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लॉकडाउन में नौकरी छूटी तो शुरू किया मल्टीक्रॉपिंग, रंग ला रही शिक्षक दंपति की मेहनत - लॉकडाउन में प्रेरणादायक कहानियां

हजारीबाग में लॉकडाउन के दौरान एक शिक्षक बेरोजगार हो गए. माली हालत खराब हुई तो खेती का निर्णय लिया. दंपति ने मल्टीक्रापिंग फार्मिंग शुरू की और आत्मनिर्भरता की तरफ नया कदम बढ़ा दिया. शिक्षक दंपति दूसरों को नई राह दिखा रहे हैं.

Teacher started multicrop farming in Hazaribag
हजारीबाग में शिक्षक दंपति ने शुरू की मल्टीक्रॉप फॉर्मिंग
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Published : Apr 5, 2021, 9:08 PM IST

Updated : Apr 5, 2021, 10:58 PM IST

हजारीबाग: कोरोना की वजह से पिछले एक साल से स्कूल बंद हैं और ऐसे में निजी स्कूल के शिक्षक बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं. पैसा न मिलने की वजह से हजारों शिक्षकों ने मजबूरी में स्कूल छोड़ा है. ऐसे में दारू क्षेत्र के एक शिक्षक ने सूझबूझ का परिचय दिया और मल्टीक्रॉप कर अपना जीवन नए तरीके से शुरू करने की कोशिश की. इसमें उन्हें सफलता भी मिली है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: झारखंड में कोरोना के बढ़ते केस के चलते सरकार बेबस, रिम्स में लगा नो बेड का पोस्टर

मल्टीक्रॉप फार्मिंग से हुआ लाभ

शिक्षक अजय कुमार बताते हैं कि जब लॉकडाउन में वे बेरोजगार हो गए और पेट पर आफत आई तब मल्टीक्रॉप फार्मिंग शुरू की. एक ही खेत में सब्जी, फल और फूल लगाए. लेमनग्रास अब बड़ा हो रहा है. केला, पपीता और नींबू की भी खेती की है. इससे घर की हालत ठीक हुई है. अजय ने बताया कि अगर सरकार कुछ मदद करती है तो हम और अच्छा कर सकते हैं.

Teacher started multicrop farming in Hazaribag
शिक्षक ने खेत में केले का भी पेड़ लगाया है.

महामारी में रोजगार छिना, तो की नई शुरुआत

अजय की पत्नी सोनी कुमारी का कहना है कि जब पति स्कूल में पढ़ाते थे तो अच्छे से घर चलता था. लेकिन, इस महामारी ने रोजगार ही छीन लिया. ऐसे में हम दोनों ने सोचा कि कुछ किया जाए ताकि घर चल सके. ऐसे में अपने जमीन पर मल्टीक्रॉप लगाया. हमें अब घर चलाने के लिए पैसा खेत से आ रहा है.

Teacher started multicrop farming in Hazaribag
लॉकडाउन में पपीता का पेड़ लगाया था, अब फल भी आ चुके हैं.

सरकार से मांग है कि थोड़ी वित्तीय सहायता दी जाए ताकि अच्छे से अपनी खेती-बाड़ी कर सकें. कहते हैं कि आवश्यकता ही लोगों की नई राह दिखाती है. ठीक इसी तरह शिक्षक अजय कुमार सूझबूझ से अपने पैर पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं. जरूरत है ऐसे दूसरे लोगों को भी कुछ ऐसा करने की ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें.

हजारीबाग: कोरोना की वजह से पिछले एक साल से स्कूल बंद हैं और ऐसे में निजी स्कूल के शिक्षक बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं. पैसा न मिलने की वजह से हजारों शिक्षकों ने मजबूरी में स्कूल छोड़ा है. ऐसे में दारू क्षेत्र के एक शिक्षक ने सूझबूझ का परिचय दिया और मल्टीक्रॉप कर अपना जीवन नए तरीके से शुरू करने की कोशिश की. इसमें उन्हें सफलता भी मिली है.

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मल्टीक्रॉप फार्मिंग से हुआ लाभ

शिक्षक अजय कुमार बताते हैं कि जब लॉकडाउन में वे बेरोजगार हो गए और पेट पर आफत आई तब मल्टीक्रॉप फार्मिंग शुरू की. एक ही खेत में सब्जी, फल और फूल लगाए. लेमनग्रास अब बड़ा हो रहा है. केला, पपीता और नींबू की भी खेती की है. इससे घर की हालत ठीक हुई है. अजय ने बताया कि अगर सरकार कुछ मदद करती है तो हम और अच्छा कर सकते हैं.

Teacher started multicrop farming in Hazaribag
शिक्षक ने खेत में केले का भी पेड़ लगाया है.

महामारी में रोजगार छिना, तो की नई शुरुआत

अजय की पत्नी सोनी कुमारी का कहना है कि जब पति स्कूल में पढ़ाते थे तो अच्छे से घर चलता था. लेकिन, इस महामारी ने रोजगार ही छीन लिया. ऐसे में हम दोनों ने सोचा कि कुछ किया जाए ताकि घर चल सके. ऐसे में अपने जमीन पर मल्टीक्रॉप लगाया. हमें अब घर चलाने के लिए पैसा खेत से आ रहा है.

Teacher started multicrop farming in Hazaribag
लॉकडाउन में पपीता का पेड़ लगाया था, अब फल भी आ चुके हैं.

सरकार से मांग है कि थोड़ी वित्तीय सहायता दी जाए ताकि अच्छे से अपनी खेती-बाड़ी कर सकें. कहते हैं कि आवश्यकता ही लोगों की नई राह दिखाती है. ठीक इसी तरह शिक्षक अजय कुमार सूझबूझ से अपने पैर पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं. जरूरत है ऐसे दूसरे लोगों को भी कुछ ऐसा करने की ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें.

Last Updated : Apr 5, 2021, 10:58 PM IST
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