बड़कागांव, हजारीबाग : जिले में कर्णपुरा विस्थापित समिति के बैनर तले बड़कागांव प्रखंड के सिंदूवारी स्थित निमियाटांड़ के पास ग्रामीणों और रैयतों ने अनिश्चितकालीन धरना जारी है. यह धरना एनटीपीसी के त्रिवेणी सैनिक लिमिटेड की ओर से संचालित कोयला खदान चिरुडीह बरवाडीह के प्रभावित और विस्थापित रैयत ग्रामीण दे रहे हैं. यह धरना पेड़ जंगल ,पहाड़ ,तालाबों और नदियों के नष्ट होने और प्रदूषण के विरोध और 9 सूत्री मांग को लेकर किया जा रहा है. रैयतों ने बताया कि चिरुडीह कोयला खदान खुल जाने से सिन्दूवारी गांव के 200 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हुआ है. इसमें उपजाऊ भूमि के साथ-साथ 3000 महुआ पेड़, 5000 बेर का पेड़, 150 आम का पेड़, 50 इमली का पेड़, 25 जामुन का पेड़, 10,000 से ज्यादा खैर का पेड़, 150 तार का पेड़, 60 खजूर का पेड़ नष्ट हो गया, जिससे यहां के लोगों पर आर्थिक स्तर पर बुरा असर पड़ा है.
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ग्रामीणों ने बताया कि कोयला खदान खुल जाने से उरूब का बड़ा डैम, निमिया डैम, जुगना बांध, खरवा डैम, सिमरा डैम, इसके अलावा सीन नदी जिसमें से खावा नदी, गैलरी, नदी बरका नदी, विलुप्त हो गई. सिमरा नदी का कुछ अवशेष बचा हुआ है. रैयतों ने बताया कि 10 सूत्री मांग पत्र कंपनी से लेकर प्रखंड प्रशासन, जिला प्रशासन और सत्ता पक्ष और विपक्ष को सौंपा जा चुका है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया है. रैयतों की मांग है कि 18 साल से ऊपर सभी सदस्यों को नौकरी दी जाए. प्रति एकड़ 60 लाख मुआवजा, गैर-मजरूआ जमीन को रैयती मान्यता का सत्यापन कर 60 लाख मुआवजा दिया जाए. विस्थापित क्षेत्रों में सीबीएससी स्तर के विद्यालय स्थापित किया जाए. रिम्स की तरह अस्पताल खोला जाए, प्रदूषण से मुक्त कराया जाए. साथ ही कोल माइंस और कोल ट्रांसपोर्टिंग के क्षेत्र में पानी का छिड़काव किया जाए. बड़कागांव स्थित एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोल माइंस के विरुद्ध इन दिनों रोजगार की मांग को लेकर कई गांव के ग्रामीणों की ओर से 3 जुलाई से धरना दिया जा रहा है. कंपनी पर 5 तालाब, तीन नदियां, हजारों व्यवसायिक पेड़, जंगल, पहाड़ नष्ट करने का आरोप लगा है.