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हजारीबाग: संक्रमित व्यक्ति के स्वस्थ होने के बाद समाज की भूमिका में कितना बदलाव, जाने हकीकत

कोरोना काल ने लोगों की जीवनशैली में ही बदलाव कर दिया है. पहले लोग बेहद आसानी से एक जगह से दूसरी जगह आना-जाना करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से हर व्यक्ति ने अपने आप को समेट लिया है. ऐसे में जो लोग संक्रमित हुए और अब स्वस्थ हैं, उन्हें मानसिक रूप से मजबूती प्रदान करना भी इसी समाज का दायित्व है.

हजारीबाग: संक्रमित व्यक्ति के स्वस्थ होने के बाद समाज की भूमिका में बदलाव
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Published : Jul 6, 2020, 3:32 AM IST

हजारीबाग: कोरोना काल ने लोगों के जीवनशैली ही बदल दी है. पहले लोग बेहद आसानी से एक जगह से दूसरी जगह आना-जाना करते थे. चार दोस्त एक जगह बैठकर हंसी-मजाक किया करते थे, लेकिन अब यह सब इतिहास बन गया है. पिछले 5 महीने से हर व्यक्ति ने अपने आप को समेट लिया है. ऐसे में जो लोग संक्रमित हुए और अब स्वस्थ हैं, उन्हें मानसिक रूप से मजबूती प्रदान करना भी इसी समाज का दायित्व है.

देखें स्पेशल खबर

स्वस्थ होकर लौटे लोगों के प्रति समाज की सोच

हजारीबाग के इचाक प्रखंड में कई ऐसे लोग हैं, जो संक्रमित हुए और फिर इलाज के दौरान स्वस्थ भी हो गए. इनमें से एक व्यक्ति की मौत भी हुई. ऐसे में लोगों के मन में हमेशा यह सवाल रहता है कि क्या हमारे आस-पास जो व्यक्ति रह रहे हैं, वह संक्रमित तो नहीं हैं. या फिर वैसे व्यक्ति जो संक्रमित हुए हैं और अब स्वस्थ हैं उनके बारे में भी लोगों के मन में कई सवाल रहते हैं. ऐसे में स्वस्थ हुआ व्यक्ति भी मानसिक रूप से परेशान रहता है. ऐसे में जरूरत समाज के लोगों को उसकी मदद करने की.

जीवनशैली में आया परिवर्तन

हजारीबाग के इचाक की रहने वाली महिला संक्रमित हुई है और अब वह अपने घर में है. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम ने महिला से जानने की कोशिश की कि आखिर उनकी जीवनशैली में क्या परिवर्तन आया है तो उन्होंने कहा कि वह कभी बीमार ही नहीं हुई थी. घर आने के बाद से सारा काम कर रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें न थकावट होती है, न ही बुखार आया है और न ही खांसी है. वह पूरी तरह से फिट है. उनका यह भी कहना है कि डॉक्टरों ने भी उन्हें यह बताया है कि अब उनमें किसी तरह की दिक्कत नहीं है.

ये भी पढ़ें-जेएमएम का बीजेपी पर हमला, कहा 'बेदाग' रघुवर सरकार के कार्यकाल में आदिवासी जमीनों की हुई रजिस्ट्री

स्वस्थ होकर लौटी महिला के प्रति लोगों की सोच
वहीं, गांव के लोग भी कहते हैं कि पहले जब महिला स्वस्थ होकर आई थी तो काफी चर्चा थी. लोग दूर-दूर रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने समझा. अब समाज ने उन्हें स्वीकार भी कर लिया है. अब लोग उनके घर भी जाते हैं और वह भी हमारे घर आती है. सभी पहले की तरह रह रहे हैं. गांव के एक दुकानदार ने कहा कि जब कोरोना के बारे में उसने सुना था तो उनके होश उड़ गए थे कि उसके पड़ोसी संक्रमित हो गए हैं. ऐसे में वह भी काफी एहतियात बरत रहे थे. स्वस्थ होने के बाद भी आने के बाद मन में शक था, लेकिन धीरे-धीरे वो शक दूर हो गया. अब सभी लोग उनके घर जाते हैं. वह भी दुकान आती है और सामान भी लेती है. अब किसी भी तरह का संशय या डर नहीं है.

हमेशा मास्क का उपयोग करना चाहिए

हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टर भी बताते हैं कि संक्रमित मरीज जब स्वस्थ हो जाता है तो किसी भी तरह की परेशानी नहीं रहती है. वह आम व्यक्ति की तरह ही है. विशेष रूप से वैसे व्यक्ति को स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए. जहां तक हो सके मास्क का उपयोग करना चाहिए. हाथों को बार-बार साबुन से धोने की आवश्यकता है. वैसा खाना-खाना चाहिए जो इम्यून सिस्टम को और भी अधिक दुरुस्त करे. सबसे बड़ी जिम्मेवारी प्रखंड विकास पदाधिकारी को होती है. जब कोई व्यक्ति संक्रमित पाया जाता है तो उसे इलाज के लिए तत्काल अस्पताल भेजते हैं और जब वह वापस आते हैं तो उसे मदद भी करना पड़ता है.

