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Self Defense Training: अबला और लाचार ना समझना-छेड़ा तो छोड़ूगी नहीं

हजारीबाग में दृष्टिबाधित छात्राएं आत्म रक्षा की ट्रेनिंग ले रही हैं. साइटसेवर्स जेएसएलपीएस एवं समग्र शिक्षा अभियान के संयुक्त तत्वाधान में दृष्टिबाधित बालिकाओं को आत्म सुरक्षा का गुर सीख रही हैं.

Visually challenged girls self defense training in Hazaribag
हजारीबाग
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Published : Jun 10, 2022, 5:21 PM IST

हजारीबागः देशभर में बालिकाओं महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और यौनाचार की घटनाओं से सबक लेते हुए अब अभिभावक अपनी बेटियों को आत्म सुरक्षा के लिए प्रेरित कर रहे हैं. वैसे तो बालिका एवं महिलाएं आत्म सुरक्षा कैसे करें, इसकी ट्रेनिंग लेते हुए कई जगह देखा होगा. लेकिन आज आपको हम ऐसी लड़कियों से मिलाने जा रहे हैं जो दृष्टिबाधित हैं. लेकिन बदलते समय और हिंसा को देखते हुए आत्म रक्षा का प्रशिक्षण ले रही हैं.

इसे भी पढ़ें- छेड़ा तो खैर नहीं! सरकारी स्कूल की लड़कियां सीख रहीं मार्शल आर्ट, अब खुद कर सकती हैं अपनी सुरक्षा

दिव्यांगता अभिशाप या कमजोरी नहीं है जरूरत है आत्मविश्वास की. हजारीबाग में इन दिनों 20 दृष्टिबाधित बालिकाओं को आत्म सुरक्षा का गुर सिखाया जा रहा है. यह काम करने का बीड़ा साइटसेवर्स जेएसएलपीएस एवं समग्र शिक्षा अभियान के संयुक्त रुप से उठाया है. जिसमें हजारीबाग जिला की दृष्टिबाधित छात्राओं को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जा रही है. छात्राएं बताती है कि आज का वक्त बेहद खराब है और वो दृष्टिबाधित हैं. इसलिए हम लोगों के सामने कई चुनौतियां हैं. हाल के दिनों में जिस तरह महिला उत्पीड़न और हिंसा बढ़ी है. इसे देखते हुए उन्होंने फैसला लिया कि वो भी अब आत्म सुरक्षा के लिए तैयारी करेंगे. पहले हमें विश्वास नहीं था कि वो कुछ सीख पाएंगे. लेकिन अब ट्रेनिंग के जरिए वो अपनी रक्षा कैसे करें ये तमाम चीजें सीख रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

दूसरी छात्रा कहती हैं कि हम लोगों को जीवन में बहुत कुछ करना है, जीवन बहुत ही चुनौती भरा है. इस चुनौती भरे जीवन में सबसे बड़ी बात यह है कि हम सुरक्षित रहें. इसे देखते हुए साइटसवर्स ने हम लोगों को आत्म सुरक्षा का गुर सिखा रहा है और हम सीख रहे हैं. हम लोगों को भविष्य में नौकरी भी करना है स्कूल भी जाना है और कॉलेज भी. इस कारण ट्रेनिंग हमारे लिए बेहद जरूरी है.


मुंबई से हजारीबाग में ट्रेनिंग देने पहुंचे ट्रेनर का भी कहना है कि आमतौर पर साधारण बच्चों को आत्म सुरक्षा का गुर सिखाना आसान है. लेकिन दृष्टिबाधित छात्राओं को बताना थोड़ा चुनौतीपूर्ण रहता है. हम लोग छोटे-छोटे समूह बनाकर छात्राओं को सिखाते हैं. छोटे समूह बनाने से यह फायदा होता है कि हम लोग छात्राओं को पूरा समय दे पाते हैं. इसके लिए हम लोग विभिन्न तरह का मुखौटा का उपयोग करते हैं. ट्रेनिंग दिया जाता है उसका परीक्षा भी लिया जाता है कि आप कैसे खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.

Visually challenged girls taking self defense training in Hazaribag
आत्म रक्षा की ट्रेनिंग लेती दृष्टिबाधित छात्राएं

साइटसेवर्स पदाधिकारी भी बताते हैं कि हम लोग निशक्त दृष्टिबाधित छात्राओं को पढ़ाने का काम तो करते हैं. लेकिन हमें यह महसूस हुआ कि हजारीबाग में हाल के दिनों में कई घटनाएं बढ़ी हैं. जिससे हम लोग यह सोचने को विवश हो गए कि हमारी छात्राओं को भी आत्म सुरक्षा के लिए तैयार करना होगा. इसके बाद हम लोगों ने मिलकर छात्राओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं. खुशी की बात यह है कि छात्राएं भी ट्रेंड हो रही हैं.

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग में सशक्त हो रही बेटियां, दी जा रही सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग


अभिभावक भी बताते हैं कि हम लोगों के लिए यह बेहद अच्छा हुआ कि हमारी बेटी को जानकारी देने के लिए लोग मुंबई से पहुंच रहे हैं. इससे हमारी बेटी का आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है. उनका भी कहना है कि हाल के दिनों में महिला उत्पीड़न की घटना बढ़ी है. ऐसे में हमेशा हम लोगों को भय रहता था कि हमारी बेटी घर से बाहर कैसे निकलेगी क्योंकि वह दृष्टिबाधित है. लेकिन अब प्रशिक्षण लेने के बाद थोड़ा तसल्ली हम लोगों को जरूर मिला है.

