हजारीबाग: केरेडारी प्रखंड अंतर्गत निरी बेहद दुर्गम इलाका है. चारों ओर नदी पहाड़ और जंगल से यह गांव घिरा हुआ है. सुविधा के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. नक्सली इन क्षेत्रों में कई बार चुनाव बहिष्कार की घोषणा करते आए हैं, जो प्रशासन के लिए चुनौती थी. प्रशासन वोट बहिष्कार के बाद भी यहां वोट करा लेती थी. लेकिन अब इन क्षेत्रों में नक्सलियों की हुकूमत खत्म हो चुकी है. इसके बावजूद गांव का बूथ गांव से हटाकर रीलोकेट किया गया है. ऐसे में यहां के ग्रामीण नाराज हैं कि आखिर क्यों फिर से बूथ रीलोकेट किया जा रहा है.
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निरी गांव का अपना बूथ है. लेकिन यहां नक्सल समस्या होने के कारण प्रशासन ने 2019 लोकसभा 2020 विधानसभा चुनाव में बूथ बदल कर नव प्राथमिक विद्यालय सलगा में वोटिंग कराया था. इस बार भी पंचायत चुनाव में यहां का बूथ नंबर 158 को रीलोकेट किया गया है. जिससे निरी गांव के लोग काफी आक्रोशित हैं. उनका मानना है कि गांव में ही बूथ स्थापित किया जाए ताकि हम लोगों को वोट डालने में परेशानी ना हो. निरी गांव से सलगा जाने के लिए 12 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है. रास्ते में नदी पहाड़ जंगल आते हैं. इस कारण ग्रामीणों की मांग है कि फिर से मेरे गांव में बूथ बनाया जाए.
बूथ बदल देने से ग्रामीण नाराज हैं और अब वोट देना नहीं चाहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बुजुर्ग महिला कैसे मताधिकार का उपयोग करने 12 किलोमीटर जाएंगी. निरी में 116 पुरुष और 88 महिला समेत 204 वोटर हैं जो सलगा पंचायत के 12 वार्ड में आते हैं. केरेडारी प्रखंड मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर पंचायत मुख्यालय सरकार से 12 किलोमीटर दूर जंगल में निरी गांव बसा हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान समय में नक्सल समेत अन्य समस्या का समाधान हो चुका है. ऐसे में प्रशासन को फिर से हमारे अपने बूथ पर ही वोटिंग कराना चाहिए.
बूथ रीलोकेट करने के बाद ग्रामीणों को समझाने के लिए केरेडारी बीडीओ किस्टो कुमार बेसरा, सीओ राकेश कुमार तिवारी ने ग्रामीणों से वार्ता भी की, उन्हें समझाया है कि आप वोट देने के लिए तय बूथ पर जाएं. वोटरों को वोट करवाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था की गई है. प्रशासन बारी-बारी से सभी वोटरों को बूथ पर ले जाकर वोटिंग कराएगी और फिर वापस गांव पहुंचाएगी.