गांवों में लोगों को समझाना चुनौती भरा

हजारीबाग इचाक प्रखंड की प्रखंड विकास पदाधिकारी उषा मिंज बताती हैं कि वो समाज के लोगों को समझाती हैं. इसके लिए मुखिया समेत गांव के गणमान्य लोगों की भी मदद लेते हैं. उनका यह भी कहना है कि गांवों में लोगों को समझाना चुनौती से भरा नहीं रहता है, लेकिन जब लोग समझते हैं तो उसके बाद संक्रमित व्यक्ति जो स्वस्थ होकर अपने घर आया है, उसे किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है. समाज उसे सामान्य नजरिया से देखता है.

हजारीबाग: कोरोना काल ने लोगों के जीवनशैली ही बदल दी है. पहले लोग बेहद आसानी से एक जगह से दूसरी जगह आना-जाना करते थे. चार दोस्त एक जगह बैठकर हंसी-मजाक किया करते थे, लेकिन अब यह सब इतिहास बन गया है. पिछले 5 महीने से हर व्यक्ति ने अपने आप को समेट लिया है. ऐसे में जो लोग संक्रमित हुए और अब स्वस्थ हैं, उन्हें मानसिक रूप से मजबूती प्रदान करना भी इसी समाज का दायित्व है.

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स्वस्थ होकर लौटे लोगों के प्रति समाज की सोच

हजारीबाग के इचाक प्रखंड में कई ऐसे लोग हैं, जो संक्रमित हुए और फिर इलाज के दौरान स्वस्थ भी हो गए. इनमें से एक व्यक्ति की मौत भी हुई. ऐसे में लोगों के मन में हमेशा यह सवाल रहता है कि क्या हमारे आस-पास जो व्यक्ति रह रहे हैं, वह संक्रमित तो नहीं हैं. या फिर वैसे व्यक्ति जो संक्रमित हुए हैं और अब स्वस्थ हैं उनके बारे में भी लोगों के मन में कई सवाल रहते हैं. ऐसे में स्वस्थ हुआ व्यक्ति भी मानसिक रूप से परेशान रहता है. ऐसे में जरूरत समाज के लोगों को उसकी मदद करने की.

जीवनशैली में आया परिवर्तन

हजारीबाग के इचाक की रहने वाली महिला संक्रमित हुई है और अब वह अपने घर में है. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम ने महिला से जानने की कोशिश की कि आखिर उनकी जीवनशैली में क्या परिवर्तन आया है तो उन्होंने कहा कि वह कभी बीमार ही नहीं हुई थी. घर आने के बाद से सारा काम कर रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें न थकावट होती है, न ही बुखार आया है और न ही खांसी है. वह पूरी तरह से फिट है. उनका यह भी कहना है कि डॉक्टरों ने भी उन्हें यह बताया है कि अब उनमें किसी तरह की दिक्कत नहीं है.

ये भी पढ़ें-जेएमएम का बीजेपी पर हमला, कहा 'बेदाग' रघुवर सरकार के कार्यकाल में आदिवासी जमीनों की हुई रजिस्ट्री

स्वस्थ होकर लौटी महिला के प्रति लोगों की सोच
वहीं, गांव के लोग भी कहते हैं कि पहले जब महिला स्वस्थ होकर आई थी तो काफी चर्चा थी. लोग दूर-दूर रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने समझा. अब समाज ने उन्हें स्वीकार भी कर लिया है. अब लोग उनके घर भी जाते हैं और वह भी हमारे घर आती है. सभी पहले की तरह रह रहे हैं. गांव के एक दुकानदार ने कहा कि जब कोरोना के बारे में उसने सुना था तो उनके होश उड़ गए थे कि उसके पड़ोसी संक्रमित हो गए हैं. ऐसे में वह भी काफी एहतियात बरत रहे थे. स्वस्थ होने के बाद भी आने के बाद मन में शक था, लेकिन धीरे-धीरे वो शक दूर हो गया. अब सभी लोग उनके घर जाते हैं. वह भी दुकान आती है और सामान भी लेती है. अब किसी भी तरह का संशय या डर नहीं है.

हमेशा मास्क का उपयोग करना चाहिए

हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टर भी बताते हैं कि संक्रमित मरीज जब स्वस्थ हो जाता है तो किसी भी तरह की परेशानी नहीं रहती है. वह आम व्यक्ति की तरह ही है. विशेष रूप से वैसे व्यक्ति को स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए. जहां तक हो सके मास्क का उपयोग करना चाहिए. हाथों को बार-बार साबुन से धोने की आवश्यकता है. वैसा खाना-खाना चाहिए जो इम्यून सिस्टम को और भी अधिक दुरुस्त करे. सबसे बड़ी जिम्मेवारी प्रखंड विकास पदाधिकारी को होती है. जब कोई व्यक्ति संक्रमित पाया जाता है तो उसे इलाज के लिए तत्काल अस्पताल भेजते हैं और जब वह वापस आते हैं तो उसे मदद भी करना पड़ता है.

गांवों में लोगों को समझाना चुनौती भरा

हजारीबाग इचाक प्रखंड की प्रखंड विकास पदाधिकारी उषा मिंज बताती हैं कि वो समाज के लोगों को समझाती हैं. इसके लिए मुखिया समेत गांव के गणमान्य लोगों की भी मदद लेते हैं. उनका यह भी कहना है कि गांवों में लोगों को समझाना चुनौती से भरा नहीं रहता है, लेकिन जब लोग समझते हैं तो उसके बाद संक्रमित व्यक्ति जो स्वस्थ होकर अपने घर आया है, उसे किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है. समाज उसे सामान्य नजरिया से देखता है.

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