Visually challenged girls taking self defense training in Hazaribag
सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग

निशक्त छात्राएं जिस तरह से आत्म सुरक्षा के गुर सीख रही हैं यह उनके भविष्य में मददगार साबित होगा. साथ ही साथ आत्म सुरक्षा सीखने से उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. ईटीवी भारत भी इन दृष्टिबाधित छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना करता है.

हजारीबागः देशभर में बालिकाओं महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और यौनाचार की घटनाओं से सबक लेते हुए अब अभिभावक अपनी बेटियों को आत्म सुरक्षा के लिए प्रेरित कर रहे हैं. वैसे तो बालिका एवं महिलाएं आत्म सुरक्षा कैसे करें, इसकी ट्रेनिंग लेते हुए कई जगह देखा होगा. लेकिन आज आपको हम ऐसी लड़कियों से मिलाने जा रहे हैं जो दृष्टिबाधित हैं. लेकिन बदलते समय और हिंसा को देखते हुए आत्म रक्षा का प्रशिक्षण ले रही हैं.

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दिव्यांगता अभिशाप या कमजोरी नहीं है जरूरत है आत्मविश्वास की. हजारीबाग में इन दिनों 20 दृष्टिबाधित बालिकाओं को आत्म सुरक्षा का गुर सिखाया जा रहा है. यह काम करने का बीड़ा साइटसेवर्स जेएसएलपीएस एवं समग्र शिक्षा अभियान के संयुक्त रुप से उठाया है. जिसमें हजारीबाग जिला की दृष्टिबाधित छात्राओं को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जा रही है. छात्राएं बताती है कि आज का वक्त बेहद खराब है और वो दृष्टिबाधित हैं. इसलिए हम लोगों के सामने कई चुनौतियां हैं. हाल के दिनों में जिस तरह महिला उत्पीड़न और हिंसा बढ़ी है. इसे देखते हुए उन्होंने फैसला लिया कि वो भी अब आत्म सुरक्षा के लिए तैयारी करेंगे. पहले हमें विश्वास नहीं था कि वो कुछ सीख पाएंगे. लेकिन अब ट्रेनिंग के जरिए वो अपनी रक्षा कैसे करें ये तमाम चीजें सीख रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

दूसरी छात्रा कहती हैं कि हम लोगों को जीवन में बहुत कुछ करना है, जीवन बहुत ही चुनौती भरा है. इस चुनौती भरे जीवन में सबसे बड़ी बात यह है कि हम सुरक्षित रहें. इसे देखते हुए साइटसवर्स ने हम लोगों को आत्म सुरक्षा का गुर सिखा रहा है और हम सीख रहे हैं. हम लोगों को भविष्य में नौकरी भी करना है स्कूल भी जाना है और कॉलेज भी. इस कारण ट्रेनिंग हमारे लिए बेहद जरूरी है.


मुंबई से हजारीबाग में ट्रेनिंग देने पहुंचे ट्रेनर का भी कहना है कि आमतौर पर साधारण बच्चों को आत्म सुरक्षा का गुर सिखाना आसान है. लेकिन दृष्टिबाधित छात्राओं को बताना थोड़ा चुनौतीपूर्ण रहता है. हम लोग छोटे-छोटे समूह बनाकर छात्राओं को सिखाते हैं. छोटे समूह बनाने से यह फायदा होता है कि हम लोग छात्राओं को पूरा समय दे पाते हैं. इसके लिए हम लोग विभिन्न तरह का मुखौटा का उपयोग करते हैं. ट्रेनिंग दिया जाता है उसका परीक्षा भी लिया जाता है कि आप कैसे खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.

Visually challenged girls taking self defense training in Hazaribag
आत्म रक्षा की ट्रेनिंग लेती दृष्टिबाधित छात्राएं

साइटसेवर्स पदाधिकारी भी बताते हैं कि हम लोग निशक्त दृष्टिबाधित छात्राओं को पढ़ाने का काम तो करते हैं. लेकिन हमें यह महसूस हुआ कि हजारीबाग में हाल के दिनों में कई घटनाएं बढ़ी हैं. जिससे हम लोग यह सोचने को विवश हो गए कि हमारी छात्राओं को भी आत्म सुरक्षा के लिए तैयार करना होगा. इसके बाद हम लोगों ने मिलकर छात्राओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं. खुशी की बात यह है कि छात्राएं भी ट्रेंड हो रही हैं.

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अभिभावक भी बताते हैं कि हम लोगों के लिए यह बेहद अच्छा हुआ कि हमारी बेटी को जानकारी देने के लिए लोग मुंबई से पहुंच रहे हैं. इससे हमारी बेटी का आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है. उनका भी कहना है कि हाल के दिनों में महिला उत्पीड़न की घटना बढ़ी है. ऐसे में हमेशा हम लोगों को भय रहता था कि हमारी बेटी घर से बाहर कैसे निकलेगी क्योंकि वह दृष्टिबाधित है. लेकिन अब प्रशिक्षण लेने के बाद थोड़ा तसल्ली हम लोगों को जरूर मिला है.

Visually challenged girls taking self defense training in Hazaribag
सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग

निशक्त छात्राएं जिस तरह से आत्म सुरक्षा के गुर सीख रही हैं यह उनके भविष्य में मददगार साबित होगा. साथ ही साथ आत्म सुरक्षा सीखने से उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. ईटीवी भारत भी इन दृष्टिबाधित छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना करता है.

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