ETV Bharat / state

हजारीबाग: बड़कागांव में हड़ताल से टेक्सटाइल कारोबार बर्बाद, हजारों परिवार भुखमरी की कगार पर - बड़कागांव में ग्रामीणों का आंदोलन जारी

हजारीबाग के बड़कागांव में पिछले कई महीनों से जारी विरोध प्रदर्शन के कारण हजारों महिलाओं के सामने दो वक्त की रोटी के लाले पड़े हैं. एनटीपीसी की सहायक कंपनी थ्रिवेणी सैनिक ने सीएसआर फंड से टेक्सटाइल उद्योग लगाया है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं काम करती हैं, लेकिन आज ये बेरोजगार हैं.

टेक्सटाइल कारोबार बर्बाद
टेक्सटाइल कारोबार बर्बाद
author img

By

Published : Oct 5, 2020, 4:55 PM IST

हजारीबाग: जिले के बड़कागांव में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसमें एक कार्यक्रम टेक्सटाइल से भी जुड़ा हुआ है, जहां लगभग 500 महिलाएं विभिन्न तरह के कपड़े तैयार करती हैं, लेकिन विगत 2 माह से बड़कागांव में विरोध प्रदर्शन के कारण यह अब बेरोजगार हो गईं हैं.

हड़ताल से टेक्सटाइल कारोबार बर्बाद.

यहां तक कि उनके सामने दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं. बड़कागांव में एनटीपीसी की सहायक कंपनी थ्रिवेणी सैनिक ने सीएसआर फंड से बड़कागांव में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए टेक्सटाइल उद्योग लगाया है, जिसमें 500 से अधिक महिलाएं काम करती हैं, लेकिन आज ये महिलाएं बेरोजगारी का दंश झेल रही है.

महिलाएं यहां कपड़ा बनाती है और फिर इन्हें बाजारों में बेजती हैं, ताकि आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो सकें, लेकिन विगत 2 माह से बड़कागांव में विरोध प्रदर्शन का दौर चल रहा है, जिसके कारण इनका उद्योग प्रभावित हुआ है, जिसके कारण महिला भुखमरी की कगार पर पहुंच रही हैं.

इनका कहना है कि विरोध के कारण गाड़ी फैक्ट्री तक नहीं पहुंच पा रहा है और हम अपना काम भी नहीं कर पा रहे हैं. यहां तक कि स्थानीय मजदूर जो विरोध प्रदर्शन में है वह भी हमें काम करने में रोक रहे हैं.

महिलाओं का कहना है कि 500 के समूह में कई ऐसी महिलाएं हैं जो विधवा है और उनके बच्चे भी हैं. इस कारण पूरा परिवार का दायित्व भी हमारे ऊपर है. इसलिए हमें काम करने के लिए उचित वातावरण प्रशासन तैयार करके दें.

यह भी पढ़ेंः गिरिडीह: कोलकाता से बिहार जा रही गाड़ी पलटी, दो की मौत, 5 घायल

एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक प्रशांत कच्छप का कहना है कि महिलाओं की बेरोजगारी का कारण हम नहीं हैं. माइनिंग से जो मुनाफा होता था उसके तहत सीएसआर के जरिए हम लोग इन्हें मदद करते थे, लेकिन अब माइनिंग ही बंद है तो इन्हें हम लोग मदद भी नहीं कर पा रहे हैं.

अगर ट्रांसपोर्टेशन शुरू हो जाता तो यह महिलाएं का काम फिर से शुरू हो जाता. महिलाएं परेशान हैं इनकी समस्या कैसे दूर होता है यह अहम सवाल है, लेकिन स्थिति जो बनती जा रही है उसमें कहना गलत नहीं होगा कि स्वालंबी महिलाएं अब बेरोजगारी की ओर फिर से मजबूरी वस लौट रही हैं. ऐसे में जरूरत है सरकार और जिला प्रशासन को ठोस कदम उठाने की ताकि महिलाएं दो रोटी के लिए दूसरे के प्रति मोहताज ना हो.

हजारीबाग: जिले के बड़कागांव में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसमें एक कार्यक्रम टेक्सटाइल से भी जुड़ा हुआ है, जहां लगभग 500 महिलाएं विभिन्न तरह के कपड़े तैयार करती हैं, लेकिन विगत 2 माह से बड़कागांव में विरोध प्रदर्शन के कारण यह अब बेरोजगार हो गईं हैं.

हड़ताल से टेक्सटाइल कारोबार बर्बाद.

यहां तक कि उनके सामने दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं. बड़कागांव में एनटीपीसी की सहायक कंपनी थ्रिवेणी सैनिक ने सीएसआर फंड से बड़कागांव में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए टेक्सटाइल उद्योग लगाया है, जिसमें 500 से अधिक महिलाएं काम करती हैं, लेकिन आज ये महिलाएं बेरोजगारी का दंश झेल रही है.

महिलाएं यहां कपड़ा बनाती है और फिर इन्हें बाजारों में बेजती हैं, ताकि आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो सकें, लेकिन विगत 2 माह से बड़कागांव में विरोध प्रदर्शन का दौर चल रहा है, जिसके कारण इनका उद्योग प्रभावित हुआ है, जिसके कारण महिला भुखमरी की कगार पर पहुंच रही हैं.

इनका कहना है कि विरोध के कारण गाड़ी फैक्ट्री तक नहीं पहुंच पा रहा है और हम अपना काम भी नहीं कर पा रहे हैं. यहां तक कि स्थानीय मजदूर जो विरोध प्रदर्शन में है वह भी हमें काम करने में रोक रहे हैं.

महिलाओं का कहना है कि 500 के समूह में कई ऐसी महिलाएं हैं जो विधवा है और उनके बच्चे भी हैं. इस कारण पूरा परिवार का दायित्व भी हमारे ऊपर है. इसलिए हमें काम करने के लिए उचित वातावरण प्रशासन तैयार करके दें.

यह भी पढ़ेंः गिरिडीह: कोलकाता से बिहार जा रही गाड़ी पलटी, दो की मौत, 5 घायल

एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक प्रशांत कच्छप का कहना है कि महिलाओं की बेरोजगारी का कारण हम नहीं हैं. माइनिंग से जो मुनाफा होता था उसके तहत सीएसआर के जरिए हम लोग इन्हें मदद करते थे, लेकिन अब माइनिंग ही बंद है तो इन्हें हम लोग मदद भी नहीं कर पा रहे हैं.

अगर ट्रांसपोर्टेशन शुरू हो जाता तो यह महिलाएं का काम फिर से शुरू हो जाता. महिलाएं परेशान हैं इनकी समस्या कैसे दूर होता है यह अहम सवाल है, लेकिन स्थिति जो बनती जा रही है उसमें कहना गलत नहीं होगा कि स्वालंबी महिलाएं अब बेरोजगारी की ओर फिर से मजबूरी वस लौट रही हैं. ऐसे में जरूरत है सरकार और जिला प्रशासन को ठोस कदम उठाने की ताकि महिलाएं दो रोटी के लिए दूसरे के प्रति मोहताज ना हो.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.