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हजारीबाग में इंसानियत का निकला जनाजा, ग्रामीणों ने नहीं दिया कंधा तो घर की महिलाओं ने उठायी अर्थी

हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. यहां डायन-बिसाही का आरोप लगाकर ग्रामीणों ने एक 75 वर्षिय महिला की अर्थी को कंधा देने से ही इनकार कर दिया.

कंधा देती घर की बहू-बेटी
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Published : Sep 3, 2019, 7:40 AM IST

हजारीबाग: इंसान ताउम्र इसी जुगत में लगा रहता है कि समाज में उसकी प्रतिष्ठा बनी रहे. लेकिन मौत की बाद अगर उसे चार कंधे भी बमुश्किल नसीब हो, तो क्या कहेंगे. ऐसे में कहीं न कहीं उसकी आत्मा उसे कचोटेगी. कुछ ऐसा ही हुआ हजारीबाग के करगालो गांव में, जहां एक महिला पर डायन-बिसाही का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने महिला की अर्थी को कंधा देने से ही इनकार कर दिया.

देखें स्पेशल स्टोरी


क्या है मामला
विष्णुगढ़ प्रखंड के करगालो गांव की एक 75 वर्षीय महिला की लंबी बीमारी से शुक्रवार की रात मौत हो गई. जिसके बाद ग्रामीणों ने महिला पर डायन-बिसाही का आरोप लगाकर उसके अंतिम संस्कार में भाग लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि वह एक डायन थी, जिसके क्रियाक्रम में भाग लेने से कुछ न कुछ अहित होगा. इसलिए वे परिजनों पर मुर्गी काटने का दबाव बनाने लगे कि पहले मुर्गा कटेगा तभी वे श्मशान जाएंगे, लेकिन परिजन आर्थिक रुप से इतने कमजोर हैं कि उनके पास क्रियाक्रम की ही ठीक से व्यवस्था करने को पैसे नहीं थे गांव वालों को मुर्गा क्या खिलाते. ऐसे में ग्रामीण मूकदर्शक बन महिला की मौत का तमाशा देखते रहे.

यह भी पढ़ें- पाकुड़: सरकारी नीतियों का असर, बंद हो रहे खदान, मजदूरों से छिन रहा रोजगार

घर की बहू-बेटी ने दिया कंधा
मौत के बाद महिला का शव घंटों अपनी नियती का इंतजार करता रहा कि कोई आए उसे कंधा दे उसे मुक्ति दिलाए. लेकिन उसे कंधा देने कोई नहीं आया. जब क्रियाक्रम के लिए किसी के भी आने की उम्मीद ने दम तोड़ दिया तो घर की बहू-बेटी ही शव को कंधा देने आगे आई. मृतका की बेटी हेमंती देवी के साथ दो बहुओं उर्मिला देवी और अम्बिया देवी ने अपनी सास को कंधा देकर श्मसान घाट पहुंचाया. इनके इस साहसिक कदम के बावजूद जब कंधा देने के लिए कोई चौथा आदमी भी आगे नहीं आया तो यह जिम्मेदारी बड़ी बहू के भाई ने निभाई.

यह भी पढ़ें- स्कूल को बिल्डिंग तक नहीं है नसीब, झोपड़ी में पढ़कर संवार रहे बच्चे अपना भविष्य


वर्षों से लापता हैं बेटे
बुजुर्ग महिला के दोनों ही बेटे वर्षों पहले काम की तलाश में गांव छोड़ गए थे, लेकिन क्रमश: 15 और 8 साल बीत जाने के बाद दोबारा लौटकर कभी घर नहीं आए. दोनों बहुएं ही मेहनत-मजदूरी कर घर की गृहस्थी चलाती हैं. इसके लिए भी उनपर हमेशा लांछन लगाए जाते रहते हैं. उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता है.

हजारीबाग: इंसान ताउम्र इसी जुगत में लगा रहता है कि समाज में उसकी प्रतिष्ठा बनी रहे. लेकिन मौत की बाद अगर उसे चार कंधे भी बमुश्किल नसीब हो, तो क्या कहेंगे. ऐसे में कहीं न कहीं उसकी आत्मा उसे कचोटेगी. कुछ ऐसा ही हुआ हजारीबाग के करगालो गांव में, जहां एक महिला पर डायन-बिसाही का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने महिला की अर्थी को कंधा देने से ही इनकार कर दिया.

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क्या है मामला
विष्णुगढ़ प्रखंड के करगालो गांव की एक 75 वर्षीय महिला की लंबी बीमारी से शुक्रवार की रात मौत हो गई. जिसके बाद ग्रामीणों ने महिला पर डायन-बिसाही का आरोप लगाकर उसके अंतिम संस्कार में भाग लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि वह एक डायन थी, जिसके क्रियाक्रम में भाग लेने से कुछ न कुछ अहित होगा. इसलिए वे परिजनों पर मुर्गी काटने का दबाव बनाने लगे कि पहले मुर्गा कटेगा तभी वे श्मशान जाएंगे, लेकिन परिजन आर्थिक रुप से इतने कमजोर हैं कि उनके पास क्रियाक्रम की ही ठीक से व्यवस्था करने को पैसे नहीं थे गांव वालों को मुर्गा क्या खिलाते. ऐसे में ग्रामीण मूकदर्शक बन महिला की मौत का तमाशा देखते रहे.

