हजारीबागः जिले में कई ऐसे दुर्गम क्षेत्र हैं जिसे प्रकृति ने अपने हाथों से संवारा है. लेकिन दुर्गम और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण ये जगह आम जनता की पहुंच के बाहर है. ऐसे ही इलाकों में से एक है टाटीझरिया प्रखंड का सिजुआ जल प्रपात. सिजुआ की सुंदरता देखते ही बनती है लेकिन आम जनता यहां पहुंच नहीं पाती है. शायद इस कारण भी इसकी सुंदरता कायम है.
ये भी पढ़ेंः Village Of Soldiers In Hazaribag: फौजियों के गांव के नाम से जाना जाता है भुसाई, रगों में बहता है देशभक्ति का जज्बा
हजारीबाग में कई ऐसे जगह है जिन्हें अगर विकसित किया जाए तो टूरिज्म प्लेस के रूप में उभर सकते हैं. लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण इन क्षेत्रों का विकास नहीं हुआ. हजारीबाग की बात करें तो नेशनल पार्क, कनहरी, झील, सूर्य कुंड की चर्चा लोग करते हैं. लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे वाटर स्पॉट हैं जो बेहद ही सुंदर और आकर्षक हैं. लेकिन सुदूरवर्ती दुर्गम और नक्सल क्षेत्र में होने के कारण ये जगह आम लोगों की नजर से कोसों दूर हैं.
हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के सिजुआ में एक वाटर स्पॉट है. जो धरहरा नदी पर स्थित है. आदिवासी समाज के लोग इसे जंगदरगा कहते हैं. जहां नदी अपने प्रवाह स्थल से होते हुए इस गांव से गुजरती है. उबड़ खाबड़ रास्ते से गुजरते हुए नदी पहाड़ के ऊपर से गिरती है जो बेहद ही सुंदर और मनोरम लगता है. गांव के लोग बताते हैं कि इस नदी का पानी कभी सूखता नहीं है. लेकिन बरसात के समय में जब नदी उफान पर रहती है तो झरना की सुंदरता और भी अधिक बढ़ जाती है.
आदिवासी क्षेत्र होने के कारण यहां के लोग बात करने से कतराते हैं. एक ग्रामीण हमलोगों को झरने तक ले गए और उन्होंने बताया कि यहां देवी स्थल भी है. हम लोग पूजा करते हैं और वही इस झरने की रक्षा करती है. इस कारण झरने तक पहुंचने के लिए खाली पांव जाना पड़ता है. ग्रामीण बताते भी हैं कि देवी के कारण ही आज तक यहां किसी भी तरह की अनहोनी नहीं घटी है. झरने तक पहुंचने के लिए लगभग 2 किलोमीटर चलना पड़ता है. नदी के रास्ते से गुजरने के बाद झरने तक पहुंचा जा सकता है. रास्ते में पड़ने वाले दुर्गम और घनघोर जंगल लोगों को आकर्षित करते हैं. तरह-तरह की पंछियों की आवाज से इलाका हरदम गूंजते रहता है.