध करा दिया जाए तो यह व्यवसाय और भी बढ़ सकता है. इतना ही नहीं इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल सकता है. मशीन को हाथ से चलाने में अधिक समय और मेहनत लगती है. यदि मशीन को मोटर से जोड़ दिया जाए तो उत्पादन और भी अधिक होगा. उसके लिए सोलर पैनल की भी जरूरत पड़ेगी क्योंकि बिजली अब महंगी होती जा रही है. ऐसी महिलाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि वे अन्य महिलाओं के लिए भी रोल मॉडल बनें, तभी आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.