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घर की बहू-बेटी ने दिया कंधा
मौत के बाद महिला का शव घंटों अपनी नियती का इंतजार करता रहा कि कोई आए उसे कंधा दे उसे मुक्ति दिलाए. लेकिन उसे कंधा देने कोई नहीं आया. जब क्रियाक्रम के लिए किसी के भी आने की उम्मीद ने दम तोड़ दिया तो घर की बहू-बेटी ही शव को कंधा देने आगे आई. मृतका की बेटी हेमंती देवी के साथ दो बहुओं उर्मिला देवी और अम्बिया देवी ने अपनी सास को कंधा देकर श्मसान घाट पहुंचाया. इनके इस साहसिक कदम के बावजूद जब कंधा देने के लिए कोई चौथा आदमी भी आगे नहीं आया तो यह जिम्मेदारी बड़ी बहू के भाई ने निभाई.

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वर्षों से लापता हैं बेटे
बुजुर्ग महिला के दोनों ही बेटे वर्षों पहले काम की तलाश में गांव छोड़ गए थे, लेकिन क्रमश: 15 और 8 साल बीत जाने के बाद दोबारा लौटकर कभी घर नहीं आए. दोनों बहुएं ही मेहनत-मजदूरी कर घर की गृहस्थी चलाती हैं. इसके लिए भी उनपर हमेशा लांछन लगाए जाते रहते हैं. उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता है.

Intro:आज का युग को वैज्ञानिक युग की संज्ञा दी गई है। लेकिन दूरदराज के गांव की स्थिति बेहद ही बुरी है ।अभी भी लोग अंधविश्वास में जी रहे हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण हजारीबाग के बिष्णुगढ़ प्रखंड के करगालो गांव में देखने को मिली। जहां डायन बिसाही का आरोप लगाकर गांव के लोगों ने अंतिम संस्कार में हिस्सा भी नहीं लिया ।आलम यह हुआ कि घर की 3 महिलाओं ने कांधा देकर अंतिम संस्कार करने के शमशान पहुंची। जब चौथा इंसान कांधा देने के लिए नहीं मिला तो बड़ी बहू उर्मिला देवी का भाई ने कांधा दिया।Body:हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड के करगालो में 75 वर्षिय बुजुर्ग महिला सबिया देवी की मौत होने पर आस पास के लोग नही जुटे।सगे संबंधियों में महज एक ब्यक्ति को छोड़ कोई नही जुटा।इतना ही नही अंतिम संस्कार में भी पडोसियो ने आने की जरूरत नही समझा।गाव के ग्रामीण भी नही आये।जिससे मृतिका की बेटी हेमंती देवी के साथ दो बहुओ ने उर्मिला देवी,अम्बिया देवी ने सास को कंधा देकर श्मसान घाट कन्धा देकर ले गयी।कन्धा देने वाला चौथा व्यक्ति बड़ी बहू उर्मिला देवी का भाई बगोदर स्थित बेको गाव के रहने वाले टुकण साव शामिल थे।

बुजुर्ग महिला की मौत लम्बी बीमारी से शुक्रवार की रात हो गयी थी।शव की अंतिम संस्कार के लिए घर की बहुओ ने स्थानीय रिस्तेदारो से लेकर आस पड़ोस से मदद मांगी।रिस्तेदारो में दो एक लोग आये जरूर पर अंतिम संस्कार को लेकर शव यात्रा में शामिल होने से मना कर दिया।जिससे बहुओ ने सास की अंतिम संस्कार करने में आगे बढ़कर शव को कन्धा देकर श्मसान घाट तक ले गयी।गाव में ग्रामीण बेटियों ब बहुओ को देखते रहे।पर सहयोग नहीं किया।बहुओ के पति के बारे में जानकारी मिल रही है कि दोनों काम करने के लिए घर से बाहर गए हैं लेकिन अब तक नहीं आए । मृतक का बड़ा बेटा 15 साल पहले घर से काम करने के लिए निकला था और दूसरा बेटा 8 साल पहले, लेकिन अब तक दोनों का कोई भी जानकारी नहीं है।दोनों गोतनी मेहनत मजदूरी कर किसी तरह घर गृहस्थी चला रही है।पर आस पड़ोस के लोग सहयोग करने के बजाय उल्टे उनपर तरह तरह के लांछन लगाकर मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता है।

आखिर मृतक महिला को कांधा क्यों नहीं मिला जब इसका सवाल कंधा देने वाली महिला से किया गया तो उन्होंने बताया कि डायन बिसाही का आरोप गांव वाले लोग लगा रहे थे और कह रहे थे कि मुर्गी काटो तभी शमशान जाएंगे।

Byte.... मृतक के परिजन कंधा देने वाली महिला
Byte....मृतक के परिजन कंधा देने वाली महिला
Conclusion:घटना ने सोचने को विवश कर दिया है कि हमारे समाज में अभी भी अज्ञानता इस कदर हावी है कि लोग मानवीय मूल्य होगी भूल कर अंधविश्वास का साथ दे रहे हैं। जरूरत है लोगों को जागरूक करने की तब जाकर इस तरह की घटना की पुनरावृति रुकेगी।
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