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नहीं थम रही शिक्षकों की हड़ताल, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के शिक्षक को नहीं मिल रहा वेतन

इन दिनों झारखंड में शिक्षा देने वाले गुरू की स्थिति ठीक नहीं है. वह अपने अधिकार के लिए धरना पर बैठ रहे हैं. ऐसा ही कुछ हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में देखने को मिला. वहां वर्तमान में काम कर रहे प्रोफेसर के अलावा सेवानिवृत्त प्रोफेसर भी अपने अधिकार के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं.

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Published : Jul 6, 2019, 11:55 PM IST

धरना देतें शिक्षक

हजारीबाग: विश्वविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षकों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को लेकर एक दिवसीय धरना का आयोजन विनोबा भावे विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन में हुआ. जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ एआर आष्टा ने की. यह कार्यक्रम अलग-अलग शिक्षक संगठनों की ओर से किया गया था. जहां शिक्षक ने अपनी मांग के समर्थन में अपना पक्ष रखा. सभी ने इस कार्यक्रम में सरकार की उच्च शिक्षा नीति के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया.

धरना देतें शिक्षक, देखें पूरी खबर


प्रोफेसर और अवकाश प्राप्त शिक्षकों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे शिक्षा की अलख जगाकर समाज में अपना योगदान देते हैं. लेकिन सरकार उन्हें समय पर वेतन और पेंशन का भुगतान भी नहीं कर रही है. शिक्षकों में इस बात को लेकर और हैरानी जताई कि राज्य सरकार ने दो तरफा रवैया अपनाते हुए रांची विश्वविद्यालय तथा सिद्धू कान्हू विश्वविद्याल (दुमका) को वेतन और पेंशन के लिए एक माह पहले ही राशि आवंटित कर दी गई है. लेकिन हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के लिए किसी भी तरह का आवंटन नहीं किया गया है.


एआर आष्टा ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिया जा रहा है लेकिन विनोबा भावे विश्वविद्यालय में इसे अभी तक चालू नहीं किया गया है. समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण घर में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से हमे सैलेरी और पेंशन की राशि दी जा रही थी, लेकिन अब वह भी नहीं दी जाएगी. आष्टा ने कहा कि जो शिक्षक पूरे समाज को शिक्षा देतें है उन्हें वेतन के लिए आंदोलन करना पड़ रहा हैं, जो समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

हजारीबाग: विश्वविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षकों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को लेकर एक दिवसीय धरना का आयोजन विनोबा भावे विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन में हुआ. जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ एआर आष्टा ने की. यह कार्यक्रम अलग-अलग शिक्षक संगठनों की ओर से किया गया था. जहां शिक्षक ने अपनी मांग के समर्थन में अपना पक्ष रखा. सभी ने इस कार्यक्रम में सरकार की उच्च शिक्षा नीति के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया.

धरना देतें शिक्षक, देखें पूरी खबर


प्रोफेसर और अवकाश प्राप्त शिक्षकों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे शिक्षा की अलख जगाकर समाज में अपना योगदान देते हैं. लेकिन सरकार उन्हें समय पर वेतन और पेंशन का भुगतान भी नहीं कर रही है. शिक्षकों में इस बात को लेकर और हैरानी जताई कि राज्य सरकार ने दो तरफा रवैया अपनाते हुए रांची विश्वविद्यालय तथा सिद्धू कान्हू विश्वविद्याल (दुमका) को वेतन और पेंशन के लिए एक माह पहले ही राशि आवंटित कर दी गई है. लेकिन हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के लिए किसी भी तरह का आवंटन नहीं किया गया है.


एआर आष्टा ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिया जा रहा है लेकिन विनोबा भावे विश्वविद्यालय में इसे अभी तक चालू नहीं किया गया है. समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण घर में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से हमे सैलेरी और पेंशन की राशि दी जा रही थी, लेकिन अब वह भी नहीं दी जाएगी. आष्टा ने कहा कि जो शिक्षक पूरे समाज को शिक्षा देतें है उन्हें वेतन के लिए आंदोलन करना पड़ रहा हैं, जो समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

Intro:इन दिनों झारखंड में शिक्षा देने वाले गुरु की स्थिति ठीक नहीं है। वह अब अपने अधिकार के लिए धरना पर भी बैठ रहे हैं। ऐसा ही कुछ हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में देखने को मिला ।जहां प्रोफेसर साथ ही साथ सेवानिवृत्त प्रोफेसर भी अपने अधिकार के लिए सरकार से गुहार लगाई है।


Body:विश्वविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षकों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को लेकर फुटाज के बैनर तले एक दिवसीय धरना का आयोजन विनोबा भावे विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन में हुई। जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ ए.आर.आष्टा आने की। यह कार्यक्रम विभिन्न शिक्षक संगठनों की ओर से आहूत था। जहां प्रतिनिधियों ने अपनी मांग के समर्थन में अपना पक्ष रखा। कुल मिलाकर इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने सरकार की उच्च शिक्षा नीति के खिलाफ रोष प्रकट किया।

प्रोफेसर और अवकाश प्राप्त शिक्षकों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे शिक्षा का अलख जगाकर समाज अपना योगदान देते हैं। लेकिन सरकार उन्हें समय पर वेतन और पेंशन का भुगतान भी नहीं कर रही है। शिक्षकों में इस बात को लेकर और हैरानी जताई कि राज्य सरकार ने पक्षतापूर्ण रवैया अपनाते हुए रांची विश्वविद्यालय तथा सिद्धू कानू विश्वविद्यालय दुमका को वेतन और पेंशन के लिए एक माह पूर्व राशि आवंटित कर दी। लेकिन हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के लिए किसी भी तरह का आवंटन नहीं किया गया।

वहीं उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिया जा रहा है लेकिन विनोबा भावे विश्वविद्यालय में छठा वेतनमान दिया जा रहा है। समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण घर में भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से अपने बजट से पेंशन की राशि दी गई है लेकिन अब वह भी नहीं दी जाएगी ।ऐसे में काफी परेशानी होने वाली है।

byte.... विपिन कुमार सिंहा प्रोफेसर पिला टी-शर्ट में
byte.... डॉक्टर ए.आर अम्बष्टा


Conclusion:जिस तरह से शिक्षक अपने वेतन के लिए आंदोलन कर रहे हैं यह सही संकेत नहीं माने जा सकते हैं। क्योंकि गुरु समाज को शिक्षित करता है ऐसे में इनके जो अधिकार हैं उसे वंचित करना ठीक नहीं है।
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